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- वात्सल्य राय
क्रिकेट वही है. आईपीएल का टूर्नामेंट वही है. टीम के ज़्यादातर खिलाड़ी भी वही हैं और सबसे बढ़कर कप्तान भी वही हैं, महेंद्र सिंह धोनी. लेकिन, चेन्नई की टीम वहां नहीं है, जहां बीते 12 साल से दिखती थी.
नौ बार फ़ाइनल खेल चुकी और तीन बार ट्रॉफी पर अपना नाम लिखा चुकी चेन्नई सुपर किंग्स आईपीएल की उन टीमों में शुमार रही है, जो अमूमन टॉप पोजीशन के आसपास रहती हैं.
लेकिन, आईपीएल-13 में सोमवार को चेन्नई सबसे नीचे यानी आठवें नंबर पर पहुंच गई.
धोनी भी वहां नहीं दिखते, जहां वो थे. उनके हाथ से कैच फिसल रहे हैं. रन लेते वक़्त दौड़ते समय वो हांफते दिखते हैं और वो रन आउट भी हो रहे हैं. उनका बल्ला पहले की तरह गेंद से संपर्क नहीं कर पा रहा है. उनके हाथ से 'बेस्ट फिनिशर' का टैग फिसला जा रहा है. अब वो पिच पर नाबाद खड़े रह जाते हैं और टीम को हार का मुंह देखना पड़ता है.
और, टीम की साख? साख भले ही 'रसातल' तक न पहुंची हो, लेकिन रुतबे पर चोट गहरी हुई है और आलोचक बर्छियां और भाले लेकर तैयार खड़े हैं.
जब भी चेन्नई सुपर किंग्स साख के पैमाने पर कोई पायदान फिसलती है, वो चोट मार देते हैं. कम से कम पूर्व क्रिकेटर और आईपीएल में कमेंट्री कर रहे आकाश चोपड़ा ने तो ट्विटर पर ऐसा ही इशारा किया है.
चेन्नई के जहाज में छेद?
टीम जहां और जिस हाल में है, उससे चेन्नई के कप्तान धोनी अनजान हों, ऐसा भी नहीं है. ट्रोल्स की फ़ौज या आलोचक जो बात कह रहे हैं, उसे एक 'सच' के रूप में धोनी ख़ुद भी बयान कर चुके हैं.
बीती 10 अक्तूबर को रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के हाथों चेन्नई को हार को मिली तो धोनी ने कहा, "(चेन्नई सुपर किंग्स के) जहाज में कई छेद हो चुके हैं."
अब से दस दिन पहले ये बयान उस शख्स ने दिया, जिन्हें सिर्फ़ चेन्नई सुपर किंग्स और आईपीएल ही नहीं बल्कि 21वीं सदी के क्रिकेट इतिहास के सबसे कामयाब और करिश्माई कप्तानों में गिना जाता है.
जिन्होंने क्रिकेट के हर फॉर्मेट में, ज़्यादातर टूर्नामेंट्स और आईपीएल में भी लगभग हारी हुई बाजियां जीतने का कमाल किया है. ऐसे ही कमाल और करिश्मों के दम पर उन्हें 'मैजिकल' जैसे उपनाम मिले और फैन्स ने 'जो जीता वो धोनी' जैसे जुमले गढ़ लिए.
शिखर से फिसले?
लेकिन, लगता यही है कि सुनहरे दिनों की विदाई की आहट धोनी ने भी सुन ली थी. 15 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का एलान शायद इसी का नतीजा था.
फिर भी आईपीएल शुरू हुआ तो ब्रांड धोनी का करिश्मा रत्ती भर हिला नहीं था. तब भी जब उनके ही साथ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने वाले चेन्नई सुपर किंग्स के स्टार बल्लेबाज़ सुरेश रैना और अनुभवी स्पिनर हरभजन सिंह ने आईपीएल-13 से अलग होने का एलान किया.
आखिर, धोनी ने साल 2018 में टीम को आईपीएल चैंपियन बनाया था और बीते सीजन में भी उनकी टीम रनर्स अप थी. ट्रॉफी और उनकी टीम के बीच सिर्फ़ एक रन का फ़ासला रह गया था. फैन्स भी चाहते थे, क्रिकेट से 'संपूर्ण विदाई' के पहले मैदान पर 'माही मैजिक' का दीदार हो जाए.
जीत शुरुआत से, फिर हार ही हार
साल 2020 में धोनी की टीम ने आईपीएल-13 में अपने अभियान की शुरुआत डिफेंडिंग चैंपियन मुंबई इंडियन्स को हराकर की. दूसरे मैच में राजस्थान रॉयल्स से चेन्नई की टीम हारी लेकिन 200 रन बनाकर.
लेकिन, इसी मैच से चेन्नई ख़ासकर कप्तान पर सवाल उठने लगे. बैटिंग ऑर्डर में धोनी के नीचे खेलने पर सवाल उठे. हर हार के साथ सवाल तीखे होते गए. टॉप ऑर्डर ख़ासकर शेन वॉटसन की नाकामी को लेकर भी सवाल हुए. मिडिल ऑर्डर के बेजान होने और केदार जाधव को 'ढोते जाने' को लेकर कप्तान को कठघरे में खड़ा किया गया.
