सामान्य ज्ञान
अनौपचारिक या असंगठित क्षेत्र से जुड़े रोजगारों का एक विशाल बहुमत भारतीय अर्थव्यवस्था की एक विशेषता है। आर्थिक सर्वेक्षण 2007-08 के अनुसार भारत में कार्यरत 93 प्रतिशत स्वरोजगारी और रोजगाररत कर्मचारियों की संख्या असंगठित क्षेत्र में जुड़ी थी। भारत सरकार के श्रम मंत्रालय को असंगठित श्रम बल के अनुसार- व्यवसाय, रोजगार की प्रकृति, विशेष रूप से व्यथित श्रेणियों और सेवा श्रेणियों के मामले में चार समूहों के तहत वर्गीकृत किया गया है।0
व्यवसाय के संदर्भ में- छोटे और सीमांत किसान, भूमिहीन खेतिहर मजदूर, हिस्सा साझा करने वाले, मछुआरे, पशुपालक, बीड़ी रोलिंग करनेवाले, ईंट भट्टों और पत्थर खदानों में लेबलिंग और पैकिंग करनेवाले, निर्माण और आधारभूत संरचनाओं में कार्यरत श्रमिक, चमड़े के कारीगर, बुनकर, कारीगर, नमक मजदूर, तेल मिलों आदि में कार्यरत श्रमिकों इस श्रेणी के अंतर्गत माना गया है।
रोजगार की प्रकृति के संदर्भ में- संलग्न खेतिहर मजदूर, बंधुआ मजदूर, प्रवासी मजदूर, अनुबंधी और दैनिक मजदूर इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।
विशेष व्यथित श्रेणियों के संदर्भ में - ताड़ी बनाने वाले, सफाईकर्मी, सिर पर भार ढ़ोने वाले, पशु चालित वाहन वाले श्रमिक इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।
सेवा श्रेणियों के संदर्भ में- घरेलू कामगार, मछुआरे और महिलाएं, नाई, सब्जी और फल विक्रेता, न्यूज पेपर विक्रेता आदि इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।