राष्ट्रीय
photo credit piyush nagpal BBC
सुबह 5 बजे तक की बीबीसी की लाइव रिपोर्टिंग
नई दिल्ली, 27 नवंबर | कृषि क़ानूनों के विरोध में 'दिल्ली चलो' मार्च कर रहे किसान पुलिस की तमाम कोशिशों के बाद भी वापस नहीं लौटे. उन्होंने खुले में सड़क पर रात बिताई.
रॉबिनदीप सिंह नाम के एक किसान ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, ''हमारे पास एक महीने का राशन है. हमारे पास खाना बनाने के लिए स्टोव और बाकी चीज़ें हैं. हमारे पास ठंड से बचने के लिए कंबल भी है."
नए कृषि क़ानूनों में ऐसा क्या है कि इतना विरोध हो रहा है?
आख़िर किसानों का एक बड़ा वर्ग केंद्र सरकार के नए कृषि क़ानूनों से इस क़दर क्यों ख़फ़ा है कि वो सड़कों पर आंदोलन करने उतर पड़ा है? इन क़ानूनों में क्या प्रावधान हैं?
किसान संगठनों का आरोप है कि नए क़ानून के लागू होते ही कृषि क्षेत्र भी पूँजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका नुक़सान किसानों को होगा.
आधी रात के बाद भी न किसान पीछे हटे, न पुलिस
आधी रात के बाद भी न किसान हट रहे हैं और न पुलिस. महौल लगातार तनावपूर्ण हो रहा है.
पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए भारी बैरिकेडिंग कर रखी है लेकिन किसान जहाँ-जहाँ बैरिकेडिंग हटा सकते हैं, उन्होंने इसे हटा दिया है.
हालाँकि कई जगहों पर बहुत भारी बैरिकेडिंग है और किसान उसे नहीं हटा पाए हैं. इसके बावजूद वो लगातार नारे लगा रहे हैं और मार्च कर रहे हैं. पुलिस भी पूरी तरह चौकन्नी है.
दिल्ली सीमा से लगभग 15 किलोमीटर दूर राईं से बीबीसी संवाददाता दिलनवाज़ पाशा और पीयूष नागपाल प्रदर्शन का ताज़ा हाल बता रहे हैं.
किसानों ने राईं बॉर्डर के पास बैरिकेड पार किया, भारी पुलिसबल तैनात
बीबीसी संवाददाता दिलनवाज़ पाशा और पीयूष नागपाल ने बताया है कि दिल्ली से करीब 12-15 किलोमीटर दूर राईं बॉर्डर के पास किसानों के एक समूह ने बैरिकेड पार कर लिया है.
इलाके में भारी संख्या में पुलिसबल मौजूद है और हालात पर लगातार नज़र रखी जा रही है. किसानों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए तीन स्तरीय बैरिकेडिंग की गई है और चप्पे-चप्पे पर पुलिस मौजूद है.
दिल्ली-चंडीगढ़ हाइवे के पास सिंघु बॉर्डर पर बड़ी संख्या में पुलिसबल तैनात है जिनमें सीआरपीएफ़ के जवान भी शामिल हैं. (bbc)