सामान्य ज्ञान

भारत में रेडियो सेवा कब शुरू हुई?
21-Nov-2020 12:59 PM
भारत में रेडियो सेवा कब शुरू हुई?

भारत में रेडियो प्रसारण का आरंभ 23 जुलाई 1927 को हुआ था। आज़ादी के बाद भारत भर में कई रेडियो स्टेशनों का बड़ा नेटवर्क तैयार हुआ। पचास के दशक के उत्तराद्र्ध  में आकाशवाणी के प्राईमरी-चैनल देश के सभी प्रमुख शहरों में सूचना और मनोरंजन की ज़रूरतें पूरी कर रहे थे। किन्हीं कारणों से उस वक्त  आकाशवाणी से फिल्मी- गीतों के प्रसारण पर रोक लगा दी गयी थी। ये फिल्म-संगीत का सुनहरा दौर था। फिल्म जगत के तमाम कालजयी संगीतकार एक से बढक़र एक गीत तैयार कर रहे थे। 
उन दिनों श्रीलंका ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन की विदेश सेवा, जिसे हम और आप रेडियो सीलोन के नाम से जानते हैं, हिंदी फिल्मों के गीत बजाती थी और अपने प्रायोजित कार्यक्रमों के ज़रिये तहलका मचा रही थी। ऐसे समय में आकाशवाणी के तत्कालीन महानिदेशक गिरिजाकुमार माथुर ने पंडित नरेंद्र शर्मा, गोपालदास, केशव पंडित और अन्य सहयोगियों के साथ एक अखिल भारतीय मनोरंजन सेवा की परिकल्पना की। इसे नाम दिया गया विविध भारती सेवा। आकाशवाणी का पंचरंगी कार्यक्रम। यहां पंचरंगी का मतलब ये था कि इस सेवा में पांचों ललित कलाओं का समावेश होगा। तमाम तैयारियों के साथ 3 अक्तूबर, 1957 को विविध भारती सेवा मुंबई में शुरू की गयी। विविध भारती पर बजा पहला गीत पंडित नरेंद्र शर्मा ने लिखा था और संगीतकार अनिल विश्वास ने स्वरबद्ध किया था। इसे प्रसार गीत कहा गया और इसके बोल थे नाच मयूरा नाच। इसे मशहूर गायक मन्ना डे ने स्वर दिया था। आज भी ये गीत विविध भारती के संग्रहालय में मौजूद है। अखिल भारतीय मनोरंजन सेवा विविध भारती की पहली उद्घोषणा शील कुमार ने की थी। आगे चलकर इस श्रेणी में जो अविस्मरणीय नाम जुड़ा वह था अमीन सयानी का।
 विविध भारती सेवा का स्टूडियो मुंबई में था। देश भर के बहुत काबिल निर्माताओं और उद्घोषकों को विविध भारती के लिए बुलवाया गया था। ताकि आकाशवाणी की ये मनोरंजन सेवा शुरू होते ही बेहद लोकप्रिय हो जाये।
 विविध (भारती) असल अंग्रेज़ी के मिस्लेनियस शब्द का हिन्दी अनुवाद है, जो पंडित नरेन्द्र शर्मा ने इस नई सेवा को दिया था, जब उन्हें 50 के दशक में फि़ल्मी लेखन से रेडियो में बतौर अधिकारी बुलाया गया। विविध भारती भारत मे सार्वजनिक क्षेत्र के रेडियो चैनल आकाशवाणी की एक प्रमुख प्रसारण सेवा है। भारत में रेडियो के श्रोताओं के बीच ये सर्वाधिक सुनी जाने वाली और बहुत लोकप्रिय सेवा है। इस पर मुख्यत: हिन्दी फि़ल्मी गीत सुनवाये जाते हैं। इसकी शुरुआत 3 अक्टूबर 1957 को हुई थी। वर्ष 2006-2007, विविध भारती के स्वर्ण जयंती वर्ष के रूप मे भी मनाया। प्रारम्भ मे इसका प्रसारण केवल दो केन्द्रों, बम्बई तथा मद्रास से होता था। बाद मे धीरे धीरे लोकप्रियता के चलते आकाशवाणी के और भी केन्द्र इसका प्रसारण करने लगे। वर्तमान मे अनेक  केन्द्र आकाशवाणी की विज्ञापन प्रसारण सेवा के रूप में अपने श्रोताओं को विविध भारती के कार्यक्रम सुनवाते हैं।
 

कर्म
गीता दो प्रकार के कर्मों का उल्लेख करती है- सकाम और निष्काम। इसी के अन्य भेद संचित और प्रारब्ध, दैव और पित्र्य और प्रवृत्त तथा निवृत्त हैं। जैन मत में धाति और अधाति को कर्म माना जाता है। इनमें पहला मुक्ति मार्ग की बाधा है। इसके शुभ और अशुभ भेद भी किए जाते हैं। मीमांसा गुणकर्म और अर्थ-कर्म विभेद करती है। अर्थकर्म के भी नित्य, नैमित्यिक और काम्य तीन भेद है। इसके शुभ और अशुभ भेद भी किए जाते हैं। वेदांत ने कायिक, वाचिक , मानसिक, कृत और अकृत ये पांच भेद बताए हैं। तंत्र में जागरण, मारण, उच्चाटन, मोहन स्तंभन और विध्वंशन तथा हठयोग में धौति, वस्ति, नेति, नौलि, कपालभस्ति और त्राटक ये छह-छह भेद वर्णित हैं। पुराणानुसार पुनर्जन्म, स्वर्ग अथवा मोक्ष कर्म के अनुसार ही होता है।
 

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