सामान्य ज्ञान
आजकल कॉम्पैक्ट फ्लोरेसेंट लैम्प (सीएफएल) का चलन बढ़ गया है, लेकिन शोधकर्ताओं के अनुसार सीएफएल का नुकसान यह है कि इससे शरीर में मेलाटोनीन नाम के हारमोन का बनना काफी हद तक प्रभावित होता है। इस कारण सीएफएल पीले रंग की रोशनी देने वाले पारंपरिक फिलामेंट वाले बल्ब की तुलना में स्तन कैंसर को ज्यादा तेजी से बुलावा देता है।
रिपोर्ट के मुताबिक मेलाटोनीन को स्तन और प्रोस्टेट कैंसर से बचाने वाला हारमोन माना जाता है। यह 24 घंटे मस्तिस्क के पीइनीयल ग्लैंड में तैयार होता रहता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जो महिलाएं रात में बल्ब जलाकर सो जाया करती हैं, उनमें स्तन कैंसर का खतरा 22 फीसदी तक बढ़ जाता है। इस लिहाज से रात में रोशनी के बगैर सोना महिलाओं के लिए ज्यादा सुरक्षित है।
अमेरिकन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक शोध के अनुसार सीएफएल का सबसे बड़ा खतरा हमारी आंखों को है। इसकी रोशनी से मोतियाबिंद तथा टेरोजिया होने का खतरा बारह प्रतिशत बढ़ जाता है। सीएफएल से चमकीली रोशनी निकलती है, जिसमें अल्ट्रावॉयलेट विकिरण होता है और यह आंखों को नुकसान पहुंचाता है। सीएफएल की रोशनी टंगस्टन फिलामेंट वाले बल्ब की तुलना में 4-6 गुना अधिक होती है। लेकिन अगर सीएफएल और टय़ूबलाइट खराब होने के बाद खुले में फेंक दी जाए तो उसके परिणाम घातक होते हैं। इनमें इस्तेमाल होने वाले सीसे और पारे जैसी धातुएं कई बीमारियों को जन्म दे सकती हैं। सीएफएल और टय़ूबलाइट में पाया जाने वाला पारा त्वचा पर भी बुरा असर डालता है।
लाफर -वक्र
लाफर -वक्र- (Laffer Curve)-आर्ट लाफर द्वारा प्रतिपादित तथा अमरीकी जर्नलिस्ट जूड वैन्निस्की द्वारा बहुप्रचारित लाफर वक्र उस स्थिति की व्याख्या करता है जब यह मानकर चला जाता है कि यदि करारोपण की दरों को कम कर दिया जाएं तो सरकार को प्राप्त होने वाले राजस्व में वृद्घि होगी,लेकिन यह वृद्घि एक सीमा तक ही होगी ।
करों की दरों में इस सीमा से अधिक कमी कर दिए जाने पर करागत राजस्व में कभी आएगी । पूर्व में अवधारणा को अमरीकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन तथा ब्रिटिश प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर अपना चुके हंै । लेकिन उन्हें सफलता प्राप्त नहीं हुई थी।