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बायस्टेन्डर सीपीआर से बचाई जा सकती है जान-डॉ. जावेद परवेज
29-Oct-2020 4:18 PM
बायस्टेन्डर सीपीआर से बचाई जा सकती है जान-डॉ. जावेद परवेज

रायपुर, 28 अक्टूबर। रामकृष्ण केयर अस्पताल, रायपुर के हृदय रोग विषेषज्ञ डॉ. जावेद परवेज ने बताया कि  अक्टूबर का महीना सडन कार्डियक डेथ अवेयरनेस का माह है। हर वर्ष 10 लाख से भी अधिक भारतीयों की अचानक दिल की धडक़न रूकने से मृत्यु हो जाती है। यह एक विकार है  जिसमें हृदय अचानक पंप करना बंद कर देता है और तुरंत मृत्यु हो जाती है। लगभग 80-90 प्रतिशत लोगों की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले हो जाती है। इसमें 85 प्रतिशत रोगियों की मृत्यु सही समय और तरीके से बायस्टेन्डर सी.पी.आर. जो कि जीवन रक्षक प्रतिक्रिया है न मिलने की वजह से हो जाती है।

डॉ. परवेज ने बताया कि लोग अक्सर हार्ट अटैक को कार्डियक अरस्े ट समझते है। परंतु हार्ट अटैक ह ृदय की रक्त आपूर्ति में बाधा का परिणाम है जबकि कार्डि यक अरेस्ट एक ऐसी समस्या है जहां या तो दिल बहुत तेजी से धडक़ता है या अचानक पूरी तरह से धड क़ना ब ंद कर देता है। छाती में तकलीफ घबराहट, बार-बार बेहोश होना, सांस लेने में कठिनाई इत्यादि जैसे लक्षण यदि महसूस होते हैं तो इन्हें चेतावनी का संकेत समझ डॉक्टर से तुरंत परामर्र्श  लेना चाहिए। यदि आप किसी को अचानक गिरते हुए देखते हैं,  पल्स कम है, सांस नहीं ले पा रहा है तो उसे तुरंत सी.पी.आर. देना शुरू करें। सही समय पर बायस्टेन्डर सी.पी.आर. मरीज का जान बचाने की संभावना 3-4 गुना बढ़ जाता है।

प्रारंभिक सी.पी.आर. में छाती को दबाकर म ुंह  के द्वारा ऑक्सीजन दिया जाता है जिससे हृदय आम तरीके से पंप कर सके।  बायस्टेन्डर सी.पी.आर. में केवल छाती में दबाव दिया जाता है।

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