अंतरराष्ट्रीय
"नवाज़ शरीफ़ सुन लो मेरी बात, आज से मेरी पूरी कोशिश है कि तुम्हें इस मुल्क में वापस लाया जाए और तुम्हें यहाँ आम जेल के अंदर डालेंगे, वो वीआईपी जेल नहीं होगी. ग़रीब आदमी लाखों की चोरी करे, तो वो आम जेल में रहे और जो अरबों की चोरी करे, वो वीआईपीए जेल में रहे. तुम वापस आओ. तुम्हें दिखाते हैं कि कैसे रखते हैं" पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने 17 अक्तूबर को इस्लामाबाद की एक सभा में ये एलान किया था.
इमरान ख़ान काफ़ी ग़ुस्से में थे. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री को 'गीदड़' तक कह डाला और कहा कि 'वो दुम दबाकर भाग गया है और बाहर से बैठकर सेना और सेना प्रमुख के ख़िलाफ़ बोल रहा है.'
उन्होंने विपक्ष को चेतावनी देते हुए कहा, "अब तक जो ये विपक्ष है, उन्होंने एक इमरान ख़ान को देखा है, अब जो वो एक इमरान ख़ान देखेंगे, वो एक अलग इमरान ख़ान है."
दरअसल, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के इस आक्रामक तेवर की वजह है, इन दिनों उनकी सरकार के ख़िलाफ़ विपक्ष का एकजुट हमला.
पाकिस्तान में विपक्ष ने महँगाई, बिजली की क़िल्लत और दूसरे आर्थिक मुद्दों को लेकर इमरान ख़ान सरकार को घेरने के लिए पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) नाम का एक गठबंधन बनाया है.
पीडीएम ने इस महीने 16 और 18 अक्टूबर को दो रैलियाँ कीं, उसमें विपक्ष की ओर से सबसे ज़्यादा मुखर थे बिलावल भुट्टो ज़रदारी और मरियम नवाज़.
बिलावल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो के बेटे हैं. मरियम पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) की उपाध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की बेटी हैं.
लेकिन प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने दोनों को 'बच्चा' बताते हुए कहा है कि वो उनके बारे में बात नहीं करना चाहते हैं.
उनके निशाने पर नवाज़ शरीफ़ हैं, जो इस वक़्त लंदन में हैं और अब इमरान ख़ान सरकार उन्हें वापस लाने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं.
लेकिन सवाल यही है कि क्या नवाज़ शरीफ़ को वापस लाया जा सकेगा?
"15 जनवरी से पहले लाएँगे वापस"
पाकिस्तान के विज्ञान और तकनीक मंत्री फ़व्वाद चौधरी ने तो एक तारीख़ तक दे दी है, उन्होंने बुधवार को पाकिस्तान के एक टीवी चैनल से कहा, "मुझे पूरी उम्मीद है कि सरकार नवाज़ शरीफ़ को 15 जनवरी से पहले वापस लाने में कामयाब रहेगी."
पाकिस्तान सरकार ने इसके लिए ब्रिटेन सरकार को एक ख़त भी लिखा है और पाकिस्तान स्थित ब्रिटेन के उच्चायुक्त से बात भी की है.
गृह मामलों पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के सलाहकार शहज़ाद अकबर ने पाकिस्तान के एक टीवी चैनल पर बताया कि प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल को एक चिट्ठी लिखकर नवाज़ शरीफ़ को वापस भेजे जाने की माँग की है.
शाहज़ाद अकबर ने कहा, "हमने ब्रितानी हुक़ूमत को कहा है कि उनको डिपोर्ट करें, क्योंकि आपके क़ानून के मुताबिक़, वह वहाँ नहीं रह सकते क्योंकि वह विज़िट वीज़ा पर वहाँ गए हैं."
उन्होंने बताया कि ब्रिटेन सरकार के इमिग्रेशन क़ानून के मुताबिक़ चार साल से ज़्यादा की सज़ा पाए हुए शख़्स को डिपोर्ट कर दिया जाता है.
शहज़ाद अकबर ने कहा, "हमने ब्रितानी हुकूमत से कहा है कि वो ये जाँच करा लें कि क्या वो वहाँ अपना इलाज करवा रहे हैं. जहाँ तक हमारी जानकारी है, पिछले एक साल में एक एक्स-रे के अलावा उन्होंने कुछ नहीं करवाया. हमने उनसे कहा है कि वो अपने क़ानून के हिसाब से इस बात की जाँच करा लें कि ये बंदा वहाँ कैसे रह सकता है."
मंत्री फ़व्वाद चौधरी ने कहा कि नवाज़ शरीफ़ का मामला ब्रिटेन में मौजूद ऐसे दूसरे लोगों से अलग है, जिन्हें उनके देशों की सरकारें वापस बुलाना चाहती हैं.
