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मप्र में नेता प्रतिपक्ष को लेकर कई नामों की चर्चा
24-Nov-2020 7:48 PM
मप्र में नेता प्रतिपक्ष को लेकर कई नामों की चर्चा

भोपाल 24 नवंबर | मध्यप्रदेश में विधानसभा के उपचुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस में बदलाव की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के पास पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की कमान है, वे इन दो पदों में से एक छोड़ सकते हैं। संभावना इस बात की है कि कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे और नेता प्रतिपक्ष के पद पर उनकी पसंद का व्यक्ति आसीन होगा। यही कारण है कि पार्टी में नए नेता प्रतिपक्ष के नामों को लेकर चर्चा जोर पकड़ने लगी है।

राज्य में हुए विधानसभा के उपचुनाव में 28 में से कांग्रेस नौ स्थानों पर ही जीत दर्ज कर पाई है, वहीं भाजपा ने 19 स्थानों पर सफलता पाई है। चुनाव नतीजों के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ दिल्ली के प्रवास पर थे। सोमवार को ही उनकी भोपाल वापसी हुई है और उसके बाद से ही पार्टी में बदलाव की चर्चाओं ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि कमल नाथ प्रदेश अध्यक्ष बने रहना चाहते हैं और वर्ष 2023 के चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करने की इच्छा रखते हैं। यही कारण है कि वे नेता प्रतिपक्ष के पद को छोड़ सकते हैं। वैसे पार्टी हाईकमान ने उन्हें अभी तक कोई भी पद छोड़ने का संदेश नहीं दिया है, मगर कमल नाथ एक पद छोड़ने का मन बना चुके हैं।

राजनीति के जानकारों का मानना है कि कमलनाथ मध्यप्रदेश में अपनी पकड़ बनाए रखना चाहते हैं और यह तभी संभव है जब संगठन उनके हाथ में हो। आगामी समय में राज्य में नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव होना है। इन चुनावों में संगठन की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी, इस बात को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी जानते हैं। लिहाजा वे प्रदेश अध्यक्ष का पद नहीं छोड़ेंगे। वर्तमान में राज्य में लगभग सारे गुट खत्म हो गए हैं और कमलनाथ को यह लगने लगा है कि वे राज्य में कांग्रेस को फिर खड़ा कर सकते हैं। इसी उम्मीद के चलते वे अध्यक्ष पद नहीं छोड़ेंगे।

कमल नाथ द्वारा नेता नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ने की संभावना के चलते कई नाम चर्चाओं में आने लगे हैं। जो नाम चर्चाओं में हैं उनमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के करीबी डॉ. गोविंद सिंह, कमलनाथ के करीबी सज्जन वर्मा और तमाम नेताओं से नजदीकियां रखने वाली डॉ. विजय लक्ष्मी साधो के नाम प्रमुख हैं।

कांग्रेस सूत्रों का दावा है कि पार्टी आरक्षित वर्ग के व्यक्ति को नेता प्रतिपक्ष की कमान सौंपने के पक्ष में है और इन स्थितियों में डॉ. साधो का नाम सबसे अहम माना जा रहा है। वह किसी खास गुट से ताल्लुकात नहीं रखतीं, तो वहीं महिला हैं और उन्होंने उपचुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डबरा विधानसभा क्षेत्र की बड़ी जिम्मेदारी उन पर थी, यहां से कांग्रेस ने इमरती देवी को हराने में सफलता पाई है। इमरती देवी पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की करीबी मानी जाती हैं।

वैसे राज्य विधानसभा का सत्र दिसंबर के अंत में होने की संभावना है, इसलिए पार्टी को नेता प्रतिपक्ष का भी फैसला करने की जल्दी नहीं है। फिर भी कमल नाथ दोनों पदों की जिम्मेदारी संभालने को तैयार नहीं है, इसलिए संभव है कि सत्र के शुरू होने से पहले नेता प्रतिपक्ष का ऐलान कर दिया जाए।

--आईएएनएस

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