राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 22 अक्टूबर| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वर्चुअल माध्यम से पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजन समारोह में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि दुर्गा पूजा का पर्व भारत की एकता और पूर्णता का पर्व भी है। बंगाल की दुर्गा पूजा भारत की इस पूर्णता को एक नई चमक देती है, नए रंग देती है, नया श्रृंगार देती है। प्रधानमंत्री मोदी ने राजधानी दिल्ली से पश्चिम बंगाल की जनता को संबोधित करते हुए कहा, मेरे भाइयों और बहनों आज भक्ति की शक्ति ऐसी है, जैसे लग रहा है कि मैं दिल्ली में नहीं लेकिन आज मैं बंगाल में आप सभी के बीच उपस्थित हूं। जब आस्था अपरम्पार हो, मां दुर्गा का आशीर्वाद हो, तो स्थान, स्थिति, परिस्थिति, से आगे बढ़कर पूरा देश ही बंगालमय हो जाता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुर्गा पूजा का पर्व भारत की एकता और पूर्णता का पर्व भी है। बंगाल की दुर्गा पूजा भारत की इस पूर्णता को एक नई चमक देती है, नए रंग देती है, नया श्रृंगार देती है। ये बंगाल की जागृत चेतना का, बंगाल की आध्यात्मिकता का, बंगाल की ऐतिहासिकता का प्रभाव है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बंगाल की भूमि से निकले महान व्यक्तियों ने जब जैसी आवश्यकता पड़ी, शस्त्र और शास्त्र से, त्याग और तपस्या से मां भारती की सेवा की। उन्होंने कहा, बंगाल की माटी को अपने माथे से लगाकर जिन्होंने पूरी मानवता को दिशा दिखाई, उन रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, चैतन्य महाप्रभु, ऑरोबिंदो, बाबा लोकनाथ, ठाकुर अनुकूल चंद्र, मां आनंदमयी को मैं प्रणाम करता हूं।
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कुछ ग्लेशियर आगे भी बढ़ रहे हैं: जियोलॉजी के प्रोफेसर
लखनऊ, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)| लखनऊ विश्वविद्यालय में जियोलॉजी के प्रोफेसर ध्रुवसेन सिंह ने कहा है कि हिमालय में ग्लेशियर पीछे हट रहे हैं, लेकिन कुछ आगे बढ़ रहे हैं जो यह साबित करते हैं कि इस घटना के पीछे केवल ग्लोबल वामिर्ंग ही कारण नहीं है। सिंह 2007 और 2008 में आर्कटिक में चलाए गए भारत के पहले और दूसरे अभियान का हिस्सा थे। उन्होंने केंद्रीय पृथ्वी मंत्रालय द्वारा हिन्दी में आयोजित अखिल भारतीय ऑनलाइन व्याख्यान श्रृंखला में 'गंगोत्री ग्लेशियर और क्लाइमेट चेंज: नेचुरल या एन्थ्रोपोजेनिक' में अपनी बात रखी।
उन्होंने कहा, "हिमालय के सभी ग्लेशियर पीछे हटें हैं लेकिन पीछे हटने की दरें अलग-अलग हैं। साथ ही कुछ ग्लेशियर आगे भी बढ़ रहे हैं। इससे पता चलता है कि इन घटनाओं के पीछे केवल ग्लोबल वामिर्ंग ही कारण नहीं है। हालांकि, ग्लोबल वामिर्ंग ने जलवायु से जुड़े कई बदलाव किए हैं। ऐसे में हमें ग्लेशियरों में हुए बदलावों के पीछे मानवजनित/प्राकृतिक कारकों का पता लगाने के लिए गहन शोध की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, "1935 से पीछे हट रहे गंगोत्री ग्लेशियर के पैटर्न से पता चलता है कि यह छोटा हो रहा है, इसके साथ ही इसके पीछे हटने की दर भी लगातार घट रही है। जब भी तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है, तो ग्लेशियर पिघलेंगे/पीछे हटेंगे, लेकिन इनके पीछे हटने की दर कम हो रही है, जबकि इस मुद्दे पर कई संगठनों ने भय का खासा माहौल बनाया है।" (आईएएनएस)