फ़व्वाद चौधरी ने कहा, "बाक़ी लोगों के तो मुक़दमे चल रहे हैं, लेकिन नवाज़ शरीफ़ चूँकि सज़ायाफ़्ता हैं, इसलिए मुझे उम्मीद है कि ब्रितानी हुकूमत इस पर बहुत जल्द फ़ैसला करेगी."
नवाज़ क्यों नहीं आ रहे वापस
हालांकि नवाज़ शरीफ़ ने ये कभी नहीं कहा है कि वो पाकिस्तान वापस जाना ही नहीं चाहते, लेकिन ये ज़रूर बताते रहे हैं कि अपनी 'ख़राब' सेहत की वजह से वो देश नहीं लौट सकते.
पिछले महीने और जुलाई में भी उन्होंने अपने वकील के माध्यम से लाहौर हाईकोर्ट को अपनी मेडिकल रिपोर्ट भेजकर बताया था कि उन्हें डॉक्टरों ने कोरोना वायरस की वजह से बाहर जाने से मना किया है.
उन्होंने बताया कि उनका प्लेटलेट्स काउंट गिरा हुआ है और उन्हें डायबिटीज़, दिल, किडनी और ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्याएँ हैं.
नवाज़ शरीफ़ पिछले साल 20 नवंबर को एक एयर एम्बुलेंस से ब्रिटेन पहुँचे थे, जब लाहौर हाईकोर्ट ने उन्हें इलाज के लिए विदेश जाने की अनुमति दी थी.
तब मंत्री फ़व्वाद चौधरी ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा था कि सरकार नवाज़ शरीफ़ के सेहतमंद होने के लिए दुआ कर रही है.
भ्रष्टाचार के एक मामले में सात साल की सज़ा काट रहे नवाज़ शरीफ़ इसके तीन हफ़्ते पहले ही जेल से रिहा हुए थे. पिछले साल 29 अक्तूबर को इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने मेडिकल आधार पर उनकी सज़ा को छह हफ़्ते के लिए मुल्तवी कर दिया था.
इसके 20 दिन बाद वो ये कहते हुए लंदन गए कि वो चार हफ़्तों के भीतर या डॉक्टरों के उन्हें फ़िट क़रार देते ही लौट आएँगे.
नवाज़ शरीफ़ को सज़ा क्यों हुई?
नवाज़ शरीफ़ तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. पहली बार 1990 से 1993 तक. दूसरी बार 1997 से 1999 तक और अंतिम बार 2013 से 2017 तक.
वो पाकिस्तान के एक अमीर उद्योगपति और कारोबारी भी हैं.
2018 में पनामा पेपर्स लीक के बाद लंदन के पॉश इलाक़े में उनके परिवार के पास अपार्टमेंट होने के मामले में उन्हें भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया गया.
उन्हें 10 साल की सज़ा हुई, लेकिन दो महीने बाद ही वो रिहा कर दिए गए, क्योंकि अदालत ने अंतिम फ़ैसला आने तक सज़ा को स्थगित कर दिया था.
लेकिन दिसंबर 2018 में उन्हें भ्रष्टाचार के एक अन्य मामले में सात साल की सज़ा हुई. इस बार मामला सऊदी अरब में उनके परिवार के पास स्टील फ़ैक्ट्री होने का था.
नवाज़ शरीफ़ सभी आरोपों से इनकार करते हैं और सेना पर उनके राजनीतिक भविष्य को समाप्त करने की साज़िश रचने का आरोप लगाते हैं.
नवाज़ शरीफ़ ने पिछले महीने 20 सितंबर को लंबी ख़ामोशी के बाद एक बहुदलीय बैठक में लंदन से वीडियो लिंक के ज़रिए हिस्सा लिया. उस दौरान उन्होंने कहा था कि विपक्ष की लड़ाई इमरान ख़ान से नहीं उनसे है, जिन्होंने 2018 के चुनाव के ज़रिए उन्हें सत्ता सौंपी.
नवाज़ शरीफ़ ने कहा था, "हम चंद रुपयों की ख़ातिर डाका डालने वालों के ख़िलाफ़ तो बड़ी से बड़ी सज़ा का तक़ाज़ा करते हैं, लेकिन आवाम के हक़ पर डाका डालना कितना संगीन जुर्म है, ये क्या किसी ने सोचा है."
उनकी इस तक़रीर को कई लोगों ने राजनीति में उनकी वापसी का भी नाम दिया. अब नवाज़ शरीफ़ लौटें ना लौटें, लेकिन पाकिस्तान की सियासत में लंबे समय बाद सरगर्मी लौट आई है. (bbc)