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26/11 के 12 साल बाद खुद उबल रहा है पाकिस्तान का पंजाब
26-Nov-2020 12:46 PM
26/11 के 12 साल बाद खुद उबल रहा है पाकिस्तान का पंजाब

आरती टिक्कू सिंह 

नई दिल्ली, 26 नवंबर (आईएएनएस)| पाकिस्तान का पंजाब प्रांत जहां 26/11 मुंबई आतंकी हमलों की साजिश रची गई थी, 12 साल बाद खुद बुरी तरह उबल रहा है। यह प्रांत इस्लामी कट्टरवाद की चपेट में है।

यहां चरमपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) का दबदबा है, जो इसके संस्थापक खादिम हुसैन रिजवी के इस्लाम के 'ईश निंदा' के मुद्दे को खासी अहमियत देता है।

व्हीलचेयर से चलने वाले मौलवी ने हाल ही में हजारों समर्थकों के साथ इस्लामाबाद में धरना प्रदर्शन किया और इमरान खान सरकार से पैगंबर मोहम्मद के कार्टून को लेकर हुए ताजा विवाद के चलते फ्रांस से कूटनीतिक संबंध खत्म करने की मांग की थी। आंदोलन के दबाव में आकर खान सरकार ने टीएलपी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए कि वह तीन महीने में नेशनल असेंबली द्वारा इसे मंजूरी देने के बाद फ्रांस के साथ अपने संबंधों को खत्म कर देंगे।

रहस्यमय रूप से 54 साल के रिजवी की मौत 19 नवंबर को हो गई। उनके दफन होने के बाद उनके बेटे हाफिज साद रिजवी ने अपने पिता के मिशन को 'ईशनिंदा' के खिलाफ आगे बढ़ाने की कसम खाई है।

मुंबई आतंकवादी हमलों के अपराधियों लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद, आतंकवादी अजमल कसाब, लश्कर के सरगना डेविड कोलमैन हेडली और तहवुर हुसैन राणा और रिजवी के बीच एक खास संबंध है कि वे सभी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से आते हैं। साथ ही सभी इस्लाम को लेकर कट्टरपंथी और ईशनिंदा को लेकर एक जैसी सोच रखते हैं।

दिलचस्प बात यह है कि हेडली और राणा भारत के खिलाफ मुंबई आतंकवादी हमलों की योजना बनाने के अलावा ईश निंदा के मुद्दे से भी प्रेरित थे। लश्कर के निर्देश पर दोनों ने डेनमार्क के समाचार पत्र जाइलैंड्स-पोस्टेन के खिलाफ आतंकी हमले की योजना बनाई, जिसने 2005 में पैगंबर मोहम्मद के 12 कार्टून प्रकाशित किए थे।

हाल ही में खादिम रिजवी के नेतृत्व में नए सिरे से 'ईशनिंदा' के खिलाफ आंदोलन शुरू हो गया था, जब एक फ्रांसीसी शिक्षक ने फ्री स्पीच पर हुई चर्चा में पैगंबर के कैरिकेचर दिखाए थे। शिक्षक को एक इस्लामवादी छात्र ने मार डाला, जिसकी पूरी दुनिया में निंदा हुई। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों न केवल शिक्षक और फ्रांस की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ खड़े हुए, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका देश इस्लामी कट्टरपंथ को बर्दाश्त नहीं करेगा।

यहां तक कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी हेडली, राणा और खादिम रिजवी के साथ ईशनिंदा के मुद्दे पर उनकी ही सोच वाले हैं। उन्होंने फ्रांस को चेतावनी दी थी कि फ्री स्पीच की आड़ में इस्लाम की 'निन्दा' नहीं की जा सकती है।

पाकिस्तान में अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पंजाब प्रांत में इस्लामी कट्टरता चरम पर पहुंच गई है। यह पाकिस्तान सेना द्वारा भारत के खिलाफ अपने रणनीतिक लक्ष्यों के लिए पंजाब प्रांत में विभिन्न संप्रदायों के धार्मिक कट्टरपंथियों का बार-बार इस्तेमाल करने का ही नतीजा है। यहां भारत में कश्मीर को निशाना बनाने के लिए स्कूलों, देवबंदी, जमात-ए-इस्लामी और अहल-ए-हदीस का इस्तेमाल आतंकी तैयार करने के लिए किया गया था। खासे अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बाद भी कश्मीर के लिए उनके सभी प्रमुख और आतंकी कैंप अभी भी यहां चल रहे हैं।

लाहौर के एक पत्रकार ने आईएएनएस से कहा, "लेकिन 26/11 के बाद से पाकिस्तान में 50 प्रतिशत से अधिक आबादी वाले बरेलवी समुदाय इस्लामिक कट्टरवाद फैला रहे हैं। यह पाकिस्तान के दिल को चीर रहा है।"

गौरतलब है कि पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों में से अधिकांश पंजाब प्रांत के ही हैं।

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