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कोरोना काल में महिलाओं की दिलचस्पी शेयर बाज़ार में क्यों बढ़ने लगी?
16-Nov-2020 10:52 AM
कोरोना काल में महिलाओं की दिलचस्पी शेयर बाज़ार में क्यों बढ़ने लगी?

bse bull

- निधि राय

सकीना गांधी ने लॉकडाउन के दौरान शेयर बाज़ार में निवेश करना शुरू किया

पब्लिक रिलेशन के क्षेत्र में काम करने वालीं 31 साल की सकीना गांधी आजकल काफ़ी व्यस्त हैं. उनकी शेयर बाज़ार कारोबार में नई-नई दिलचस्पी जगी है जिसके लिए वे लगातार काम करती रहती हैं.

सकीना कहती हैं, ''लॉकडाउन में मेरे पास घर पर काफ़ी समय था, इसलिए उस दौरान मैं शेयर बाज़ार पर नज़र रखती थी. मैं हमेशा पूरी जानकारी के साथ एक सोचा-समझा फ़ैसला लेना चाहती थी.''

''पहले 15 दिन मैंने सिर्फ़ बाज़ार को समझा. कुछ शेयरों की सूची बनाई और ये विश्लेषण किया कि इन शेयरों में किस तरह का बदलाव हो रहा है. अपने कुछ सहकर्मियों से बात करके मैंने वो शेयर ख़रीद लिये.''

सकीना गांधी ने म्यूचुअल फ़ंड में भी निवेश किया है.

उनकी स्टॉक मार्केट में दिलचस्पी तब पैदा हुई जब कोरोना महामारी की शुरुआत में शेयर बाज़ार बुरी तरह गिर रहा था.

उन्हें ये बहुत फ़ायदेमंद विकल्प लगा और उन्होंने तुरंत अपना डीमैट खाता बना लिया. वे इसके ज़रिए अतिरिक्त कमाई करना चाहती थीं.

सकीना कहती हैं, ''ये मेरा पैसा है, इसमें मेरे पति या किसी और का कोई दख़ल नहीं है, इसलिए मैंने सोचा कि क्यों ना थोड़ा जोखिम उठाया जाये. फिर देखते हैं कि क्या होता है.''

सकीना बताती हैं कि वे रोज़ अख़बार देखती हैं और उन्होंने कंपनियों और शेयर बाज़ार से जुड़ी ख़बरों के लिए गूगल अलर्ट भी लगाया हुआ है.

शेयर बाज़ार में पहली बार निवेश करने वालीं सकीना गांधी अकेली नहीं हैं.

कोरोना वायरस ने कई कारोबारों को बुरी तरह प्रभावित किया है और अब उन्हें इस झटके से संभलने में वक़्त लगेगा.

लेकिन, स्टॉक मार्केट को इसे लेकर कोई शिकायत नहीं है. बल्कि इस साल की शुरुआत में शेयर की क़ीमतें गिरने से खुदरा निवेशकों में बड़े स्तर पर वृद्धि हुई है.

कई भारतीय जो अब तक शेयर बाज़ार से दूर थे, उन्होंने भी इसमें निवेश करना शुरू कर दिया है.

जैसे 36 साल की रितिका शाह जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान ही शेयर बाज़ार में क़दम रखा. रितिका शाह भी पब्लिक रिलेशन के क्षेत्र में काम करती हैं.

रितिका ने बीबीसी को बताया, ''मेरा परिवार शेयर बाज़ार में निवेश करता रहा है और मैं भी ये करना चाहती थी, लेकिन सही समय का इंतज़ार कर रही थी. महामारी में मुझे इतना वक़्त मिल गया कि मैं अपने फ़ाइनेंस को लेकर योजना बना सकूं. मुझे इसके बारे में रिसर्च करने और जानकारी हासिल करने का समय मिला.''

उन्होंने मार्च में निवेश करना शुरू किया था, जब उन्हें लगा कि बाज़ार में क़ीमत सही है.

रितिका कहती हैं, ''इससे आपको टैक्स बचाने में भी मदद मिलती है. मैं हर महीने 50 हज़ार रुपये निवेश करती हूँ और मैं इसे 10 हज़ार रुपये और बढ़ाने की योजना बना रही हूँ.''

रितिका शाह ने भी शेयर बाज़ार में पहली बार निवेश करना शुरू किया

खुदरा निवेशकों में बढ़ोतरी

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक़, पिछले साल के मुक़ाबले इस साल खुदरा निवेशकों में 54 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.

