अंतरराष्ट्रीय
अमेरिकी सीनेट ने एमी कोनी बैरेट की सोमवार को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में नियुक्ति की पुष्टि कर दी। इसे अमेरिकी न्यायपालिका के लिए एक नए युग की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।
सीनेट में रिपब्लिकन सांसदों ने डेमोक्रेट सांसदों को हराते हुए अदालत में संभवत: एक लंबे समय के लिए कंजर्वेटिव बहुमत सुनिश्चित करा लिया। बैरेट को उदारवादियों की आइकन दिवंगत जज रुथ बेडर गिंसबर्ग की मृत्यु के बाद सुप्रीम कोर्ट में रिक्त हुए पद को भरने के लिए ट्रंप ने मनोनीत किया था।
जीवनकाल के लिए नियुक्त हुई 48 वर्षीय बैरेट सुप्रीम कोर्ट की 115वीं जज बन गई हैं। वो मंगलवार से काम शुरू कर पाएंगी। उनकी नियुक्ति की पुष्टि के बाद संभव है कि अब गर्भपात, सस्ती स्वास्थ्य सेवा और खुद ट्रंप के निर्वाचन जैसे मामलों पर फैसलों के एक नए युग की शुरुआत हो सकती है। वो सुप्रीम कोर्ट में ट्रंप द्वारा मनोनीत तीसरी जज बन गई हैं।
व्हाइट हाउस के साउथ लॉन में उनके शपथ-ग्रहण समारोह में ट्रंप ने कहा, ‘यह अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है।’ करीब 200 लोगों की उपस्थिति में जस्टिस क्लैरेंस थॉमस ने बैरेट को संविधान की शपथ दिलाई। शपथ लेने के बाद बैरेट ने कहा कि वो मानती हैं कि ‘एक जज का काम है कि वो नीतियों को लेकर अपनी पसंद से प्रभावित ना हो’और वो ‘अपना काम बिना किसी डर या पक्षपात के’ करेंगी।
चुनावों से ठीक एक सप्ताह पहले कई महत्वपूर्ण मामलों में फैसला लंबित है और बैरेट का मत इनमें से कई मामलों में निर्णायक साबित हो सकता है।
अहम समय में नियुक्ति
यह पहली बार था जब राष्ट्रपति चुनाव के इतनी करीब सुप्रीम कोर्ट में किसी जज की नियुक्ति हुई। यह अमेरिका के आधुनिक इतिहास में पहली बार था जब अल्पसंख्यक पार्टी ने राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत जज को जरा भी समर्थन ना दिया हो।
डेमोक्रेट सांसदों ने कई हफ्तों तक यह कहा कि उनकी नियुक्ति पर मतदान में गलत तरह से जल्दबाजी की जा रही है। यहां तक की रविवार को पूरी रात जिरह करते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि रिक्त पद को भरने के लिए किसी का नाम मनोनीत करने का अधिकार उसे मिलना चाहिए जो तीन नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में अपनी जीत दर्ज करे।
चुनावों से ठीक एक सप्ताह पहले कई महत्वपूर्ण मामलों में फैसला लंबित है और बैरेट का मत इनमें से कई मामलों में निर्णायक साबित हो सकता है। इनमें नार्थ कैरोलाइना और पेंसिल्वेनिया राज्यों में ऐब्सेंटी बैलट की समय सीमा बढ़ाना और ट्रंप की इमरजेंसी अपील कि मैनहैटन डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी को उनके आयकर रिटर्न हासिल करने से रोका जाए शामिल हैं। 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में ओबामा युग के अफोर्डबल केयर कानून पर भी सुनवाई होनी है, जिसे ट्रंप के कहने पर चुनौती दी गई है। सीके/एए (एपी)