वॉटसन ने दो मैचों में बल्ले का दम दिखाया. किंग्स इलेवन पंजाब के ख़िलाफ़ उनकी पारी ने चेन्नई को जीत दिला दी. कोलकाता नाइट राइडर्स के ख़िलाफ़ उनकी हाफ सेंचुरी के बाद भी टीम 10 रन से हार गई.
कुछ फिट नहीं-कुछ हिट नहीं
फ़ाफ डू प्लेसी चेन्नई के सबसे कामयाब बल्लेबाज़ हैं. 375 रनों के साथ वो सीज़न के तीसरे सबसे कामयाब बल्लेबाज़ हैं, लेकिन उनके बल्ले में वॉटसन, धोनी या रैना वाला वो ज़ोर नहीं है जो चेन्नई की कश्ती को जीत के किनारे तक ले जा सके.
फिटनेस फैक्टर ने भी कप्तान के गेम प्लान पर असर डाला है और चेन्नई को चोट दी है. मुंबई के ख़िलाफ़ पहले मैच में जीत की पटकथा लिखने वाले अंबाती रायुडू उसी मैच में अनफिट हो गए और अगले दो मैचों में नहीं खेल पाए. दोनों मैचों में चेन्नई को हार मिली.
ड्वेन ब्रावो दिल्ली के ख़िलाफ़ मैच के दौरान अनफिट हो गए और आखिरी ओवर में गेंदबाज़ी के लिए मौजूद नहीं रहे और इसे चेन्नई की हार की बड़ी वजह माना गया. दिल्ली को आखिरी ओवर में जीत के लिए 17 रन बनाने थे जो रवींद्र जडेजा की गेंद पर अक्षर पटेल ने आसानी से बना लिए.
साथ नहीं किस्मत?
धोनी ने सीमित विकल्पों को अदल-बदल कर टीम की किस्मत पलटने की कोशिश भी की लेकिन ऐसे ज़्यादातर प्रयोग नाकाम साबित हो रहे हैं.
मसलन सैम करन ओपनिंग में नहीं चल पा रहे हैं. जहां राशिद ख़ान, युजवेंद्र चहल, अक्षर पटेल, श्रेयस गोपाल और राहुल तेवतिया जैसे स्पिनर कामयाब हो रहे हैं, वहीं पीयूष चावला जैसे स्पिनर बेअसर साबित हो रहे हैं.
डू प्लेसी के अलावा चेन्नई का कोई बल्लेबाज़ आईपीएल-10 के सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले दस बल्लेबाज़ों में नहीं है. इसी तरह सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले 10 गेंदबाज़ों मे चेन्नई का कोई बॉलर नहीं है.
धोनी के दांव चलते या करीबी मैचों के नतीजे चेन्नई के ख़िलाफ़ न जाते तो इस सीजन में भी धोनी के धमाल की चर्चा हो रही होती.
सवाल ही सवाल
लेकिन अब टीम की 'सामूहिक नाकामी' को लेकर सबसे ज़्यादा सवाल धोनी से पूछे जा रहे हैं. आलोचकों की राय में रैना और हरभजन के विकल्प नहीं तलाशकर, वॉटसन और ब्रावो जैसे उम्रदराज़ खिलाड़ियों पर ज़्यादा भरोसा दिखाकर, पिछले सीजन के कामयाब गेंदबाज़ इमरान ताहिर और युवा खिलाड़ियों को मौके न देकर कप्तान के तौर पर धोनी ने ग़लतियां कीं और टीम को खामियाजा उठाना पड़ा.
धोनी ने मुताबिक युवाओं को मौके न देने से जुड़ी आलोचना, "जायज है. इस साल हम ऐसा नहीं कर पाए. शायद हमें अपने कुछ युवा खिलाड़ियों में वो चमक नहीं दिखी. हो सकता है, आने वाले मैचों में हम उन्हें मौका दें और वो बिना दबाव के खेल सकें."
धोनी भविष्य की बात कर रहे हैं. वो भी तब जब आईपीएल-13 में चेन्नई की टीम 10 मैच खेल चुकी है और अब ज़्यादा मौके बचे नहीं हैं. लेकिन, सोमवार को ही राजस्थान के ख़िलाफ़ मैच में धोनी ने संजू सैमसन का कैच एक हाथ से थामकर दिखाया कि वो अब भी मुश्किल मौकों को पकड़ना जानते हैं.
नंबर 7 का जादू
शायद इसीलिए 'सात नंबर के सिकंदर' कहे जाने वाले धोनी की टीम को सात विकेट से हराने में नाबाद 70 रन का योगदान देने वाले विकेटकीपर बल्लेबाज़ जोस बटलर, मैच के बाद मैन ऑफ़ द मैच की ट्रॉफी के बजाए धोनी की सात नंबर की जर्सी दिखाते नज़र आए.
वजह है, इस जर्सी से जुड़ा जादू. जिसे फैन्स भी देखना चाहते हैं और धोनी भी ढूंढना चाहते हैं.(bbc)