सामान्य ज्ञान

शिलप्पदिकारम्
20-Oct-2020 9:06 AM
शिलप्पदिकारम्

शिलप्पदिकारम्  तमिल भाषा का महाकाव्य है।  इसे तमिल के पांच महाकाव्यों में शीर्ष स्थान प्राप्त है। इसे काव्य, संगीत और नाटक की विशेषताओं से युक्त स्वच्छंद कवितामय कथा कहा गया है। कुछ लोग इसे काव्यरूपक भी कहते हैं। तीस सर्गो का यह महाकाव्य चोल, पांड्य और चेर- इन तीन राजवशों को अपने समाहित किए हुए है।  इसके रचयिता चेर राजवंश में उत्पन्न अलंगो अडिगल बचपन में ही संन्यासी बन गए थे। उनका समय ईसा की दूसरी  शताब्दी माना जाता है। कवि ने अपने काव्य में लिखा है- 1. नियति के हाथों कोई बच नहीं सकता है। 2. पवित्रता की अर्चना  देवता भी करते हैं और 3.  शासन में चूकने  वाले राजा को  स्वयं धर्म देवता आकर दंड देते हैं। 
 

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