विचार / लेख
पिछले वर्षों की तरह से इस साल भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिवाली का त्योहार सेना के जवानों के बीच जाकर मनाया.
इस बार मोदी राजस्थान के जैसलमेर थे. जैसलमेर के लोंगेवाला पोस्ट पर मोदी ने सेना के जवानों के साथ दिवाली मनाई. प्रधानमंत्री ने जवानों को दिवाली की बधाई दी. इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान का ज़िक्र करते हुए चेतावनी भी दी.
पीएम मोदी के साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत, सेना प्रमुख एम एम नरवणे और बीएसएफ के डीजी राकेश अस्थाना भी थे.
जैसलमेर की लोंगेवाला पोस्ट पर जवानों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया की कोई भी ताकत हमारे वीर जवानों को देश की सीमा की सुरक्षा करने से रोक नहीं सकती है.
मोदी इस दौरान टैंक पर भी सवार हुए. वे सेना की पोशाक पहने हुए थे. उनकी ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की गईं. इन तस्वीरों में वे टैंक पर सेना की ड्रेस पहने हुए हैं.
मोदी के फौजी ड्रेस पहनने की तस्वीरों ने सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोरीं. लेकिन, इन तस्वीरों को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एक बहस यह भी पैदा हुई कि एक लोकतंत्र में क्या एक असैन्य नेता या नागरिक को सेना की वर्दी पहनने का हक है? यह भी सवाल उठा कि लोकतंत्र में असैन्य नेतृत्व का फौज की यूनिफॉर्म पहनना कितना उचित है?
इस मसले पर सैन्य बलों से रिटायर हो चुके लोगों से लेकर आम लोगों तक ने अपनी राय रखी है. लेफ्टिनेंट जनरल एच एस पनाग (सेवानिवृत्त) ने एक ट्वीट में तंज करते हुए लिखा है, "सैल्यूट! आवर पीएम लीडिंग फ्रॉम दी फ्रंट."
For him everything is a fancy dress event. He doesn't understand what it takes to earn that uniform. He is just pandering to his Bhakts and satisfying his childhood desire of modelling in various outfits@ranjona @anil010374 @Aakar__Patel @BhavikaKapoor5 @sarahmarb @sonaliranade
— Kaustubh (@___kaustubh) November 15, 2020
एक ट्विटर यूजर कौस्तुभ (@___kaustubh) ने इस पर टिप्पणी करते हुए लिखा है, "उनके लिए हर चीज एक फैंसी ड्रेस इवेंट है. उन्हें यह नहीं पता कि यूनिफॉर्म हासिल करने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है. वे केवल अपने भक्तों को खुश करने और अलग-अलग पोशाकों में मॉडलिंग करने की अपनी बचपन की इच्छाओं को संतुष्ट करने में लगे हुए हैं."
ले.ज. प्रकाश कटोच (रि.) ने ट्विटर पर लिखा है, "हम कहां हमला करने जा रहे हैं - डेपसांग?"
Where are we attacking - Depsang?
— Prakash Katoch (@KatochPrakash) November 15, 2020
पनाग ने उन्हें जवाब में लिखा है, "सर, मुझे भरोसा है कि वे वहां भी गए होंगे. गोपनीय!"
Sir, I am sure he has been there too. Classified!
— Lt Gen H S Panag(R) (@rwac48) November 15, 2020
ब्रिगेडियर जय कौल लिखते हैं, "कौन सा कानून आर्म्ड फोर्सेस या पैरा मिलिटरी फोर्सेज की यूनिफॉर्म पहनने की इजाजत देता है? कोई उन्हें बताए कि यह उचित नहीं है."
Indeed. Which law permits him to don a uniform of Armed Forces or para military forces. Not done . Someone needs to tell him that this is not appropriate.
— Brig. Jay Kaul (@Jaykaul) November 15, 2020
एक यूजर ने लिखा है, "ओह, मुझे लगा कि ये गलवान होगा!"
पनाग ने इस पर लिखा है, "वे निश्चित तौर पर डीबीओ, गलवान, पैंगॉन्ग, कैलाश में मोर्चों पर गए होंगे. लेकिन, ये दौरे गोपनीय हैं. उन्हें पब्लिसिटी पसंद नहीं है. महान नेता!"
Knowing him he would have definitely visited the front in DBO/Galwan/Pangong/Kailash. But these visits are in classified domain. He does not like publicity. Great leader!
— Lt Gen H S Panag(R) (@rwac48) November 15, 2020
एक अन्य यूजर प्रशांत टंडन पूछते हैं कि क्या लोकतंत्र में चुने गए नेताओं को आर्मी यूनिफॉर्म पहननी चाहिए?
Should elected leaders in a democracy wear Army uniform?
— Prashant Tandon (@PrashantTandy) November 15, 2020
Symbolic cap or jacket is fine to show affinity with soldiers but full uniform?
Uniform insignias never designed for PM, Defense Minister or even President who is Commander-in-Chief.
BTW Longewala is 1500 KM away from Leh!
वे लिखते हैं, "सैनिकों के साथ अपना लगाव दिखाने के लिए प्रतीकात्मक कैप या जैकेट पहनने तक तो ठीक है, लेकिन पूरी यूनिफॉर्म? यूनिफॉर्म पर लगने वाले निशान और तमगे कभी भी पीएम, रक्षा मंत्री या यहां तक कि सेनाओं के कमांडर इन चीफ राष्ट्रपति तक के लिए डिजाइन नहीं किए गए हैं."
वे व्यंग्य करते हुए लिखते हैं, "लोंगेवाला की लेह से दूरी 1,500 किमी है."
एक यूजर ने मोदी के आर्मी यूनिफॉर्म पहनने का समर्थन करते हुए लिखा है कि सुभाष चंद्र बोस भी आर्मी में नहीं थे. लेकिन, वे यूनिफॉर्म पहनते थे. सैनिक इसे ऑफर करते हैं. प्रमोशन के लिए सैनिकों के पास जाने वाले एसएसआर, वरुण धवन के साथ भी ऐसा हुआ. जो चीज अहम है वह यह है कि उन्होंने सैनिकों का मनोबल बढ़ाया है.
Sc bose was also not in army...but still he wore uniform...soilders there offer to do so....same was also done to ssr,varun dhawan who hand gone to armed forces for promotion...something that matters is he motivated the soilders and they liked it as the pic is shared by a soilder
— Vansh (@Vansh69994432) November 15, 2020
ट्विटर पर सिस्तला सत्यनारायण ने लिखा है कि अगर मोदी राजनेता नहीं होते तो वे बॉलिवुड में होते. उन्होंने लिखा है, "मिलिटरी ड्रेस को लेकर उनका जूनून आम समझ से परे है."
एक यूजर ने लिखा है, "चिंता मत कीजिए, अगर वे राजनीति से कभी रिटायर हुए भी तो वे निश्चित तौर पर बॉलिवुड से जुड़ जाएंगे."
एक यूजर ने लिखा है, "पंगा चीन से चल रहा है और हमारे साहब नाच पाकिस्तान बॉर्डर पर रहे हैं. गजब की शूरवीरता दिखा रहे हैं."
एक शख्स ने लिखा है कि वे एक महान नेता हैं और देश भाग्यशाली है कि हमें उनके जैसा पीएम मिला.(https://www.bbc.com/hindi)