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नोबेल शांति पुरस्कार विजेता पर युद्ध अपराध के आरोप
17-Nov-2020 8:44 AM
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता पर युद्ध अपराध के आरोप

2019 में नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाले अबिय अहमद इथियोपिया और पूरे इलाके की अशांति की धुरी बन रहे हैं.

     (dw.com)

करीब तीन दशक लंबे गृह युद्ध के बाद में अफ्रीकी देश इथियोपिया दो हिस्सों में बंटा. 1993 में इरीट्रिया नाम के देश का जन्म हुआ. लेकिन पांच साल के भीतर ही दोनों देश सीमाओं को लेकर युद्ध में उलझ गए. मई 1998 से जून 2000 तक दोनों देशों की बीच युद्ध छिड़ा रहा. युद्ध विराम होने तक इथियोपिया की सेना कमजोर माने जाने वाले नए देश इरीट्रिया में काफी भीतर तक घुस चुकी थी. बाद में मामला द हेग के अंतरराष्ट्रीय आयोग तक पहुंचा. अंतरराष्ट्रीय कमीशन ने इरीट्रिया को युद्ध भड़काने का दोषी करार दिया.

वहीं सीमा विवाद को सुलझाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने इरीट्रिया-इथियोपिया बाउंड्री कमीशन भी बनाया गया. कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि विवाद का केंद्र रहा बादमे इलाका इरीट्रिया का है. इथियोपिया की सरकार ने इस फैसले को चुनौती दी. कानूनी दांव पेंचों के साथ ही दोनों देश एक दूसरे पर उग्रवादियों का सहारा लेकर हिंसा फैलाने के आरोप भी लगाते रहे.

अबिय अहमद की एंट्री

2018 में युवा अबिय अहमद इथियोपिया के प्रधानमंत्री बने. 42 साल की उम्र में लोकतांत्रिक तरीके से पीएम बनने वाले वह अफ्रीका के सबसे युवा नेता थे. अहमद ने आते ही इरीट्रिया के साथ सन 2000 में हुए शांति समझौते को बहाल कर दिया. वह पहली बार विमान से इरीट्रिया जाने वाले पीएम भी बने. अहमद ने सीमा विवाद को लेकर कमीशन की रिपोर्ट भी स्वीकार कर ली. इन कदमों को ऐतिहासिक बताया गया और इन्हीं की वजह से आबिय अहमद को 2019 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया.

लेकिन अब शांतिदूत कहे जाने वाले अहमद ने अपनी सेनाओं को उत्तर के पर्वतीय इलाके टिगरे भेज दिया है. इथियोपियाई सेना का दावा है कि उसने टिगरे के दो शहरों को अपने नियंत्रण में ले लिया है. संयुक्त राष्ट्र और दूसरे देश पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि टिगरे में सैन्य कार्रवाई हिंसा को बढ़ावा देगी और इसका असर पूरे इलाके पर पड़ेगा.

इथियोपिया की अहमियत

आबादी के लिहाज से इथियोपिया अफ्रीकी महाद्वीप में नाइजीरिया के बाद दूसरा बड़ा देश है. 11 करोड़ आबादी वाला देश कई कबीलों और समुदायों की विविधता से भरा है. लेकिन अबिय अहमद भी जातीय तनाव को कम करने में विफल साबित हो रहे हैं. विश्लेषकों को आशंका है कि कि इथियोपिया भी बाल्कन देशों की तरह टुकड़ों में टूट सकता है.

ब्रिटिश थिंक टैंक चैथम हाउस के हॉर्न ऑफ अफ्रीका विशेषज्ञ अहमद सोलिमान कहते हैं, "अबिय का नेतृत्व में आना एक नाटकीय बदलाव था. उस बदलाव ने ताकत के समीकरणों को पूरी तरह उलट दिया." लेकिन अब यही समीकरण फिर से ताकतवर हो रहे हैं, "कई क्षेत्रीय ताकतें बहुत ज्यादा स्वायत्ता चाहने लगी हैं."

अबिय सरकार टिगरे पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (टीपीएलएफ) के खिलाफ लड़ रही है. यह वह राजनीतिक पार्टी है जिसने लंबे वक्त तक इथियोपिया की राजनीतिक में अहम भूमिका निभाई है. सत्ता में आते ही अबिय ने टिगरे के कुलीन वर्ग को राजनीतिक रेवड़ियां बांटी. उन्हें सरकारी पद और कई संस्थाओं में अहम भूमिका दी.

युद्ध अपराध के आरोप

लेकिन नवंबर 2020 आते आते आबिय ने टीपीएलएफ के एक हमले के बाद टिगरे में सेना भेज दी. वहां हवाई हमले करने का आदेश दिया और कर्फ्यू लगा दिया. टीपीएलएफ ने इसके विरोध में स्थानीय लोगों से हथियार उठाने को कहा है. इरीट्रिया की सीमा लगे उत्तरी इलाके में टीपीएलएफ बेहद मजबूत है. गृहयुद्ध और इरीट्रिया के साथ युद्ध के दौरान टीपीएलएफ तक बड़ी मात्रा में हथियार भी पहुंचे.

टीपीएलएफ ने अपने पुराने दुश्मन इरीट्रिया पर अबिय का साथ देने का आरोप लगाया है. शनिवार को टीपीएलएफ ने इरीट्रिया पर रॉकेट हमले भी किए. यूएन को आशंका है कि इन हमलों के कारण इरीट्रिया में हिंसा भड़क सकती है. हालात बिगड़े तो इथियोपिया को यमन से भी अपनी सेना वापस बुलानी पड़ेगी. इससे पूरे उत्तर पूर्वी अफ्रीका में हालात और खराब होंगे.

टीपीएलएफ के नेता डेब्रेतसियोन गेब्रेमाइकल ने समाचार एजेंसी डीपीए को टेलीफोन पर एक इंटरव्यू दिया है. इंटरव्यू में गेब्रेमाइकल ने कहा, "जो कुछ भी हो रहा है उससे टिगरे की पूरी आबादी गुस्से में हैं. संघीय सरकार हम पर जुल्म कर रही है."

टीपीएलएफ के मुताबिक राजधानी अदिस अबाबा के आदेश को न मानते हुए इलाके में सितंबर में चुनाव हुए. चुनावों में टीपीएलएफ की जीत हुई और अब उसे इसी की सजा दी जा रही है. गेब्रेमाइकल का कहना है कि नोबेल शांति पुरस्कार विजेता, "अबिय को अब युद्ध अपराधों के लिए अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत में पेश किया जाना चाहिए. उन्होंने अपने ही लोगों पर बम बरसाए हैं.

वहीं सरकार का कहना है कि टीपीएलएफ ने सैनिकों की हत्या कर राष्ट्रद्रोह किया है. सैनिकों पर ऐसे वक्त में हमला किया गया जब वे पैजामे में थे. यह हमला इरीट्रिया में किया गया. टीपीएलएफ का कहना है कि इथियोपियाई सेना उन पर हमले के लिए इरीट्रिया के हवाई अड्डे का इस्तेमाल कर रही थी.

ओएसजे/एके (डीपीए)(dw.com)

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