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बीजेपी संविधान को बदल कर अपनी पार्टी का मैनिफ़ेस्टो लागू करना चाहती है: महबूबा मुफ़्ती
23-Oct-2020 9:09 PM
बीजेपी संविधान को बदल कर अपनी पार्टी का मैनिफ़ेस्टो लागू करना चाहती है: महबूबा मुफ़्ती

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाया है कि वो भारत के संविधान की जगह अपनी पार्टी के मैनिफ़ेस्टो को लागू करना चाहती है.

शुक्रवार को उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि फ़ारूक़ अब्दुल्लाह की नेशनल कॉन्फ़्रेंस और दूसरी छोटी पार्टियों के साथ बना राजनीतिक गठबंधन पाँच अगस्त, 2019 को 'कश्मीर के क़ानूनी और संवैधानिक अधिकारों पर क़ब्ज़े' के ख़िलाफ़ संघर्ष करता रहेगा.

पाँच अगस्त, 2019 को मोदी सरकार ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत कश्मीर को मिलने वाले विशेष राज्य के दर्जे को ख़त्म कर दिया था और जम्मू-कश्मीर राज्य को ख़त्म कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेश में बाँट दिया था.

भारत सरकार के इस फ़ैसले को उन्होंने 'डाकाज़नी' क़रार दिया और कहा, "जब तक हमलोगों को अपना (जम्मू-कश्मीर) झंडा वापस नहीं मिल जाता, हमलोग भारतीय झंडे को भी नहीं उठाएंगे."

संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत कश्मीर को जो विशेष राज्य का दर्जा हासिल था उसमें उसे राज्य का अलग झंडा रखने का भी अधिकार था.

अनुच्छेद 370 हटाने का फ़ैसला

लेकिन अनुच्छेद 370 के हटने के साथ ही जम्मू-कश्मीर से यह अधिकार छीन लिए गए.

महबूबा मुफ़्ती को दो और पूर्व मुख्यमंत्रियों और सैंकड़ो नेताओं के साथ चार अगस्त, 2019 को ही सरकार ने हिरासत में ले लिया था. बाद में उन पर पब्लिक सेफ़्टी एक्ट भी लगा दिया गया था.

लगभग 14 महीनों तक हिरासत में रहने के बाद इसी महीने सरकार ने उनकी नज़रबंदी ख़त्म करते हुए उन्हें रिहा कर दिया था.

महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि राज्य की आंशिक स्वायत्ता को ख़त्म करने और राज्य का दर्जा घटाकर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बाँटने के फ़ैसले ने आम कश्मीरियों को सबसे ज़्यादा मानसिक आघात पहुँचाया है.

उनका कहना था, "बीजेपी की सरकार जम्मू-कश्मीर में भारत-समर्थक राजनीति को बदनाम करने की कोशिश कर रही है, लेकिन मेरे कार्यकर्ता मज़बूती से अड़े हुए हैं. मेरी पार्टी भी अछूती है सिवाए कुछ लोगों के जो भटक गए हैं."

59 साल की महबूबा मुफ़्ती ने मोदी सरकार पर देश की अत्यावश्यक मामलों को सुलझाने में नाकाम रहने का आरोप लगाया.

मोदी सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा, "जब सरकार अर्थव्यवस्था को संभालने में और लोगों के सशक्तिकरण में फ़ेल हो जाती है तो वो अल्पसंख्यकों और कश्मीर को निशाना बनाती है."

उन्होंने कहा कि अगर कश्मीर का मसला हल नहीं किया गया तो इसके नतीजे बहुत गंभीर होंगे.

उनका कहना था, "मेरे पिता मुफ़्ती साहब (मुफ़्ती मोहम्मद सईद) ने कश्मीर समस्या के शांतिपूर्ण हल का सपना देखा था. आप उस कबूतर की नक़ल नहीं कर सकते हैं जो बिल्ली के सामने अपनी आंखें बंद कर देता है. अगर आप आंखें बंद करते हैं तो बिल्ली आपको खा जाएगी. कश्मीर समस्या के समाधान की ज़रूरत है. इस समस्या का समाधान नहीं होने से इसने लद्दाख़ जैसी दूसरी चिंताओं को जन्म दिया है."

महबूबा के अनुसार भारत सरकार समझती है कि कश्मीर के लोगों की बलि दी जा सकती है.

उनका कहना था, "पाँच अगस्त, 2019 तक भारत सरकार का जम्मू-कश्मीर पर जायज़ नियंत्रण था. लेकिन उन्होंने हमें बेइज़्ज़त कर यह साबित कर दिया कि उन्हें सिर्फ़ हमारी भूमि चाहिए हमारे लोग नहीं. हमें यह पसंद नहीं है और यह इस तरह से नहीं चल सकता है. लाखों लोगों ने शांति और अपनी इज़्ज़त के लिए जान गंवाई हैं. उनका यह बलिदान बेकार नहीं जाएगा."

महबूबा मुफ़्ती ने इस बात पर ज़ोर दिया कि राज्य के संवैधानिक स्वायत्ता को वापस लाना एक राजनैतिक लड़ाई है.

उनका कहना था, "यह लंबी लड़ाई है. सभी राजनेता एक साथ आएं हैं, अब लोगों को भी एक हो जाना चाहिए. हमलोग मिलकर यह करेंगे." (bbc)

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