राष्ट्रीय

दिल्ली हिंसा : ताहिर हुसैन की जमानत याचिका खारिज, कोर्ट ने 'सरगना' बताया
22-Oct-2020 4:48 PM
दिल्ली हिंसा : ताहिर हुसैन की जमानत याचिका खारिज, कोर्ट ने 'सरगना' बताया

नई दिल्ली, 22 अक्टूबर| दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन द्वारा तीन मामलों में दायर जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने दिल्ली के दंगों में उनकी सक्रिय भूमिका के सबूत के आधार पर याचिकाओं को खारिज कर दिया और यह भी कहा कि उन्होंने धन और अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल करते हुए 'सरगना' की तरह हिंसा की योजना बनाई। पूर्व राजनीतिक नेता ने दिल्ली दंगों के मामले से संबंधित तीन मामलों में जमानत की मांग की थी। इन तीनों के अलावा हुसैन सांप्रदायिक दंगों के आठ अन्य मामलों में भी अभियुक्त माने गए हैं।

गौरतलब है कि फरवरी में हुई हिंसा में सीएए समर्थकों और सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों के कारण स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई थी। हिंसा में 53 लोग मारे गए और 748 लोग घायल हुए थे।

उनकी तीन याचिकाओं को खारिज करते हुए एडिशनल सेशंस न्यायाधीश विनोद यादव ने कहा, "यह स्पष्ट है कि उन्होंने अपने धन और राजनीतिक दबदबे का इस्तेमाल सांप्रदायिक संघर्ष की योजना बनाने, उकसाने और उन्हें भड़काने में सरगना के रूप में काम किया। मुझे लगता है कि रिकॉर्ड में पर्याप्त तथ्य मौजूद हैं, जो साबित करते हैं कि आवेदक मौके पर मौजूद था और दंगाइयों को उकसा रहा था।

कोर्ट ने आगे कहा कि हुसैन ने दंगाइयों को 'मानव हथियारों' के रूप में इस्तेमाल किया, जो उनके इशारे पर किसी को भी मार सकते थे। न्यायाधीश ने आगे कहा, "दिल्ली दंगा 2020, बड़ी वैश्विक शक्ति बनने की आकांक्षा वाले देश की अंतरात्मा में एक गहरा घाव है। आवेदक के खिलाफ आरोप अत्यंत गंभीर हैं।"

कोर्ट ने कहा कि स्वतंत्र गवाहों के रूप में पर्याप्त साक्ष्य हैं, जिनका यह मानना है कि आवेदक अपराध के स्थान पर मौजूद था और दंगाइयों को प्रेरित कर रहा था।

उन्होंने आगे कहा, "मुझे एक प्रसिद्ध अंग्रेजी उद्धरण की याद आ रही है, जिसमें कहा गया है कि जब आप अंगारे से खेलना चाहते हैं, तो आप हवा को दोष नहीं दे सकते कि चिंगारी थोड़ी दूर तक ही जाए और आग फैल जाए। ऐसे में आवेदक का यह कहना कि उसने शारीरिक तौर पर दंगे में भाग नहीं लिया, इसलिए दंगों में उसकी कोई भूमिका नहीं है, यह उचित नहीं है।"

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने आगे कहा, "यह रिकॉर्ड किया जाए कि इन मामलों में सार्वजनिक गवाह एक ही इलाके के निवासी हैं और यदि इस समय आवेदक को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो आवेदक द्वारा उनको धमकी देने या उन्हें डराने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, मुझे जमानत देना उपयुक्त नहीं लग रहा।"

वरिष्ठ अधिवक्ता के.के. मेनन और अधिवक्ता उदित बाली ने हुसैन का प्रतिनिधित्व करते हुए तर्क दिया था कि उनके मुवक्किल को 'जांच एजेंसी और उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा कानून का दुरुपयोग करके उन्हें परेशान करने के उद्देश्य से' झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है।

विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) मनोज चौधरी ने तीनों जमानत याचिकाओं का विरोध किया और कहा कि हुसैन के कॉल डिटेल रिकॉर्ड घटनाओं की तारीखों पर अपराध स्थल पर और उसके आसपास दर्ज हुए हैं, जो उनकी मौजूदगी की पुष्टि करते हैं। (आईएएनएस)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news