सामान्य ज्ञान
किशोर न्याय(बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2000 और मॉडल रूल्स 2007 एवं समेकित बाल संरक्षण योजना (आईसीपीएस) के विभिन्न प्रावधानों में दिशा-निर्देश प्रदान करने के लिए ट्रेकचाइल्ड पोर्टल विकसित किया गया है। दरअसल केन्द्र प्रायोजित समेकित बाल संरक्षण योजना का लक्ष्य कठिन परिस्थितियों में रह रहे बच्चों जीवन में सुधार करने में योगदान करना है। यह योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही है। आईसीपीएस के तहत राज्य सरकारों का कार्य एक चाइल्ड ट्रैकिंग प्रणाली को स्थापित करना है जो लापता और खोजे गये बच्चों का डेटा का मिलान करने में सहायक होने के साथ योजना लाभार्थी बच्चों की प्रगति को जानने में भी सक्षम हो।
ट्रेकचाइल्ड पोर्टल के उद्देश्य- सुनिश्चित करना कि लापता बच्चों पर समय अनुरुप नजऱ रखी जाए। सुनिश्चित करना कि लापता बच्चों की स्वदेश वापसी और पुनर्वास हो सके। सुनिश्चित करना कि बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआईएस) में बच्चों की उचित देखभाल और विकास हो।
मुख्य तौर पर ट्रेकचाइल्ड सॉफ्टवेयर के दो भाग हैं। पहला भाग बच्चों की जानकारी पर है जो किशोर न्याय (देखभाल एवं बाल संरक्षण) अधिनियम 2000 के अंतर्गत है दूसरे भाग में समेकित बाल संरक्षण योजना (आईसीपीएस) में समेकित बाल संरक्षण योजना अधिकारियों के साथ बाल कल्याण समितियों और किशोर न्याय बोर्ड के सदस्यों द्वारा सॉफ्टवेयर में जानकारियों के साथ खोए हुए बच्चों के प्रतिवेदन को दर्ज करवाना है एवं इन सभी का पुलिस स्टेशन पर नवीनीकरण कराते रहना है।
ट्रेकचाइल्ड लापता और बरामद’ हो गए बच्चों का सजीव डेटाबेस रखती है और सीसीआईएस में रहने वाले बच्चों के समग्र प्रगति की निगरानी भी करता है। इसके साथ पोर्टल केन्द्रीय परियोजना समर्थन यूनिट ,राज्य बाल संरक्षण सोसायटी / इकाइयों और जिला बाल संरक्षण इकाई , बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआईएस), पुलिस स्टेशन, बाल कल्याण समितियों , किशोर न्याय बोर्ड आदि जैसे सभी हितधारकों और आईसीपीएस निकायों के लिए एक एकीकृत वर्चुअल स्थान प्रदान करता है। 35 राज्य/संघ शासित क्षेत्रों में संकट में बच्चे के प्रबंधन और ट्रेकचाइल्ड निगरानी के ट्रेकिंग की सुविधा उपलब्ध है।
सर्वेंट्ïस ऑफ इंडिया सोसाइटी
सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी की स्थापना गोपाल कृष्ण गोखले ने 1905 में बहुभाषी और बहुधर्मी भारतीयों को कल्याण कार्यों के लिए एकजुट और प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से की थी। यह देश का पहला धर्मनिरपेक्ष संगठन था, जो पिछड़े वर्गों, ग्रामीण एवं जनजातीय लोगों, आात राहत कार्यों, साक्षरता के प्रचार-प्रसार और अन्य सामाजिक उद्देश्यों के लिए काम करता था।
इस संस्था के सदस्यों को पांच वर्ष का प्रशिक्षण दिया जाता है और वे साधारण वेतन पर काम करने को सहमत होते है। 1915 में गोखले के बाद श्रीनिवास शास्त्री 1869-1946 इस संगठन के अध्यक्ष बने। संस्था का मुख्यालय पुणे में है और इसकी शाखाएं नई दिल्ली, चेन्नई भूतपूर्व मद्रास, मुंबई भूतपूर्व बंबई, इलाहाबाद और नागपुर में है। यद्यपि सदस्यों की संख्या हमेशा कम रही है तो भी समाजसेवा के आदर्श निभाने में सोसाइटी की भूमिका प्रभावशाली रही है।