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इस्लाम, मुसलमान और पैग़ंबर को नहीं समझ सकते पश्चिमी देश: इमरान ख़ान
31-Oct-2020 10:28 AM
इस्लाम, मुसलमान और पैग़ंबर को नहीं समझ सकते पश्चिमी देश: इमरान ख़ान

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की एक सीमा होती है और इसका अर्थ ये कतई नहीं कि दूसरों की भावनाओं को चोट पहुंचाई जाए.

इमरान ख़ान ने कहा, "इस्लाम को मानने वालों में पैग़ंबर मोहम्मद को लेकर जो भावनाएं हैं उसके बारे में पश्चिमी देशों के लोगों को कोई जानकारी नहीं है."

उन्होंने इसे मुसलमान बहुल देशों के नेताओं की नाकामी बताया और कहा कि ये उनकी ज़िम्मेदारी है कि वो दुनिया भर में इस्लाम के विरोध (इस्लामोफ़ोबिया) के मुद्दे पर चर्चा करें.

उन्होंने कहा कि ज़रूरत पड़ने पर वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे को उठाएंगे.

इमरान ख़ान शुक्रवार को इस्लामाबाद में ईद-उल-मिलाद के मौक़े पर आयोजित एक कॉन्फ्रेस में बोल रहे थे.

फ़्रांस और मुसलमान देशों के बीच जारी तनाव को लेकर उन्होंने कहा, "मैंने इस्लामिक देशों के समूह में सभी से कहा है कि पश्चिम में इस्लामोफ़ोबिया बढ़ रहा है और इस समस्या के समाधान के लिए सभी मुसलमान देशों को एक साथ आने और इसके बारे में चर्चा छेड़ने की ज़रूरत है."

"इस्लामोफ़ोबिया के कारण सबसे अधिक वो लोग प्रभावित होते हैं जो किसी देश में मुसलमान अल्पसंख्यक आबादी का हिस्सा हैं."

मैक्रों को लेकर तुर्की के बाद ईरान-पाकिस्तान ने खोला मोर्चा

इमरान ख़ान ने कहा, "पश्चिमी देश इस्लाम, पैग़ंबर और मुसलमानों के संबंध को नहीं समझ सकते. उनके पास वो किताबें नहीं हैं जो हमारे पास हैं. इसलिए वो इसे नहीं समझ सकते हैं."

उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश मानते हैं कि मुसलमान अभिव्यक्ति की आज़ादी के ख़िलाफ़ हैं और संकीर्ण मानसिकता वाले हैं. इसके विरोध में कैंपेन चलाए गए हैं.

उन्होंने कहा, "एक छोटा तबका है जो इस्लाम के विरोध में है और इसे बड़ी बुरी नज़र से देखना चाहता है. हमें दुनिया को ये बताना चाहिए कि ये मुसलमानों के लिए परेशान करने वाला है."

उन्होंने कहा शार्ली एब्दो जैसी घटना के पीछे कुछ ऐसे ही लोग हैं जो मुसलमानों को बुरा दिखाना चाहते हैं.

इमरान ख़ान ने कहा कि वो देश में कक्षा नौ से बारह तक के छात्रों के पाठ्यक्रम में इस्लाम के पैग़ंबरों के बारे में जानकारी शामिल करने के लिए क़ानून लाएंगे, ताकि छात्रों को भी इस्लाम के बारे में जानकारी मिले.

इसी कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान प्राशासित कश्मीर के प्रधानमंत्री रज़ा फ़ारुक़ हैदर भी मौजूद थे. उन्होंने प्रदेश में सभी प्रकार के फ़्रांसीसी सामान के बहिष्कार की अपील की.

इस्लाम पर फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बयान को लेकर शुक्रवार को पाकिस्तान में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए.

शुक्रवार को पाकिस्तान के इस्लामाबाद में मौजूद फ़्रांसीसी दूतावास के सामने भी विरोध प्रदर्शन हुए और फ़्रांस के सामानों के बहिष्कार की अपील की गई.

यहां लोगों की भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोल दाग़ने पड़े.

कराची में भी क़रीब 10,000 लोगों ने जुमे की नमाज़ के बार फ़्रांसीसी रष्ट्रपति के विरोध में नारे लगाए.

पाकिस्तान में फ्रांसीसी राष्ट्रपति का विरोध

गुरुवार को मध्य प्रदेश के भोपाल के इक़बाल मैदान में हज़ारों की तादाद में मुसलमानों ने फ़्रांस का विरोध किया और फ़्रांसीसी झंडा भी जलाया.

