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केंद्र सरकार ने मंगलवार को कानून में संशोधन कर उसकी अधिसूचना भी जारी कर दी. अधिसूचना में नए नियम भी शामिल हैं, जिनके तहत जम्मू और कश्मीर में जमीन खरीदने पर लगी हर शर्त को हटा लिया गया है. ये शर्तें धारा 370 के तहत पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य के स्थायी नागरिकों के लिए की गई विशेष व्यवस्था का हिस्सा थीं. नए नियम व्यापक और विस्तृत हैं.
राज्य स्तर के 11 कानूनों को रद्द कर दिया गया है और 26 दूसरे कानूनों को बदलाव या दूसरे आदेशों के साथ रूपांतरित कर दिया गया है. इन सभी संशोधनों से शहरी या गैर-कृषि भूमि जम्मू और कश्मीर से बाहर रहने वाले लोग खरीद पाएंगे, कृषि भूमि पर कॉन्ट्रैक्ट खेती शुरू हो पाएगी और एक औद्योगिक विकास निगम की स्थापना हो पाएगी.
कृषि भूमि को भी प्रदेश के बाहर रहने वाला कोई भी व्यक्ति खरीद पाएगा. इसके अलावा घर या दुकान के निर्माण के लिए भूमि के आबंटन पर कोई सीमा भी नहीं होगी, जब कि इस तरह के प्रावधान अभी भी हिमाचल प्रदेश जैसे कुछ पहाड़ी राज्यों में हैं.
गरीबों और कम आय वाले वर्गों के लिए आवास उपलब्ध कराने के लिए बने कानूनों से भी 'स्थायी निवासियों' की शर्त को हटा दिया गया है. सरकार द्वारा औद्योगिक और वाणिज्यिक उद्देश्य के लिए खरीदी गई जमीन भी सरकार अब किसी को भी दे सकेगी. पहले इस तरह की भूमि सिर्फ स्थायी निवासी खरीद सकते थे.
कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों ने इन बदलावों का विरोध किया है. प्रदेश की सभी मुख्यधारा की पार्टियों ने पीपल्स अलायन्स फॉर गुपकार डेक्लरेशन के बैनर के तहत इस कदम को "एक बहुत बड़ा धोखा" बताया. गठबंधन के प्रवक्ता सज्जाद लोन ने कहा, "ये जम्मू और कश्मीर के लोगों के अधिकारों पर एक बहुत बड़ा हमला है और पूर्ण रूप से असंवैधानिक है."
— Sajad Lone (@sajadlone) October 27, 2020
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्विट्टर पर लिखा, "जम्मू और कश्मीर को अब बेचने के लिए तैयार कर दिया गया है और जमीन के छोटे-छोटे टुकड़ों के गरीब मालिक अब कष्ट भुगतेंगे."
Unacceptable amendments to the land ownership laws of J&K. Even the tokenism of domicile has been done away with when purchasing non-agricultural land & transfer of agricultural land has been made easier. J&K is now up for sale & the poorer small land holding owners will suffer.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) October 27, 2020
ये नए नियम लद्दाख में लागू होंगे या नहीं यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है. उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में सरकार और भी आदेश जारी कर स्थिति को और स्पष्ट करेगी.(DW.COM)
-चारु कार्तिकेय