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हिंदू-मुसलमान शादी रोकना मध्य प्रदेश सरकार की प्राथमिकता क्यों?
24-Nov-2020 6:29 PM
हिंदू-मुसलमान शादी रोकना मध्य प्रदेश सरकार की प्राथमिकता क्यों?

भारत के "मौजूदा क़ानून में 'लव जिहाद' शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है. किसी भी केंद्रीय एजेंसी की ओर से 'लव जिहाद' का कोई मामला सूचित नहीं किया गया है."

रिपोर्ट की शुरुआत में इस तरह के डिस्क्लेमर का ख़ास संदर्भ है. ऊपर लिखा वाक्य केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी की तरफ़ से 4 फ़रवरी 2020 को लोकसभा में दिए गए एक तारांकित प्रश्न के जवाब का अंश है.

आम तौर पर आप किसी भी रिपोर्ट में इस तरह का डिस्क्लेमर अंत में पढ़ते हैं. लेकिन इस रिपोर्ट में इस शब्द का प्रयोग ख़ुद मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने किया है. इस वजह से जहाँ भी इसका प्रयोग आप पढ़ें इसे उसी संदर्भ में समझें.

जबरन धर्म परिवर्तन रोकने के लिए मध्य प्रदेश सरकार 'धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2020' लाने की तैयारी में है. इसके साथ ही मध्य प्रदेश उन बीजेपी शासित राज्यों की सूची में शामिल हो गया है जिन्होंने पिछले कुछ महीनों में इस तरह के बिल लाने की तैयारी की है. उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा और असम भी ऐसे बिल लाने की तैयारी में हैं.

मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस बिल के प्रावधान, इसकी ज़रूरत पर बीबीसी के साथ बातचीत की है.

आने वाले बिल के प्रावधान पर चर्चा करते हुए उन्होंने बीबीसी से कहा, "कोई भी बहलाकर, फुसलाकर, दबाव में शादी करता है या धर्म परिवर्तन करता है अथवा 'लव' की आड़ में 'जिहाद' की तरफ़ ले जाता है तो उसको पाँच साल का कठोर कारावास दिया जाएगा. यह अपराध संज्ञेय होगा और ग़ैर-ज़मानती भी होगा. इसके साथ-साथ इस अपराध में सहयोग करने वाले जो कोई भी हों, परिवार वाले हों या रिश्तेदार हों, या दोस्त यार हों, वो सब भी उसी श्रेणी के अपराधी माने जाएँगे, जिस श्रेणी का अपराधी धर्म परिवर्तन करवाने वाले को माना जाएगा. सब अपराधी की सज़ा एक समान ही होगी."

क्या है 'लव जिहाद'

साफ़ है कि नरोत्तम मिश्रा शुरुआत में 'लव जिहाद' शब्द का ज़िक्र करने से थोड़ा बच रहे थे. इस वजह से उन्होंने शुरुआत में दोनों शब्दों को अलग-अलग तोड़कर इस्तेमाल किया.

लेकिन आख़िर वो इन दोनों शब्दों का इस्तेमाल अलग-अलग क्यों कर रहे हैं, एक साथ इस्तेमाल से बच क्यों रहे हैं? जब ये सीधा सवाल उनसे किया गया तो उनका जवाब था, " मैं बोल रहा हूँ, इस क़ानून में 'लव जिहाद' भी शामिल है. मैं कहाँ बच रहा हूँ."

यहाँ ये जानना ज़रूरी है कि "भारत के मौजूदा क़ानून में 'लव जिहाद' शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है. किसी भी केंद्रीय एजेंसी की ओर से 'लव जिहाद' का कोई मामला सूचित नहीं किया गया है."

ऊपर लिखा वाक्य केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी की तरफ़ से चार फ़रवरी 2020 को लोकसभा में दिए गए एक तारांकित प्रश्न के जवाब का अंश है.

जिस शब्द को केंद्रीय गृह मंत्रालय स्वीकार नहीं करता, आख़िर एक राज्य के गृह मंत्री कैसे उस शब्द का इस्तेमाल कर सकते हैं? उनके हिसाब से 'लव जिहाद' की परिभाषा क्या है?

इस सवाल के जवाब में नरोत्तम मिश्रा कहते हैं, "धर्म परिवर्तन करना, लालच देना, प्रलोभन देना और शादी करना और शादी के बाद हमारी बेटियाँ जिस तरह से परेशान होती हैं, ऐसे सारे लोग इसमें शामिल हैं, जिसको मीडिया ने 'लव-जिहाद' का नाम दिया है."

