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कोरोना वैक्सीन किसे मुफ्त, किसे पहले, जानें क्या कहना है केंद्रीय समूह का !
28-Oct-2020 8:56 AM
कोरोना वैक्सीन किसे मुफ्त, किसे पहले, जानें क्या कहना है केंद्रीय समूह का !

Photo: Flickr

बिहार चुनाव में भाजपा ने अपने घोषणा में सबको कोविड-19 की मुफ्त वैक्सीन देने का वादा किया है

- Banjot Kaur

कोविड-19 वैक्सीन किसको पहले दी जाएगी या मुफ्त में दी जाएगी या नहीं, अब तक यह नहीं किया गया है। इस बात की जानकारी केंद्र सरकार द्वारा कोविड-19 वैक्सीन के लिए गठित विशेषज्ञों के समूह ने दी।

यह बयान ऐसे समय में आया है, जब सतारूढ़ भारतीय जनता पार्टी बिहार चुनाव में यह वादा कर रही है कि बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार बनी तो बिहार में सबसे पहले मुफ्त में वैक्सीन वितरित की जाएगी।

इस विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष विनोद पॉल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वैक्सीन पहले किसे दी जाएगी, ऐसे सिद्धांतों पर विचार विमर्श किया जा रहा है, क्योंकि अगर वैक्सीन की आपूर्ति असीमित नहीं होती है तो हमें इसकी प्राथमिकता तय करनी ही होगी।

उन्होंने कहा कि कुछ राज्य सरकारों ने इस तरह के बयान दिए हैं, जिनका हम सम्मान करते हैं, लेकिन हमने राज्यों से अनुरोध किया है कि जब तक पूरी तस्वीर सामने नहीं आ जाती, तब तक वे इंतजार करें।

पॉल ने कहा कि वैक्सीन वितरण के मानदंड तय करने के लिए एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण को अपनाया जाना चाहिए।

उन्होंने दावा किया कि जहां तक वैक्सीन की पहुंच का सवाल है, संसाधनों की कोई कमी नहीं होगी। प्राथमिकता के हिसाब से वैक्सीन की पहुंच बनाने में कोई समस्या नहीं आएगी।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिहार के लोगों के लिए फ्री-फॉर-ऑल ’वैक्सीन का दावा किया था। हालांकि, उनके सहयोगी केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने अपने साप्ताहिक सोशल मीडिया कार्यक्रम के कम से कम दो एपिसोड में कहा था कि इसे सबसे पहले स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन पर काम करने वाले अन्य लोगों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।

हर्षवर्धन के मुताबिक, केंद्र सरकार ने न सिर्फ बिहार बल्कि देश के सभी राज्यों को प्राथमिकता वाले समूहों की सूची तैयार करने और इसे अक्टूबर-अंत तक केंद्र में जमा करने की बात कही थी।

प्रदूषण और कोविड-19

क्या दिल्ली के बढ़ते वायु प्रदूषण का कोविड-19 मृत्यु दर पर प्रभाव पड़ेगा? इस बारे में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत में इस तरह का कोई अध्ययन नहीं किया गया है, लेकिन लेकिन यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में यह बात स्पष्ट रूप से सामने आ चुकी है कि प्रदूषण की वजह से कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु दर में वृद्धि हुई।

उन्होंने बताया कि वहां लॉकडाउन के दौरान और लॉकडाउन के बाद कोविड-19 की मृत्यु दर का अध्ययन किया गया और पाया कि लॉकडाउन खुलने के बाद मृत्यु दर में वृद्धि हुई।

भार्गव ने यह भी कहा कि विदेशों में हुए अध्ययनों में वायरस के कण पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 में पाए गए हैं। हालांकि, यह ज्ञात नहीं था कि वे कण सक्रिय थे या मृत।

भार्गव ने कहा कि मास्क पहनना ही एकमात्र रास्ता है। यह आपको कोरोनावायरस और प्रदूषण दोनों से बचाएगा। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या एक ही मास्क वायरस और प्रदूषण कणों दोनों के खिलाफ काम कर सकता है। भार्गव ने दावा किया कि भारत में बच्चों में कोविड-19 के केस बहुत कम है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि कुछ राज्यों ने मामलों में काफी गिरावट दिखाई है। लेकिन उन्होंने कहा कि ये राज्य खुद को कोरोना मुक्त घोषित करने के लिए किसी तरह की प्रतियोगिता न करें।

पॉल ने कहा कि यूरोप और अमेरिका के कई देशों ने दिखाया कि महामारी फिर से चरम पर पहुंच गई है और इसे भारत के लिए एक चेतावनी संकेत के रूप में काम करना चाहिए।(downtoearth)

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