सेबी के अध्यक्ष अजय त्यागी ने मीडिया को दिये एक बयान में कहा, ''अप्रैल-सितंबर 2020 के दौरान 63 लाख नए डीमैट खाते बने हैं, जबकि पिछले साल इस अवधि में 27.4 लाख खाते बने थे. इसका मतलब है कि डीमैट खातों में 130 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ.''

भारत की सबसे बड़ी ट्रेडिंग अकाउंट डिपॉज़िटरी, सेंट्रल डिपॉज़िटरी सर्विसेज़ लिमिटेड (सीडीएसएल) के मुताबिक़, साल 2020 के पहले नौ महीनों में निवेशकों ने 50 लाख नए डीमैट खाते खोले हैं. यह संख्या पिछले पाँच सालों में खोले गये डीमैट खातों के आधे के बराबर है.

जेरोधा जैसी ब्रोकिंग कंपनियों ने निवेशकों में बढ़े स्तर पर वृद्धि देखी है. इन निवेशकों ने डीमैट खातों के ज़रिए शेयर बाज़ार में निवेश करने के लिए कंपनी की वेबसाइट का इस्तेमाल करना शुरू किया है.

जेरोधा के सह-संस्थापक और सीआईओ निखिल कामथ कहते हैं, ''इस मार्च से हर महीने खुलने वाले औसत डीमैट खातों में 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. ये उछाल महामारी के कारण आया है.''

जेरोधा के पास 30 लाख सक्रिय निवेशक हैं और इनमें से 10 लाख निवेशक लॉकडाउन शुरू होने के बाद से (यानी मार्च से) जुड़े हैं.

लॉकडाउन और वर्क फ़्रॉम होम का कमाल

विशेषज्ञों का मानना है कि लॉकडाउन और वर्क फ़्रॉम होम के कारण लोगों को इतना समय मिल पाया कि वो शेयर बाज़ार पर ध्यान दे सकें. रोज़मर्रा की व्यस्तताओं में वो ऐसा नहीं कर पाते थे.

कई लोग जिनकी शेयर बाज़ार में दिलचस्पी भी थी, वो भी ऑफ़िस के कारण 9:15 से 3:30 बजे के बीच शेयर बाज़ार पर नज़र नहीं रख पाते थे.

निखिल कामथ कहते हैं, "मज़बूत और बड़े पूंजी आधार वाली कंपनियों की भारी छूट वाली क़ीमत, गिरती ब्याज़ दरें, पिछले एक दशक से स्थिर पड़ा रियल एस्टेट, लॉकडाउन और वर्क फ़्रॉम होम में मिला खाली समय जैसे कई कारणों के चलते लोगों का शेयर बाज़ार की तरफ़ रुझान बढ़ा है.''

म्यूचुअल फ़ंड उद्योग में तेज़ी से आयी गिरावट ने भी लोगों को सीधे बाज़ार में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया है.

विशेषज्ञ ये भी मानते हैं कि कई ब्रोकिंग प्लेटफ़ॉर्म ऐसी तकनीक अपना रहे हैं, जिससे निवेशकों को बढ़ावा मिला है.

कुछ अन्य कारण

सस्ते मोबाइल फ़ोन और डेटा ने भी शेयर बाज़ार तक लोगों की पहुँच आसान की है. कई ब्रोकिंग फ़र्म्स निवेशकों से ब्रोकिंग फ़ीस भी नहीं ले रही हैं और ये बात निवेशकों को आकर्षित करती है.

कई ब्रोकिंग प्लेटफ़ॉर्म्स ने निवेशकों को शेयर बाज़ार के बारे में समझाना और उन्हें सही फ़ैसला लेने में मदद करना भी शुरू किया है.

उदाहरण के लिए, जेरोधा ने अपने निवेशकों को शेयर बाज़ार के ट्यूशन देना शुरू किया है. इसके पेज-व्यूज़ औसत प्रतिदिन 45 हज़ार से बढ़कर लॉकडाउन में 85 हज़ार हो गए हैं.

इसमें सबसे बड़ी वजह ये है कि सेबी ने डीमैट खाता खोलने की प्रक्रिया बहुत आसान और सरल बना दी है.

इलेक्ट्रॉनिक नो योर कस्टमर (केवाईसी) से निवेशक मिनटों में डीमैट खाता खोल लेते हैं.

सेबी ने ई-साइन और डीजी-लॉकर्स की भी सुविधा दी है जिससे पहली बार निवेश करने वालों को अपने दस्तावेज़ सुरक्षित रखते हुए जल्दी रजिस्टर करने में मदद मिलती है.

महिलाओं की भागीदारी

जेरोधा के आंकड़ों से यह दिलचस्प बात सामने आती है कि ज़्यादातर महिलाएं ऑनलाइन ट्रेडिंग में रूचि दिखा रही हैं.

