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इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ कराची में विपक्ष का जलसा, कुछ बदलेगा?
19-Oct-2020 11:01 AM
इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ कराची में विपक्ष का जलसा, कुछ बदलेगा?

पाकिस्तान में इमरान ख़ान की सरकार के ख़िलाफ़ 11 पार्टियाँ संयुक्त मोर्चे पीडीएम (ऑल पार्टीज़ डेमोक्रेटिक मूवमेंट) के तहत गुजरांवाला में हुए पहले बड़े प्रदर्शन के बाद रविवार को कराची के जिन्ना-बाग़ में जलसा कर रही हैं. इस रैली में शामिल होने मरियम नवाज़, बिलावल भुट्टो समेत अन्य कई नेता पहुंचे हैं.

मरियम नवाज़ पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की बेटी हैं और बिलावल भुट्टो पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो के बेटे हैं.

बाग़-ए-जिन्ना में रैली की तैयारी करने वाली पाकिस्तान पीपल्स पार्टी का कहना है कि नवाज़ शरीफ़ के ऑनलाइन भाषण की तैयारियाँ भी पूरी कर ली गई हैं.

इस रैली में विशेष अथिति पीएमएल-एन (पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन) की नेता मरियम नवाज़ हैं जो सिंध में अपनी राजनीति की शुरुआत कर रही हैं.

मरियम नवाज़ हवाई मार्ग से कराची पहुँचीं और पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की मज़ार पर भी गईं. पीएमएल-एन नेता और पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद ख़ान अब्बासी और पार्टी के अन्य नेता भी उनके साथ मौजूद रहे.

जनता का प्रतिनिधित्व ठीक से नहीं कर पाए: मरियम नवाज़

इससे पहले कराची के एक होटल में मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में मरियम नवाज़ ने कहा कि उन्हें कराची में जिस तरह से प्यार मिला वह याद रहेगा. उन्होंने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि जनता महंगाई से परेशान है.

उन्होंने ये भी कहा, ''हम जनता का सही तरह से प्रतिनिधित्व नहीं कर सके.''

दो दिन पहले विपक्षी गठबंधन की पहली रैली गुजरांवाला में हुई थी जिसमें पीएमएल-एन के नेता नवाज़ शरीफ़ ने अपने भाषण में सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा पर अपनी सरकार को विदा करने और इमरान ख़ान की सरकार के लिए जोड़तोड़ करने का आरोप लगाया था.

इसी बीच पीडीएम के प्रमुख मौलाना फज़लुर्रहमान भी कराची पहुँचे हैं और उन्होंने एक निजी अस्पताल में भर्ती पूर्व राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी से भी मुलाक़ात की है.

पीडीएम की बैठक शुरू होने से पहले गठबंधन दलों की भी बैठक हुई है.

पीडीएम की पहली रैली में पश्तीन तहरीक आंदोलन के नेतृत्व को आमंत्रित नहीं किया गया था लेकिन इस दूसरी रैली में सांसद मोहसिन डावर भी हिस्सा लेंगे. वो कराची पहुंच चुकी हैं.

पीपीपी नेता नाज़ बलूच ने ट्विटर पर कार्यक्रम स्थल और अपने साथी नेताओं की तस्वीरें शेयर की हैं.

वहीं इमरान ख़ान की सरकार के मंत्रियों ने 11 पार्टियों के गठबंधन की रैली से पहले एक संवाददाता सम्मेलन में गठबंधन की आलोचना की है.

केंद्रीय मंत्री असद उमर ने कहा कि नवाज़ शरीफ़ संस्थाओं के साथ लड़ रहे हैं और ये लोकतंत्र के हित में नहीं हैं.

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ के नेता शहबाज़ गुल ने मरियम नवाज़ पर जिन्ना के मज़ार पर पहुंच कर राजनीतिक नारेबाज़ी करने का आरोप लगाया.

सेना प्रमुख नहीं सेना पर हमला कर रहे हैं विपक्षी: इमरान ख़ान

18 अक्तूबर का पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के लिए ऐतिहासिक महत्व भी है.

13 साल पहले इसी दिन पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो के काफ़िले पर आत्मघाती हमला किया गया था जिसमें पार्टी के करीब 200 कार्यकर्ता मारे गए थे और 500 लोग घायल हो गए थे. उस वक़्त भुट्टो आठ साल के निर्वासन के बाद देश लौटीं थीं.

गुजरांवाला में हुई रैली में नवाज़ शरीफ़, मरियम नवाज़ और बिलावल भुट्टो ने इमरान ख़ान और सेना प्रमुख पर आक्रामक होकर हमला किया था.

शनिवार को इमरान ख़ान ने एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि ये हमला सेना प्रमुख नहीं बल्कि सेना पर ही था.

क्या कराची में भी ऐसी ही तीख़ी बयानबाज़ी होगी?

पत्रकार मुबाशिर ज़ैदी का मानना है कि कराची में भी सरकार विरोधी भावनाएं हैं और यहाँ विपक्ष का हमला गुजरांवाला से भी ज़्यादा आक्रामक होगा.

वहीं, कराची यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफ़ेसर डॉक्टर जफ़र अहमद का कहना है कि कराची की राजनीति में सक्रिय एमक्यूएम और पीटीआई दोनों ही सत्ता के साथ हैं. महंगाई और दूसरे मुद्दे कराची में भी मौजूद हैं लेकिन किसी भी पार्टी ने अभी तक इस पर शोर नहीं मचाया है.

पिछले चुनावों में पीटीआई और एमक्यूएम ने कराची से सबसे ज़्यादा सीटें जीती थीं. दोनों पार्टियाँ अब केंद्र में सहयोगी हैं जबकि सिंध में वो विपक्ष की भूमिका निभा रही हैं.

पत्रकार मुबाशिर ज़ैदी का कहना है कि एमक्यूम का प्रदर्शन गिर गया है और पीटीआई ने भी मतदाताओं को निराश किया है. ऐसे में कराची का यह विरोध प्रदर्शन पीडीएम को फ़ायदा पहुँचाएगा.

जनता की सहानुभूति है लेकिन...

कराची में उर्दू भाषी आबादी पर अपना असर रखने वाले जमात-इस्लामी ने विपक्षी गठबंधन से ख़ुद को दूर कर लिया है.

वहीं, मुस्तफ़ा कमाल की पाक सरज़मीन पार्टी (पीएसपी) और अफ़क़ अहमद की एमक्यूएम वास्तव में गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं.

पीएमएल-एन ने 1990 के दशक में सिंध में दो बार प्रांतीय सरकार का गठन किया था. उसन पिछले स्थानीय निकाय के चुनावों में भी कई सीटें जीतीं.

प्रोफ़ेसर तौसीफ़ अहमद कहते हैं कि पंजाबी और हजारा लोगों के बीच पीएमएल-एन की सहानुभूति है लेकिन यह लामबंद नहीं हुआ है.

वहीं, डॉक्टर जाफ़र अहमद कहते हैं कि कुछ लोग हमदर्दी की वजह से मरियम नवाज़ को सुनने के लिए जा सकते हैं लेकिन सच तो ये है कि उन्होंने जनता के लिए ज़मीन पर कुछ ख़ास काम नहीं किया है.(bbc)

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