सामान्य ज्ञान
कुष्मांड या कूष्मांड एक लता का नाम का नाम है, जिसका फल पेठा, भतुआ, कोंहड़ा आदि नामों से भी जाना जाता है। इस लता का लैटिन नाम बेनिनकेसा हिस्पिडा है। यह वर्षा के प्रारंभ में बोया जाता है। शिशिर में फल पकता है। कुष्मांड लता के बीज चिपटे होते हैं। इसके एक भेद को क्षेत्रकुष्मांड या कोंहड़ा भी कहते हैं, जो कच्ची अवस्था में हरा और पकने पर पीला हो जाता है। सामान्य बोलचाल की भाषा में इसे रखिया भी कहा जाता है।
कुष्मांड खेतों में बोया जाता है या फिर घरों की छप्पर आदि पर लता के रूप में चढ़ाया जाता है। यह भारत में सर्वत्र उपजता है। आयुर्वेद में इसे लघु, स्निग्ध, मधुर, शीतवार्य, बात, पित्त, क्षय, अपस्मार, रक्तपित्त और उनमाद नाशक, बलदायक, मूत्रजनक, निद्राकर, तृष्णाशामक और बीज कृमिनाशक आदि कहा गया है। इसके सभी भाग- फल, रस, बीज, त् , मूल, डंठल-तैल ओषधियों तथा अन्य कामों में प्रयुक्त होते हैं।
इस लता के मुरब्बे, पाक, अवलेह, ठंढाई, घृत आदि बनते हैं। इसके फल में जल के अतिरिक्त स्टार्च, क्षार तत्व, प्रोटीन, मायोसीन शर्करा, तिक्त राल आदि रहते हैं।
कुष्मांड के फलों के खाद्य अंश के विश्लेषण से प्राप्त आंकड़े इस प्रकार हैं- आर्द्रता - 94.8, प्रोटीन - 0.5,वसा (ईथर निष्कर्ष) - 0.1, कार्बोहाइड्रेट - 4.3, खनिज पदार्थ - 0.3, कैल्सियम - 0.1, फास्फोरस - 0.3, लोहा - 0.6 मि.ग्रा./100 ग्रा., विटामिन सी - 18 मि.ग्रा. या 100 ग्रा.। कुष्मांड के बीजों का उपयोग खाद्य पदार्थों के रूप में किया जाता है। इसके ताजे बीज कृमिनाशक होते हैं। इसलिए इसके बीजों का उपयोग औषधि के रूप में भी होता है।