सामान्य ज्ञान
पौष्टिकता से भरपूर अमरूद को संस्कृत में अमृतफल कहते हैं। पके अमरूद के बजाय कच्चे अमरूद में विटामिन सी अधिक मात्रा में होता है। भोजन से पहले अमरूद के नियमित सेवन से कब्ज़ की शिकायत नहीं होती है।
अमरूद सेरम कोलेस्ट्राल घटा कर उच्च रक्तचाप से बचाव करता है। अमरूद के बीज को खूब चबा-चबा कर खाए जाए तो शरीर को लौह तत्व की पूर्ति होती है। अमरूद विश्व में सर्वाधिक मात्रा में भारत में ही पैदा होता है।
अमरूद कभी छीलकर खाना नहीं चाहिए क्यों कि इनमें विटामिन सी काफी मात्रा में होता है जो दांतों और मसूढे के रोगों तथा जोड़ों के दर्द में बहुत ही उपयोगी है। पके हुए 100 ग्राम अमरूद से हमें 152 मि. ग्रा. विटामिन सी, 7 ग्राम पाचनक्रिया में सहायक रेशे, 33 मि. ग्रा. कैल्शियम और 1 मि. ग्रा. लोहा प्राप्त होता है। साथ ही इसमें फॉस्फोरस और पोटैशियम की प्रचुर मात्रा होती है जो शरीर को पुष्ट बनाती है। अमरूद के पेड़ की जड़े, तने, पत्ते सभी दवा बनाने में काम आते हैं। आयुर्वेद के अनुसार अमरूद कसैला, मधुर, खट्टा, तीक्ष्ण, बलवर्धक, उन्मादनाशक, त्रिदोषनाशक, दाह और बेहोशी को नष्ट करने वाला है। बच्चों के लिए भी यह पौष्टिक व संतुलित आहार है। अमरूद से स्नायु-मंडल, पाचन संस्थान, हृदय तथा दिमाग को बल मिलता है।
मलेशिया में पेरक, जोहोर, सेलंगोर और नेगरी सेंबिलन जैसी जगह अमरूद के पेड़ काफी मात्रा में लगाए जाते हैं। अमेरिका के अपेक्षाकृत गरम प्रदेश जैसे मेक्सिको ले कर पेरू तक, अमरूद के पेड़ उगाए जाते हैं। कहते हैं कि अमरूद का अस्तित्व 2000 साल पुराना है पर आयुर्वेद में अमृतफल के नाम से इसका उल्लेख इससे हज़ारों साल पहले हो चुका है।
वर्ष 1526 में कैरेबियन द्वीप पर इसकी खेती पहली बार व्यावसायिक रूप से की गई। बाद में यह फि़लीपीन और भारत में भी प्रचलित हुई। अब तो दुनिया भर में अमरूद को व्यावसायिक लाभ के लिए उगाया जाता है।
ऑक्साइड
ऑक्साइड किसी तत्व का ऑक्सीजन के संयोग से बनने वाला यौगिक होता है। अधिकांश तत्वों (धातु एवं अधातु) को ऑक्सीजन एवं वायु में जलाकर एक नया यौगिक बनाया जा सकता है, जिसे ऑक्साइड कहते हैं।
पानी, हाइड्रोजन का एक ऑक्साइड है। कार्बन का ऑक्साइड, कार्बन डॉइ-ऑक्साइड और कार्बन मोनो-ऑक्साइड हैं। लोहे के पदार्थों पर जमा जंग भी वास्तव में लोहे का ऑक्साइड ही है। लौह पदार्थों में जग लगने की क्रिया वायु में ऑक्सीजन और जलवाष्य की आयरन से क्रिया का परिणाम होता है। कटे हुए सेब की सतह पर भूरे रंग की परत बनना भी आयरन ऑक्साइड की उपस्थिति दर्शाता हैं। वस्तुत: सेब में आयरन यानी लौह तत्व पाया जाता है जो वायुमण्डल की ऑक्सीजन से क्रिया करके आयरन ऑक्साइड बनाता है।
कुछ ऑक्साइडों का विलयन नीले लिटमस पेपर को लाल कर देता है। इन विलयनों को अम्ल कहते हैं। कुछ ऐसे ऑक्साइड होते हैं जिनका विलयन इसकी विपरीत प्रतिक्रिया दर्शाता है अर्थात् वह लाल लिटमस पेपर को नीला कर देता है। इन विलयनों को क्षारक कहते हैं।