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पाकिस्तान: इमरान ख़ान ने कहा- मुझ पर सेना का कोई दबाव नहीं है
29-Nov-2020 4:02 PM
पाकिस्तान: इमरान ख़ान ने कहा- मुझ पर सेना का कोई दबाव नहीं है

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान का कहना है कि उनके ऊपर पाकिस्तानी सेना का कोई दबाव नहीं है और उन्होंने अपने घोषणापत्र के वादों को लागू किया है.

पाकिस्तान के एक प्राइवेट चैनल को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने पत्रकार मंसूर अली ख़ान से कहा, "मैं फ़ौज का विरोध तो तब करूँ जब वो मुझ पर कोई दबाव डाले. आज तक ऐसी कोई एक भी चीज़ नहीं है जो मैं करना चाहता हूँ और फ़ौज मुझे करने से मना करती है."

प्रधानमंत्री का कहना है कि घोषणापत्र उठा कर देखें तो पता चलेगा कि उनकी सारी विदेश नीति तहरीक-ए-इंसाफ़ की ही है.

उन्होंने कहा, "जब नवाज़ शरीफ़ और ज़रदारी सरकार से निकल जाते हैं तो वो विदेश नीति में फ़ौज के दख़ल की बात करते हैं. वो कहते हैं कि वो हिंदुस्तान से दोस्ती करना चाहते थे लेकिन फ़ौज ऐसा नहीं चाहती. लेकिन उनका घोषणापत्र पढ़ कर देखना चाहिए कि उन्होंने उसे लागू किया है."

इस मामले पर बात करते हुए उन्होंने अफ़ग़ान शांति वार्ता का उदाहरण पेश किया. उन्होंने कहा कि उन्होंने मुसलमान देशों को इकट्ठा करने की बात की थी लेकिन इस्लामिक देशों के आपसी मुद्दों पर किसी का पक्ष नहीं लिया.

आसिम सलीम बाजवा का इस्तीफ़ा
प्रधानमंत्री से पूछा गया कि जब रिटायर्ड जनरल असीम बाजवा, पाक-चीन इकोनोमिक कॉरिडोर (सीपैक) के चेयरमैन थे उस दौरान उन्होंने इस्तीफ़ा दिया था, उसे क्यों नहीं स्वीकार किया गया? लेकिन बाद में सूचना प्रसारण मामलों पर प्रधानमंत्री के स्पेशल असिस्टेंट के तौर पर जब उन्होंने इस्तीफ़ा दिया तो उसे क्यों मंज़ूर किया गया?

प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने जवाब दिया, "असीम सलीम बाजवा बलूचिस्तान में सदर्न कमांड के मुखिया थे. ग्वादर सीपैक का एक मुख्य केंद्र है. वह पहले से ही वहाँ काम कर रहे थे, चीनी लोगों के साथ काम करते रहे हैं, इसलिए हमने सोचा कि बेहतरीन विकल्प वही हैं और इसके लिए हम पर किसी का दबाव नहीं था."

स्पेशल असिस्टेंट के तौर पर असीम बाजवा का इस्तीफ़ा स्वीकार करने के बारे में इमरान ख़ान ने कहा कि "उस पोस्ट पर जनरल बाजवा को हम अस्थायी रूप से लाए थे."

उन्होंने पाकिस्तानी सेना के मीडिया विभाग (आईएसपीआर) का भी उदाहरण दिया जिसके प्रमुख असीम बाजवा रहे हैं.

इमरान खान ने आसिम बाजवा के ख़िलाफ़ लगे आरोपों पर कहा कि इस मामले में उन्होंने विस्तृत जवाब दिया है. उन्होंने कहा, "अगर किसी को फिर भी शिकायत है तो उसे एनएबी में दर्ज करवाए और ये सब तो वो आरोप थे जो अख़बार या टीवी में आए थे."

मीडिया पर दबाव और पत्रकारों का ग़ायब होना
प्रधानमंत्री से पूछा गया कि हाल में कई पत्रकार ग़ायब कर दिए गए हैं जैसे मतिउल्लाह जान, अली इमरान सईद, एसईसीपी डायरेक्टर साजिद गोंडल.

उन्होंने जवाब दिया, "मुझे नहीं पता कि उनके साथ क्या हुआ."

जब पत्रकार ने पूछा कि किसे पता था कि उन्हें कौन ले गया है तो प्रधानमंत्री ने कहा उन्हें नहीं पता और उन्होंने "ये मसला गृह मंत्रालय पर छोड़ दिया था."

सेलेक्ट हुए या चुने हुए प्रधानमंत्री?
इमरान ख़ान से सवाल पूछा गया कि क्या उन्हें इस बात का बुरा लगता है जब उन्हें सेलेक्ट किया गया प्रधानमंत्री कहा जाता है?

