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बिहार चुनाव में मुफ़्त कोरोना वैक्सीन को लेकर सियासत गरमाई
23-Oct-2020 5:51 PM
बिहार चुनाव में मुफ़्त कोरोना वैक्सीन को लेकर सियासत गरमाई

नई दिल्ली, 23 अक्टूबर | बहुत मुमकिन है कि आपको बिहार में कोरोना के मरीज़ों की कुल संख्या का अंदाज़ा ना हो और न ये जानकारी हो कि कोरोना से बिहार में अब तक कितने लोगों की जान गई.

लेकिन इतना ज़रूर है कि अब तक वैक्सीन मुफ़्त में मिलने की ख़बर आप तक पहुँच ही गई होगी.

बिहारवासियों के लिए कोरोना का टीका निशुल्क होगा. ये भारतीय जनता पार्टी के चुनावी संकल्प पत्र का हिस्सा है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पटना में संकल्प पत्र जारी करते हुए इसकी घोषणा की है. इसके बाद से ही भाजपा पर कोरोना महामारी के राजनीतिकरण का आरोप लगने लगा.

दुनिया भर में कोरोना महामारी का प्रकोप अब भी जारी है. पूरे यूरोप में कोरोना की दूसरी और तीसरी लहर की बात चल रही है. इस दौर में कई देशों में चुनाव हुए.

लेकिन टीकाकरण को चुनावों से अलग रखा गया. ताज़ा उदाहरण अमरीका के चुनाव का है. 3 नवंबर को वहाँ वोटिंग होनी है. लेकिन अमरीका में भी ट्रंप सरकार ने ऐसी कोई घोषणा नहीं की है.

पार्टियों का केंद्र सरकार पर निशाना

बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा है, "कोरोना का टीका देश का है, भाजपा का नहीं! टीका का राजनीतिक इस्तेमाल दिखाता है कि इनके पास बीमारी और मौत का भय बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं है! बिहारी स्वाभिमानी हैं, चंद पैसों में अपने बच्चों का भविष्य नहीं बेचते."

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लिखा, "भारत सरकार ने कोविड वैक्सीन वितरण की घोषणा कर दी है. ये जानने के लिए कि वैक्सीन और झूठे वादे आपको कब मिलेंगे, कृपया अपने राज्य के चुनाव की तारीख़ देखें."

इसी तरह से उमर अब्दुल्लाह, सीताराम येचुरी, अखिलेश यादव जैसे दूसरी पार्टियों के नेताओं ने भी भाजपा के इस संकल्प पर सवाल खड़े किए हैं.

मामला बढ़ता देख भाजपा नेता भूपेन्द्र यादव ने तो इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में फ़्री कोरोना वैक्सीन की तुलना किसानों की क़र्ज़ माफ़ी की घोषणा से कर दी.

भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्विटर पर स्पष्टकीकरण देते हुए लिखा, "बीजेपी के मेनिफ़ेस्टो में फ़्री कोरोना वैक्सीन का वादा है. बाक़ी केंद्रीय प्रोग्राम के तहत भारत सरकार वैक्सीन हर राज्य को मामलूी दर पर उपलब्ध कराएगी. ये राज्य सरकारों पर है कि वो चाहे तो वैक्सीन को राज्य की जनता के लिए मुफ्त़ उपलब्ध कराएँ या दूसरे विकल्प तलाशें. स्वास्थ्य विषय राज्यों के अधीन आता है. बिहार बीजेपी ने इसे मुफ़्त में देने का फ़ैसला किया है. बात इतनी सी है."

राज्य सरकारों की प्रतिक्रिया

अमित मालवीय के कहने की देरी थी, बिहार चुनाव के फ़्री कोरोना वैक्सीन के मुद्दे पर अलग-अलग राज्य सरकारों ने भी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी. तमिलनाडु सरकार ने चुनाव से महीनों पहले फ़्री वैक्सीन का वादा कर दिया.

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने #वैक्सीनइलेक्शनिज़्म नाम से दो ट्वीट किए और कहा कि बिहार के लिए जो घोषणा की गई है, उससे लगता है कि बाक़ी राज्यों के लिए वैक्सीन फ़्री नहीं होगी.