बीबीसी के सहयोगी पत्रकार शुरैह नियाज़ी के अनुसार इस मौक़े पर मौजूद कांग्रेस के विधायक आरिफ मसूद ने भारत सरकार से अपना राजदूत बुलाने की मांग की.

इस घटना के बाद मध्य प्रदेश सरकार हरकत में आई मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इस मामले में 188 IPC के तहत मामला दर्ज किया जाएगा और किसी को भी बख़्शा नहीं जाएगा.

शुक्रवार को बांग्लादेश में फ़्रांस विरोधी प्रदर्शन हुए जिसमें सैंकड़ों लोग शामिल हुए.

राजधानी ढाका की बैतुल मुकर्रम मस्जिद के सामने बांग्लादेश की सैंकड़ों आम लोगों समेत कई राजनीतिक पार्टियों के लोग भी शामिल हुए. लोगों के हाथों में जो प्लेकार्ड थे उन पर इमैनुएल मैक्रों के बारे में लिखा था कि वो "शांति का दुश्मन" हैं.

समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार पुलिस ने कहा है कि ढाका में हुए विरोध प्रदर्शन में 12,000 लोग शामिल हुए. हालांकि आयोजकों का दावा है कि 40,000 लोगों ने इन प्रदर्शनों में शिरकत की.

फ़लस्तीन में फ़्रांसीसी राष्ट्रपति का विरोध कर रहे फ़लस्तीनियों और इसराइली सीमा पुलिस के बीच झड़प होने की ख़बर है.

फ़लस्तीन की अल अक्सा मस्जिद के सामने हज़ारों की संख्या में लोग विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए. वहीं गज़ा में राष्ट्रपति मैक्रों का पुतला जलाया गया.

अल अक्सा मस्जिद के सामने आए एक प्रदर्शनकारी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "फ़्रांस में हिंसा की जो घटनाएं हो रही हैं हम उसके लिए फ़्रांस के राष्ट्रपति को ज़िम्मेदार ठहराते हैं. इस्लाम और मुसलमानों के ख़िलाफ़ उनके बयान के कारण ये सब हो रहा है."

हमास के एक अधिकारी नासिम यासिन कहते हैं, "हम दुनिया को बताना चाहते हैं कि पैग़ंबर मोहम्मद हमारे लिए उस रेखा की तरह हैं जिनकी कोई अवमानना नहीं कर सकता. जो उनका अपमान करे उसे सज़ा मिलनी चाहिए."

मस्जिद के आहते में मौजूद प्रदर्शकारियों को इसराइली सीमा पुलिस ने वहां से जाने के लिए कहा.

फ़्रांस और इस्लाम पर क्यों हो रही है चर्चा?

इसी महीने फ़्रांस में पैग़ंबर मोहम्मद के एक कार्टून को दिखाने वाले टीचर सैमुअल पेटी पर हमला कर एक व्यक्ति ने उनका गला काट दिया. इसके बाद फ़्रांस में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए.

फ़्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पैग़ंबर मोहम्मद के विवादित कार्टून दिखाने के टीचर के फ़ैसले का बचाव किया और कहा कि वे मुसलमान कट्टरपंथी संगठनों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करेंगे.

उन्होंने कहा फ़्रांस के अनुमानित 60 लाख मुसलमानों के एक अल्पसंख्यक तबक़े से "काउंटर-सोसाइटी" पैदा होने का ख़तरा है. काउंटर सोसाइटी या काउंटर कल्चर का मतलब एक ऐसा समाज तैयार करना है जो कि उस देश के समाज की मूल संस्कृति से अलग होता है.

इमैनुएल मैक्रों के इस फ़ैसले से कई मुसलमान बहुल देश नाराज़ हैं.

सोमवार को पाकिस्तान और ईरान की संसद ने एक प्रस्ताव पारित कर मैक्रों की आलोचना की. पाकिस्तान की संसद ने तो फ़्रांस से अपना राजदूत वापस बुलाने की माँग की.

जबकि ईरान की संसद का कहना है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर पैग़ंबर मोहम्मद का अपमान फ़्रांसीसी सरकार के रुख़ पर सवाल उठाता है.

कई देशों ने फ़्रांसीसी सामान के बहिष्कार की भी अपील की. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने कहा, "अगर फ़्रांस में मुसलमानों का दमन होता है तो दुनिया के नेता मुसलमानों की सुरक्षा के लिए आगे आएँ. फ़्रांसीसी लेबल वाले सामान न ख़रीदें."

उन्होंने कहा कि फ़्रांस में मुसलमानों के ख़िलाफ़ ऐसा ही अभियान चलाया जा रहा है, जैसा दूसरे विश्व युद्ध से पहले यहूदियों के ख़िलाफ़ चलाया गया था.(bbc)

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