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बिहार चुनाव: नरेंद्र मोदी की सभा से जाती भीड़ और राहुल गांधी की रैली में तेजस्वी यादव की गूँज
29-Oct-2020 8:06 PM
बिहार चुनाव: नरेंद्र मोदी की सभा से जाती भीड़ और राहुल गांधी की रैली में तेजस्वी यादव की गूँज

नई दिल्ली, 29 अक्टूबर | बिहार में पहले चरण के मतदान में 71 विधानसभा सीटों का भविष्य बुधवार को ईवीएम में बंद हो चुका है. पहले चरण के मतदान के दिन सुबह-सुबह पटना से प्रकाशित अख़बारों में नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की तस्वीर पहले पन्ने पर छपी हुई थी.

जनता दल यूनाइटेड की ओर से जारी इस विज्ञापन में नीतीश कुमार आगे दिखते हैं जबकि मोदी ठीक उनके पीछे. बस ये ही वो पोस्टर हैं, जहाँ नीतीश कुमार बिहार में आगे दिख रहे हैं.

पिछले दिनों के विज्ञापन में केवल नरेंद्र मोदी नज़र आए थे. बाद में जारी दूसरी तस्वीरों में पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के नेताओं के सामने सुशील मोदी और नीतीश कुमार की तस्वीर छोटी नज़र आती है.

बीजेपी बिहार का चुनाव प्रधानमंत्री मोदी को सामने रखकर लड़ रही है.

पटना की सड़कों पर पटे बीजेपी के पोस्टर के अलावा चुनावी रैलियों में ये साफ़ नज़र आता है कि एनडीए और ख़ुद नीतीश कुमार के लिए पीएम नरेंद्र मोदी कितने महत्वपूर्ण बन गए हैं.

बुधवार को दरभंगा, मुज़फ़्फ़रपुर और पटना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की संयुक्त रैलियाँ हुईं.

तीनों रैलियों में नीतीश कुमार ने पीएम मोदी को तीन बार श्रद्धेय, छह बार आदरणीय कहा, जबकि नरेंद्र मोदी ने दो बार नीतीश कुमार को परम मित्र कहा.

मुज़फ़्फ़रपुर के मोतीपुर में नरेंद्र मोदी-नीतीश कुमार के काफ़िले के तीनों हेलिकॉप्टर समय से पहुँचे. दोपहर की सभा में हज़ारों की भीड़ थी, लेकिन बड़ा होने की वजह से मैदान आधा से ज़्यादा खाली दिख रहा था.

हालाँकि कोरोना काल में भी प्रधानमंत्री मोदी को देखने के लिए लोगों की भीड़ सोशल डिस्टेंसिंग की कोई परवाह नहीं कर रही थी.

एक युवा से जब हमने ये जानने की कोशिश की कि महागठबंधन की रैलियों में कहीं ज़्यादा भीड़ नज़र आती है, तो उस युवा का जवाब था कि 'तेजस्वी यादव की सभाएँ कहीं छोटे मैदानों में आयोजित हो रही है, तो ग्राउंड पूरा भर जाता है.'

वहीं खड़े एक दूसरे युवा ने दावा किया कि दो दिन पहले इलाक़े में तेजस्वी यादव की सभा हुई थी, जिसमें ज़्यादा लोग आए थे, हालांकि उन्होंने ये माना कि तेजस्वी ने जिस मैदान में सभा की थी, वह छोटा था.

बार-बार जंगलराज का ज़िक्र

मोतीपुर में हर शख़्स पीएम नरेंद्र मोदी की बात करता नज़र आया. नीतीश कुमार की बात पूछने पर सभा में मौजूद एक शख़्स ने कहा, "बताइए बीजेपी ने 15 साल तक नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया. अब उनको ख़ुद से ये पद छोड़कर अगले 15 साल तक बीजेपी का मुख्यमंत्री बनाना चाहिए. बीजेपी को गिरिराज सिंह को बिहार का मुख्यमंत्री बनाना चाहिए."

इस इलाक़े में सवर्ण मतदाताओं की संख्या ज़्यादा होने के चलते आम लोगों से चर्चा में बार-बार जंगलराज का ज़िक्र आता रहा. इस पहलू की ख़बर मोदी जी को भी थी, लिहाज़ा 24 मिनट के भाषण में क़रीब 13 मिनट वे बिहार में अपराध पर बोलते रहे.

हालाँकि एनसीआरबी के आँकड़ों की बात करें, तो नीतीश कुमार के समय में अपराध कम होने की कोई पुष्टि नहीं होती है.

मोतीपुर में नरेंद्र मोदी ने तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि जंगलराज के युवराज आए, तो बिहार में अपराध का उद्योग शुरू हो जाएगा.

सभा को छोड़कर जाती भीड़

अपने भाषण की शुरुआत में दरभंगा और मुज़फ़्फ़रपुर में नरेंद्र मोदी ने स्थानीय भाषा में 'गोर लगई छी', कहकर लोगों को लुभाने की कोशिश भी की.

लेकिन तेज़ धूप और मैदान में लगे लाउड स्पीकरों से स्पष्ट आवाज़ न आने के चलते मैदान से भीड़ तभी वापस होने लगी थी, जब मोदी ये बता रहे थे कि कैसे एनडीए के राज में बिहार का विकास हुआ है.