मध्य प्रदेश विधानसभा के अगले सत्र में राज्य सरकार इस बिल को लाने की तैयारी में है.

नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि अभी तक जो मामले मध्य प्रदेश में सामने आए हैं वो एक ख़ास धर्म से जुड़े हो सकते हैं, लेकिन राज्य में जो क़ानून आएगा, वो सभी धर्म परिवर्तन पर समान रूप से लागू होगा.

आख़िर कितने मामले?

ऐसे मामलों के उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हरियाणा में ऐसे दो मामले आ चुके, उत्तर प्रदेश में तीन मामले आ चुके हैं और मध्य प्रदेश में भी आए हैं. जबरन धर्म परिवर्तन ही नहीं, हत्याएँ तक हो रही हैं.

मध्य प्रदेश में जबरन धर्म परिवर्तन के ऐसे कितने मामले एक साल में आए हैं, इसके आँकड़े गृह मंत्री से माँगे गए. उनका कहना था कि इस वक़्त उनके पास आँकड़े मौजूद नहीं हैं. लेकिन उन्होंने ये ज़रूर कहा कि दो-तीन साल में ऐसे मामलों की संख्या सैंकड़ो में होगी, हज़ारों में नहीं.

यानी मध्य प्रदेश के गृह मंत्री के मुताबिक़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2020 जिस अपराध के लिए लाया जा रहा है, वैसे अपराधों की संख्या बहुत बड़ी नहीं है.

मध्य प्रदेश में पहले से मौजूद है धर्म परिवर्तन क़ानून

ये सब तब है जब मध्य प्रदेश में पहले से धर्म परिवर्तन निरोधक क़ानून मौजूद है.

साल 2013 में मध्यप्रदेश में धर्म परिवर्तन क़ानून में संशोधन करके जबरन धर्म परिवर्तन पर जुर्माने की रक़म दस गुना तक बढ़ा दी गई थी और कारावास की अवधि भी एक से बढ़ाकर चार साल तक कर दी गई थी. यही नहीं, धर्म परिवर्तन से पहले ज़िला मजिस्‍ट्रेट की अनुमति भी आवश्‍यक कर दी गई थी.

उस वक़्त भी राज्‍य के ईसाई समुदाय ने सरकार के इस फ़ैसले से नाराज़गी ज़ाहिर की थी.

ग़ौरतलब है कि भाजपा सरकार ने 2006 में भी एक बार धर्मांतरण विरोधी बिल में संशोधन किया था, लेकिन राष्‍ट्रपति ने उसे मंज़ूरी नहीं दी थी. ऐसे में एक सवाल ये उठता है कि आख़िर नए क़ानून की ज़रूरत क्यों पड़ी? इस पर राज्य के गृह मंत्री का कहना है कि पुराने बिल में संशोधन कर नए प्रावधान जोड़े जा रहे हैं.

धर्म परिवर्तन रोकने के लिए अलग क़ानून क्यों चाहते हैं राज्य

स्पेशल मैरिज एक्ट

इसके अलावा स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 भी है. भारत में ज़्यादातर शादियां अलग-अलग धर्मों के क़ानून और 'पर्सनल लॉ' के तहत होती हैं. इसके लिए मर्द और औरत दोनों का एक ही धर्म का होना ज़रूरी है.

यानी अगर दो अलग-अलग धर्म के लोगों को आपस में शादी करनी हो तो उनमें से एक को धर्म बदलना होगा पर हर व्यक्ति शादी के लिए अपना धर्म बदलना चाहे, ये ज़रूरी नहीं है.

इसी समस्या का हल ढूंढने के लिए संसद ने 'स्पेशल मैरिज एक्ट' पारित किया था जिसके तहत अलग-अलग धर्म के मर्द और औरत बिना धर्म बदले क़ानूनन शादी कर सकते हैं. ये क़ानून हिंदू मैरिज एक्ट के तहत होने वाली कोर्ट मैरिज से अलग है.

संविधान से मिला अधिकार

भारत के संविधान में इस बात की आज़ादी हर नागरिक को दी गई है कि वो अपनी मर्ज़ी से धर्म चुन सके और बालिग़ होने पर अपनी मर्ज़ी से शादी कर सके.

