सामान्य ज्ञान
खाने पीने की, इत्र या फिर इंसानी शरीर की खुशबू, या किसी भी और तरह की खुशबू हो। कई बार नाम भले न याद आए लेकिन हमें गंध जरूर याद रह जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इंसानी नाक करीब एक हजार अरब तरह की गंध पहचान सकती है।
दशकों तक वैज्ञानिकों का मानना रहा है कि मानव नाक करीब 10 हजार तरह की गंध पहचान सकती है। वहीं इंसान की नजर और सुनने की क्षमता को इससे ज्यादा सक्षम माना जाता रहा है। लेकिन नई अमरीकी रिसर्च के अनुसार इंसान की नाक की अलग-अलग तरह की गंध को पहचानने की क्षमता उससे कहीं ज्यादा है जितना कभी किसी ने सोचा होगा। घ्राण क्षमता के बारे में पहले की जा चुकी रिसर्चों में करीब 400 तरह के गंध रेसेप्टरों यानि अभिग्राहकों की मदद ली गई। ये रिसर्च 1920 के दशक की हैं जिनके समर्थन में डाटा भी उपलब्ध नहीं है। रिसर्चरों ने अनुमान लगाया कि इंसान की आंख मात्र तीन अभिग्राहकों की मदद से लाखों रंगों के बीच अंतर कर सकती है। वहीं इंसान का कान तीन लाख चालीस हजार तरह की आवाजें पहचान सकता है।
नए अमरीकी रिसर्च को अंजाम देने के लिए वैज्ञानिकों ने 128 अलग-अलग तरह की गंध वाले कणों को 26 लोगों पर टेस्ट किया। मनुष्य के जमीन से उठ कर सीधे होकर चलने की विकास प्रक्रिया से भी सूंघने की क्षमता घटी है। इंसानों के पूर्वजों की जीवनशैली मूल रूप से सूंघने की शक्ति पर निर्भर थी। लेकिन आधुनिक जीवन में सफाई और चीजों को फ्रिज में रखने के कारण हमारे इर्द गिर्द मौजूद गंधों की संख्या भी घटी है।