महाराष्ट्र में सत्ताधारी पार्टी शिवसेना की तरफ़ से संजय राउत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि पहले कहा जाता है कि तुम मुझे ख़ून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा. अब कहा जा रहा है कि तुम मुझे वोट दो, मैं तुम्हें वैक्सीन दूँगा. ये सही नहीं है. वैक्सीन के मुद्दे पर राजनीति ठीक नहीं.

दिल्ली में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने ट्वीट कर पूछा है कि जहाँ बीजेपी सत्ता में नहीं है, उन राज्यों में क्या?

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि उनके राज्य में उन ग़रीब लोगों को, जो वैक्सीन का ख़र्च वहन नहीं कर पाएँगे, उनको फ़्री में कोरोना वैक्सीन मुहैया कराई जाएगी. मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार है.

कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तराखंड और ओडिशा ने कहा है कि वैक्सीन के मुद्दे पर बैठक में इस बात पर चर्चा होगी.

लेकिन अभी तक किसी राजनीतिक दल ने रिपोर्ट लिखे जाने तक इस मुद्दे पर चुनाव आयोग या कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने की बात नहीं कही है.

चुनाव आयोग के नियम

चुनाव आयोग की तरफ़ से चुनाव के दौरान जारी घोषणा पत्र के लिए नियम बनाए गए हैं, जिसे चुनाव आचार संहिता का ही हिस्सा माना गया है.

इस सूची में धारा 8 में लिखा गया है, "क़ानून स्पष्ट है कि चुनाव घोषणा पत्र में वादों को रिप्रज़ेंटेशन एक्ट की धारा 123 के अंतर्गत 'भ्रष्ट व्यवहार' के तौर पर नहीं माना जा सकता, लेकिन इस बात को वास्तव में ख़ारिज भी नहीं किया जा सकता कि मुफ़्त में चीज़े बाँटने की परंपरा से लोग चुनाव में प्रभावित होते हैं. यह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की जड़ों को हिला देता है."

तो क्या फ़्री कोरोना वैक्सीन के चुनावी वादे को लेकर चुनाव आयोग कोई कार्रवाई कर सकता है?

बीबीसी ने यही सवाल पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त रहे ओपी रावत से पूछा. उन्होंने कहा, "नियम बस इतना कहते हैं कि अगर इस तरह फ़्री बाँटने की कोई घोषणा की जाती है, तो ऐसा करने के लिए संसाधन पार्टी के पास है या नहीं और बजट में प्रावधान किया जा सकता है या नहीं, ये दो सवाल पूछे जाते हैं. अगर इन दोनों सवालों के जवाब हाँ है, तो चुनाव आयोग इसमें कोई एक्शन नहीं ले सकता. फ़्री घोषणाओं के लिए मौजूदा प्रावधानों में संसाधन ना होने पर उसे आचार संहिता का उल्लंघन माना जाता है, ऐसा सुप्रीम कोर्ट का आदेश कहता है."

मतलब ये कि चूँकि स्वास्थ्य विषय पर राज्य सरकार को नियम बनाने का अधिकार है, इसलिए राज्य सरकारें चाहे तो मुफ़्त में कोरोना वैक्सीन बाँटने का बजट में प्रावधान कर सकती है.

ऐसे में सवाल उठेगा कि बिहार के ख़ज़ाने में वैक्सीन ख़रीदने के पैसे हैं या नहीं और राज्य की सरकार क्या तय करती है.

नैतिकता का सवाल

ये तो हुई चुनाव आयोग के नियम की बात. लेकिन कुछ लोग, इस घोषणा को अनैतिक क़रार दे रहे हैं.

आरजेडी ने कहा है कि लोगों को कोरोना का डर दिखा कर वोट माँगने की कोशिश हो रही है. सोशल मीडिया पर लोग ये भी लिख रहे हैं कि अभी वैक्सीन का पता नहीं, कब आएगी, कितने डोज़ लगेंगे, तो पहले से इन बातों को चुनावी वादे में कैसे शामिल किया जा सकता है?