निखिल कामथ कहते हैं, ''नई महिला निवेशकों में साफ़तौर पर वृद्धि हुई है. भारत में कोरोना वायरस महामारी के बाद से जेरोधा के 15 लाख से ज़्यादा क्लाइंट बने हैं, इनमें दो लाख 35 हज़ार महिलाएं हैं.''

जेरोधा के पास कुल पाँच लाख 60 हज़ार महिला निवेशक हैं जिनकी औसत उम्र क़रीब 33 साल है.

इसी तरह फ़ायर्स भी एक स्टॉक ब्रोकिंग ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म है. फ़ायर्स में महामारी के दौर से पहले के मुक़ाबले, अब महिला ट्रेडर्स की संख्या में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है.

फ़ायर्स के सह-संस्थापक और सीईओ तेजस खोड़े ने बीबीसी को बताया, ''महिलाएं ट्रेड करने की बजाय निवेश करना ज़्यादा पसंद करती हैं. लंबे समय से महिलाएं अपने पैसों को सोने में निवेश करती आयी हैं या वो पैसे को नक़द, फ़िक्स डिपॉज़िट और टैक्स बचाने वाले म्यूचुअल फ़ंड में रखती हैं. हालांकि, लॉकडाउन और वर्क फ़्रॉम होम से उन्हें शेयर बाज़ार में निवेश करने का मौक़ा मिला है.''

नौजवान कर रहे निवेश

एक और दिलचस्प ट्रेंड ये भी है कि ऑनलाइन ट्रेंडिग में नौजवान ज़्यादा आगे आ रहे हैं.

जेरोधा कंपनी का कहना है कि 20 से 30 साल के निवेशकों में कोरोना वायरस से पहले के 50-55 प्रतिशत के मुक़ाबले, 69 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है.

वहीं, एक और ऑनलाइन ब्रोकिंग प्लेटफ़ॉर्म अपस्टॉक्स के ग्राहकों की औसत उम्र इस साल अप्रैल से अगस्त के बीच 29 साल रही है. इससे पहले यह उम्र औसत 31 साल हुआ करती थी.

फ़ायर्स में भी 50 प्रतिशत निवेशक नौजवान ही हैं. तेजस खोड़े कहते हैं, ''पिछले कुछ महीनों में जब से कम उम्र के लोग इस शेयर बाज़ार में उतरे हैं, तब से मोबाइल ट्रेडिंग में बढ़ोतरी हुई है. पहली बार हम ऐसी पीढ़ी देख रहे हैं, जो ट्रेडिंग टिप्स को मानने की बजाए बाज़ार के काम करने के तरीक़ों को समझने में ज़्यादा वक़्त दे रही है.''

इंडिया इंफ़ोलाइन फ़ाइनेंस की एक सहायक कंपनी 5paisa.com के मुताबिक़, उसके प्लेटफ़ॉर्म पर 18 से 35 साल की औसत आयु के निवेशक 81 प्रतिशत तक हो गए हैं जो कोरोना वायरस महामारी से पहले 74 प्रतिशत थे.

निवेशकों के लिए टिप्स

शेयर बाज़ार हमेशा से ही लुभावना क्षेत्र रहा है और आगे भी ये आकर्षित करता रहेगा. लेकिन, इस क्षेत्र में क़दम रखने से पहले विशेषज्ञ कुछ ऐसी बातें बताते हैं जो सभी निवेशकों को ध्यान में रखनी चाहिए.

एसोसिएशन ऑफ़ म्यूचुअल फ़ंड्स इन इंडिया (एएमएफ़आई) के अध्यक्ष निलेश शाह कहते हैं कि किसी भी शेयर में निवेश करने से पहले निवेशकों को कंपनी की बैलेंस शीट देखनी चाहिए. उन्हें ये ध्यान देना चाहिए कि क्या कंपनी के पास मुश्किल समय से निकलने के लिए पर्याप्त पैसा है. निलेश शाह 25 सालों से शेयर बाज़ार पर नज़र रख रहे हैं.

निलेश शाह कहते हैं, ''ऐसा माना जा रहा है कि आने वाला भविष्य बहुत मुश्किल होने वाला है, इसलिए निवेशकों को देखना चाहिए कि कंपनी कितनी मज़बूत है.''

बैलेंस शीट के अलावा निवेशकों को इस तथ्य पर भी ध्यान देना चाहिए कि क्या कंपनी व्यवसाय चलाने की लागत को लगातार कम करने की कोशिश कर रही है.

निलेश शाह तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात ये बताते हैं कि कंपनी कितनी डिजिटल है? क्या कंपनी तकनीक को जल्दी अपना लेती है और डिजिटली मज़बूत है.(bbc)

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