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-डायचेवेले पर आमिर अंसारी का लिखा
कोरोना वायरस के प्रसार को फैलने से रोकने के लिए बनाए गए तमाम गाइडलाइंस को धता बताकर किसानों का दल दिल्ली में दाखिल होने की कोशिश में शुक्रवार को भी जुटा रहा. हरियाणा और पंजाब के किसान राशन पानी के साथ विरोध प्रदर्शन के लिए अपने-अपने राज्यों से दिल्ली के लिए निकले हुए हैं. हालांकि दिल्ली पुलिस के मुताबिक कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के नियमों के मुताबिक उन्हें दिल्ली में धरना प्रदर्शन की इजाजत नहीं है. लेकिन शुक्रवार को हुए बवाल के बाद किसानों को दिल्ली में दाखिल होने की इजाजत दी गई. इससे पहले हरियाणा के अंबाला में शंभू बॉर्डर के पास शुक्रवार को दोबारा पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों पर पानी की बौछार कर उन्हें खदेड़ने की कोशिश की.
#WATCH Water cannon and tear gas shells used to disperse protesting farmers at Shambu border, near Ambala pic.twitter.com/EaqmJLhAZI
— ANI (@ANI) November 27, 2020
दिल्ली-हरियाणा को जोड़ने वाले रास्ते पर पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए कॉन्क्रीट के बोल्डर, कंटीले तार, भारी वाहन, जेसीबी मशीनें आदि लगाई. गुरुवार को भी किसानों को रोकने के लिए इसी तरह के इंतजाम किए गए थे. शुक्रवार को किसान आर-पार के मूड में नजर आए और उनका गुस्सा सड़कों पर दिखा. किसानों को रोकने के लिए लगाए गए ट्रक को उन्होंने अपने ट्रैक्टर से हटाने की कोशिश की. किसानों पर पानी की बौछारें, आंसू गैस के गोले दागने और किसानों द्वारा बैरिकेड्स को हटाने की नाटकीय तस्वीरें सामने आईं.
#WATCH Farmers use a tractor to remove a truck placed as a barricade to stop them from entering Delhi, at Tikri border near Delhi-Bahadurgarh highway pic.twitter.com/L65YLRlkBo
— ANI (@ANI) November 27, 2020
प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि वे दिल्ली जाएंगे और मोदी सरकार से नए कानूनों को वापस लेने को कहेंगे. दरअसल किसान कई महीनों से तीन नए कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं. एक न्यूज चैनल से बात करते हुए किसान ने कहा, "हम किसान हैं, हम खेत के कांटों के बीच बड़े हुए हैं. कांटेदार तारों से हमें डर नहीं लगता है." एक और किसान ने कहा, "इसके लिए तो हम मेक्सिको बॉर्डर भी पार कर जाएंगे, दिल्ली का बॉर्डर क्या है."
प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि वे शांतिपूर्ण तरीकों से अपनी मांग रख रहे हैं. एक और किसान का कहना था, "हम जो भी कर रहे हैं वह शांतिपूर्ण तरीके से है. अगर हमें एक महीने के लिए भी रहना पड़ता है तो हम रहेंगे. अगर हमें शहीद होना पड़ता है तो हम शहीद होने को भी तैयार हैं."
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह तत्काल किसान संगठनों से बातचीत कर गतिरोध को खत्म करे. दूसरी ओर कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से एक वीडियो साझा किया गया है जिसमें पुलिस को आंसू गैस के गोले दागते दिखाया जा रहा है. कांग्रेस ने अपने ट्वीट में लिखा, "बीजेपी सरकार अपने ही लोगों के खिलाफ युद्ध छेड़ रही है.
The BJP govt is waging a war against its own people. Why? Because they dared to stand up against the tyranny. pic.twitter.com/S55iacRbpp
— Congress (@INCIndia) November 27, 2020
क्यों? क्योंकि उन्होंने अत्याचार के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत दिखाई."
स्वराज इंडिया ने भी ट्वीट कर किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़ने की आलोचना की है. उसने अपने ट्वीट में लिखा, "जो किसान पूरे देश का पेट भरता है आज उसी किसान को अपनी बात कहने राजधानी आने तक की अनुमति नहीं है. सरकार देश के अन्नदाता को रोकने के लिए दमन का सहारा ले रही है. हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया."
क्या भाजपा सरकार के मन में ज़रा भी शर्म बाकी है?
— Swaraj India (@_SwarajIndia) November 27, 2020
जो किसान पूरे देश का पेट भरता है आज उसी किसान को अपनी बात कहने राजधानी आने तक की अनुमति नहीं है। सरकार देश के अन्नदाता को रोकने के लिए दमन का सहारा ले रही है। हरियाणा सिंघू बॉर्डर पर पुलिस ने टीयर गैर का इस्तेमाल किया।
शर्मनाक!!! pic.twitter.com/PvRkNl9rrX
डटे रहे किसान
गुरुवार और शुक्रवार के बवाल के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि सरकार किसानों के साथ बातचीत करके उनके मुद्दों पर विचार विमर्श के लिए तैयार है. उनका कहना है कि नए कानून बनाना समय की आवश्यकता थी, आने वाले कल में ये नए कृषि कानून, किसानों के जीवन स्तर में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं. तोमर के मुताबिक, "नए कृषि कानूनों के प्रति भ्रम को दूर करने के लिए मैं सभी किसान भाइयों और बहनों को चर्चा के लिए आमंत्रित करता हूं."
इस बीच शुक्रवार को ही दिल्ली पुलिस ने दिल्ली सरकार से नौ स्टेडियमों को अस्थायी जेलों में तब्दील करने की अनुमति मांगी थी, जो खारिज कर दी गई. दिल्ली सरकार का कहना है कि उसने किसानों की जायज मांगों को देखते हुए, दिल्ली पुलिस की स्टेडियम को जेल बनाने की अर्जी नामंजूर कर दी है. दिल्ली सरकार का कहना है कि किसानों का आंदोलन अहिंसक है और उन्हें जेल में डालना इसका समाधान नहीं है. दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार को किसानों की सभी मांगों को तुरंत मान लेने के लिए कहा है.
किसानों के पीछे नहीं हटने के बाद दिल्ली पुलिस ने उन्हें बुराड़ी के निरंकारी समागम स्थल तक आने की इजाजत दे दी. किसान अब निरंकारी समागम स्थल पर प्रदर्शन कर पाएंगे.
यूपी में भी प्रदर्शन
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी पंजाब और हरियाणा के किसानों के समर्थन में किसान उतर आए हैं और शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन किया. एक दिन पहले ही भारतीय किसान यूनियन ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चक्का जाम का ऐलान किया था. मथुरा में किसानों ने यमुना एक्सप्रेसवे पर विरोध करने के लिए सड़क जाम कर दिया. दिल्ली-देहरादून हाईवे पर भी किसानों ने चक्काजाम किया. अन्य राज्यों से दिल्ली आने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि पुलिस ने जगह-जगह बैरिकेडिंग की है. किसान नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि नए कानून से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी. इसी की वजह से उन्होंने "दिल्ली चलो" का नारा दिया और राजधानी में विरोध प्रदर्शन का कार्यक्रम बनाया.