इस बारे में बीबीसी ने बात की वायरोलॉजिस्ट डॉक्टर टी जैकब जॉन से. डॉक्टर टी जैकब जॉन क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर में वायरोलॉजी के रिटायर्ड प्रोफ़ेसर हैं.

वो कहते हैं, "कारगर वैक्सीन जैसे ही बाज़ार में आती है, उसका रजिस्ट्रेशन होता है और वो एक मानवाधिकार का विषय बन जाता है. वो हर इंसान का अधिकार होता है. अगर चुनाव के मौसम में कोई पार्टी कहे कि तुम मुझे वोट दो, मैं तुम्हें तुम्हारा अधिकार (वैक्सीन) मुफ़्त में दूँगा, तो इसका मतलब ये हुआ कि आपके अधिकार आपके पास नहीं है और उसकी क़ीमत आपका वोट है. तो ये सही हुआ क्या? जो आपका अधिकार है, उसे आप चुनावी वादा कैसे बता सकते हैं. कोई गिफ़्ट जैसी बात हो तो समझ आता है."

किसी भी महामारी को रोकना हर सरकार की ज़िम्मेदारी मानी जाती है. ये बात केवल भारत पर ही नहीं, विश्व के हर लोकतांत्रिक देश पर लागू होती है. इसलिए भारत में कोरोना को रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने अपने अपने स्तर पर क़दम उठाए.

भारत सरकार ने पोलियो उन्मूलन के लिए इसी वजह से काम किया, टीबी का टीकाकरण कार्यक्रम इस वजह से ही चलाया जा रहा है.

डॉक्टर जॉन कहते हैं, "भारत में जितने राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम चलाए जा रहें है, वो नि:शुल्क हैं. महामारी के संदर्भ में इसमें तेज़ी लाई जानी चाहिए."

तो ये कैसे तय होता है कि किस बीमारी का टीकाकरण राष्ट्रीय स्तर पर होगा?

इस सवाल के जवाब में वो कहते हैं, "केंद्र सरकार इसके बारे में निर्णय लेती है. निर्णय लेने में उनकी मदद स्वास्थ्य मंत्रालय की टीकाकरण पर बनी तकनीकी समिति करती है. कोरोना टीकाकरण अभियान राष्ट्रीय स्तर पर चलाया जाएगा, इसका फ़ैसला भी उनको करना होगा. एक बार केंद्र सरकार इस टीकाकरण अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर करने की घोषणा करती है, तो वैक्सीन ख़रीदने से लेकर, स्टोरेज, वितरण सब कुछ केंद्र की ज़िम्मेदारी होगी."

कोरोना वैक्सीन के लिए भारत की तैयारी

ग़ौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कोरोना वैक्सीन बाज़ार में आने के बाद वितरण के लिए एक कमेटी का गठन किया है. नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल इसकी अध्यक्षता कर रहे हैं. इस कमेटी की कई बैठकें हो भी चुकी हैं.

पिछली प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार के स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया था कि पहले चरण में डॉक्टर्स और दूसरे हेल्थ स्टॉफ़ को वैक्सीन दी जाएगी. इसके लिए सरकार सभी ज़रूरी इंतज़ाम कर रही है.

भारत में तीन अलग-अलग वैक्सीन बनाने का काम दूसरे और तीसरे चरण में चल रहा है. इसके अलावा रूस, चीन, ब्रिटेन अमरीका में वैक्सीन बनाने का ट्रायल हो रहा है. ब्रिटेन की जिस वैक्सीन का ऑक्सफ़ोर्ड में ट्रायल चल रहा है, उसे भारत में सीरम इंस्टीट्यूट भी तैयार करेगी.

आख़िर में, आपको ये भी जानकारी दे देते हैं कि आधिकारिक तौर पर बिहार में कोरोना के 1 लाख 97 हज़ार मरीज़ हैं और 1 हज़ार से ज़्यादा लोग कोरोना से दम तोड़ चुके हैं, जिनमें दो विधायक, दो मंत्री और 31 डॉक्टर शामिल हैं. (bbc)

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