इस सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने क्रिकेट मैच का ज़िक्र किया. उन्होंने कहा कि मैच के दौरान जीतने की रणनीति लगातार बदलती रहती है. उन्होंने कहा कि अगर वेलफेयर स्टेट बनाने की उनकी एक रणनीति फेल हुई तो वह दूसरी रणनीति बनाएँगे.

उन्होंने कहा कि नवाज़ शरीफ़ को सेलेक्ट किया गया था जिन्होंने कोई चुनाव नहीं लड़ा था. शरीफ़ पहले वित्त मंत्री बनाए गए और फिर मुख्यमंत्री. उन्होंने कहा कि ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो एक डिक्टेटर के साथ रहे और जब अयूब खान ने राजनीति को प्रतिबंध किया हुआ था तब भुट्टो ने पार्टी बनाई थी.

प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने ज़ीरो से शुरुआत की और उनकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं थी.

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'हमारी संस्थाएँ स्वतंत्र हैं'

विपक्ष के ख़िलाफ़ मुक़दमों को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि ज़्यादातर केस दोनों पार्टियों ने ही किए हुए हैं. उन्होंने कहा, "हमने संस्थाओं को स्वतंत्र रखा है."

प्रधानमंत्री ने कहा कि एनएबी उनके दायरे में नहीं है, जेल हैं.

प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने पीएमएल-एन नेता नवाज़ शरीफ़ के बारे में कहा की उनकी मेडिकल रिपोर्ट पढ़ कर उन्हें भरोसा नहीं हुआ कि किसी व्यक्ति को इतनी बीमारियाँ हो सकती हैं.

उन्होंने कहा कि शहबाज़ अंसारी ने लाहौर हाई कोर्ट में नवाज़ शरीफ़ के विदेश जाने को लेकर गारंटी दी थी.

'जहांगीर तरीन मेरे काफ़ी क़रीब थे'
जब पत्रकार मंसूर अली ख़ान ने उनसे पीटीआई नेता जहांगीर तरीन के बारे में पूछा कि क्या वे अब भी पार्टी का हिस्सा हैं तो प्रधानमंत्री ने कहा कि पार्टी में उनके पास कोई पद नहीं है.

उन्होंने कहा, "मैं सिर्फ़ ये कहना चाहता हूँ कि मैं संस्थाओं के काम में दख़ल नहीं देना चाहता, जो भी अपराध में शामिल होगा उसको सज़ा मिलेगी."

जहांगीर तरीन के ख़िलाफ़ लगे आरोपों पर उन्होंने कहा कि वे इस पर शर्मिंदा हैं. "अभी तो केस चल रहा है. हाँ, लेकिन मुझे अफ़सोस होता है. जहांगीर मेरे काफ़ी क़रीब थे. वो कहते हैं कि वे पूरी तरह निर्दोष हैं."

प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे ही पार्टी सदस्यों या मंत्रियों के बारे में कोई ख़बर मिलती है तो वे आईबी के ज़रिए उसकी जाँच करते हैं.

हालाँकि प्रधानमंत्री ने उन पार्टी सदस्यों का नाम बताने से इनकार कर दिया जिन पर अब तक उन्होंने कार्रवाई की है.

पूर्व पंजाब सूचना मंत्री फ़याज़ उल हसन पर उन्होंने कहा कि उन्हें एक मज़बूत मंत्रालय चाहिए था तो उन्हें ये दिया गया लेकिन उन्होंने पहले कभी अल्पसंख्यकों को लेकर एक टिप्पणी की थी जिसकी वजह से उन्हें पद से हटा दिया गया.

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विदेश नीति
यूएई वीज़ा को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पार बातचीत चल रही है और इसमें सिर्फ़ हम ही नहीं, दूसरे देश भी शामिल हैं.

जब सऊदी अरब के साथ बिगड़ते रिश्तों पर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है. उन्होंने कहा, "मेरे मोहम्मद बिन सलमान के साथ अच्छे रिश्ते हैं. कोई समस्या नहीं है. तुर्की के भी हमसे अच्छे रिश्ते हैं और चीन के साथ ऐसे हैं जैसे पहले कभी नहीं थे. अफ़ग़ानिस्तान के साथ हमेशा से ज़्यादा बेहतर रिश्ते हैं.

उन्होंने कहा, "आज की तारीख़ में अमेरिका पाकिस्तान को लेकर कहता है कि हमने शांति वार्ता में जो भूमिका निभायी है वो पहले कभी किसी ने नहीं निभाई थी." (bbc.com/hindi)

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