ऐसे में राज्य सरकार का क़ानून इस बात को कैसे सुनिश्चित करेगा कि लड़की की मर्ज़ी धर्म परिवर्तन के लिए ली गई है या नहीं?

इस सवाल के जवाब में नरोत्तम मिश्रा कहते हैं, "इस क़ानून में ये प्रावधान है कि लड़का-लड़की मर्ज़ी से शादी करेंगे तो ज़िला मजिस्ट्रेट को अपना आवेदन देना होगा. उसके बाद ज़िला मजिस्ट्रेट और कलेक्टर महोदय उसकी पड़ताल करके अनुमति देंगे या आवेदन को ख़ारिज करेंगे. दोनों ही सूरत में लड़का-लड़की दोनों पक्षों को सूचित किया जाएगा. अगर कुछ भी ग़लत पाया गया तो इस तरह से की गई शादी की मान्यता रद्द की जाएगी. शादी के बाद भी लड़की के परिवार की तरफ़ से किसी तरह की शिकायत सामने आती है कि जबरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है, तो उस सूरत में भी एक्शन लिया जा सकेगा. धर्म परिवर्तन क़ानून में इस बात का भी उल्लेख होगा."

वो आगे कहते हैं, "संविधान के तहत धर्म और शादी की स्वतंत्रता के जो अधिकार नागरिकों को दिए गए हैं, ये क़ानून उनको चुनौती नहीं देता है. लेकिन शादी या फिर धर्म परिवर्तन स्वेच्छा से किया जा रहा है या फिर किसी दबाव, लालच में किया गया है, तो इसकी जाँच तो की जाएगी. अब तक अगर ऐसे 100 मामले सामने आएँ हैं, तो उनमें से 90 मामलों में विसंगतियाँ पाई गईं हैं. जिनमें हमारी बेटियाँ परेशान और दुखी हैं."

विपक्ष का आरोप

एक उदाहरण देते हुए नरोत्तम मिश्रा ने सवाल किया कि ऐसी शादियों में 'अनवर' 'अनिल' (काल्पनिक नाम) का नाम रख कर शादी क्यों कर रहा है? क्या ये आपत्तिजनक नहीं है?

दरअसल, यही उदाहरण पूरे विवाद की असली वजह है. गृह मंत्री के उदाहरण से ऐसा लगता है कि कथित 'लव जिहाद' के मामले में मुसलमान लड़के, हिंदू लड़के का नाम रखकर लड़कियों को बरगलाते हैं, शादी करते हैं और फिर जबरन धर्म परिवर्तन करवाते हैं.

20 नवंबर को ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कथित 'लव-जिहाद' के मुद्दे को लेकर भारतीय जनता पार्टी की नीयत पर सवाल उठाये हैं.

उन्होंने बीते शुक्रवार को इस मुद्दे पर सिलसिलेवार तीन ट्वीट किये. उन्होंने लिखा है कि "देश को विभाजित करने और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने 'लव-जिहाद' जैसे शब्द का निर्माण किया है."

अशोक गहलोत के अनुसार, "विवाह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है. इस पर अंकुश लगाने के लिए एक क़ानून लेकर आना, पूरी तरह से असंवैधानिक है और यह क़ानून किसी भी अदालत में टिक नहीं पायेगा. प्रेम में जिहाद का कोई स्थान नहीं है."

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीजेपी नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी नेताओं के परिवार वालों ने भी दूसरे धर्म में शादियाँ की हैं. क्या वे शादियाँ भी 'लव-जिहाद' के दायरे में आती हैं?

कांग्रेस की आपत्तियों पर नरोत्तम मिश्रा कहते हैं, "ये सिर्फ़ कांग्रेस के मुख्यमंत्री कहते हैं. ये लोग अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवाद का समर्थन करते हैं. राहुल गांधी ऐसे लोगों से मिलने जाते हैं जो भारत को तोड़ने की बात करते हैं."

लड़की मुसलमान और लड़का हिंदू, तो क्या?

ये पूछे जाने पर कि अगर लड़की मुसलमान हो और लड़का हिंदू हो और दोनों शादी करते हैं, लड़की धर्म परिवर्तन करती है, तो क्या ये 'लव जिहाद' माना जाएगा?

नरोत्तम मिश्रा कहते हैं, "अगर इस मामले में उसके परिवार की ओर से शिकायत होगी, तो कार्रवाई होगी. जो भी 'लव जिहाद' की तरफ़ ले जाएगा, वो गुनहगार होगा."(https://www.bbc.com/hindi)

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