लौट रहे एक शख़्स ने कहा कि वो सोशल मीडिया पर मोदी जी को सुन लेगा, यहाँ रुकने का कोई फ़ायदा नहीं. हालाँकि उन्होंने बीजेपी के समर्थन की बात कही.

भीड़ को संभालने में लगे बिहार पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि आप देख ही रहे हैं कि जब मोदी जी बोल रहे हैं, तब भी जनता रुक नहीं रही है, क्योंकि वे बार-बार एक जैसी बातें ही कर रहे हैं.

नीतीश कुमार उम्मीद के मुताबिक़ ज़्यादा नहीं बोले और बिहार के विकास में मोदी जी के योगदान की प्रशंसा की.

बिहार में नीतीश कुमार जिस विकास की चर्चा करते नहीं अघाते, उनमें ज़्यादातर सड़कें केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत बनाई गई हैं, लेकिन उससे हक़ीक़त बहुत बदली हो, इसकी झलक नहीं दिखती है.

मुज़फ़्फ़रपुर के मोतीपुर से दरभंगा के कुशेश्वरस्थान के रास्ते से गुज़रने पर सड़क को लेकर विकास के नैरेटिव का सच समझ में आता है.

क़रीब 120 किलोमीटर की दूरी में चार घंटे का समय लग चुका था, लेकिन राहुल गांधी की रैली में शामिल एक एनडीए समर्थक युवा ने कहा कि बीते 15 साल में नीतीश कुमार ने बिहार का काफ़ी विकास किया है और दरभंगा से मुज़फ़्फ़रपुर पहुँचने में महज़ डेढ़ घंटे का वक़्त लगता है.

राहुल गांधी की सभा

राहुल गांधी की रैली जिस कुशेश्वरस्थान पर हो रही थी, वह बिहार के सबसे पिछड़े इलाक़े में शामिल है.

इलाक़े में पिछड़ा समुदाय और महादलितों की काफ़ी आबादी है और इसकी झलक राहुल गांधी की रैली में भी नज़र आई. लोगों में महागठबंधन की तरफ़ रुझान दिखा.

इस रुझान की सबसे बड़ी वजह बताते हुए कभी बीजेपी के सांसद रहे और मौजूदा कांग्रेसी नेता कीर्ति आज़ाद बताते हैं कि प्रवासी मज़दूरों के साथ जिस तरह का बर्ताव मोदी और नीतीश कुमार की सरकार ने किया, उससे लोगों में भारी नाराज़गी है. कीर्ति आज़ाद के मुताबिक़, ग़रीब गुरबे लोग इस बार मोदी जी के जुमलों में नहीं फँसेंगे.

राहुल गांधी की सभा में जुटी भीड़ तेजस्वी यादव के नारे लगा रही थी और उनकी नौकरी देने की घोषणा की चर्चा सबसे ज़्यादा हो रही थी.

राहुल गांधी ने भी अपनी सभा में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब अपनी सभाओं में दो करोड़ रोज़गार की बात नहीं करते हैं. राहुल गांधी ने कहा कि तेजस्वी यादव रोज़गार की बात कर रहे हैं और कांग्रेस उनके साथ खड़ी है.

रैली में आए एक बुज़ुर्ग ने कहा कि नीतीश कुमार के शासन के दौरान पूरे राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर पहुँच गया है और ग़रीब आदमी की कहीं कोई सुनवाई नहीं है.

यह वह इलाक़ा है, जहाँ जनता दल यूनाइटेड का दबदबा रहा है और रामविलास पासवान के समर्थकों की बड़ी संख्या है.

चिराग पासवान का नाम लेने पर भीड़ में शामिल एक शख़्स ने कहा कि चिराग़ युवा नेता हैं और उम्मीदों से भरे हैं, लेकिन इस बार पूँजीपतियों की राजनीति करने वालों का साथ दे रहे हैं, उन्हें ग़रीब गुरबों के साथ आ जाना चाहिए.

'लालू का राज होता तो ग़रीब ऐसे नहीं मरता'

तेजस्वी यादव की आलोचना करते हुए बीजेपी लगातार लोगों को लालू-राबड़ी शासन के 15 सालों की याद दिलाती है, इस बारे में कीर्ति आज़ाद कहते हैं कि दरअसल इन 15 सालों में इन लोगों के पास अपना कोई काम बताने को है नहीं, तो क्या करेंगे.

वहीं भीड़ में शामिल एक बुज़ुर्ग ने कहा कि लालू का राज होता तो ग़रीब ऐसे नहीं मरता, जैसे कोरोना के समय में नीतीश कुमार ने मरने के लिए छोड़ दिया है.

लेकिन मोदी की रैली की तुलना में राहुल की रैली में आने वाले लोगों की संख्या कम थी. लेकिन नीतीश कुमार की सभाओं की तुलना में ज़्यादा भीड़ है, ऐसा दावा करने वाले ढेरों लोग मिले.

बिहार का चुनाव मुख्य तौर पर एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की लड़ाई में तब्दील होता दिख रहा है. (bbc)

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