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चीन के रक्षा मंत्री का नेपाल दौरा क्यों ख़ास है?
29-Nov-2020 7:29 PM
चीन के रक्षा मंत्री का नेपाल दौरा क्यों ख़ास है?

चीन ,29 नवम्बर | चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगही रविवार को नेपाल की यात्रा पर पहुँचे हैं. बताया गया है कि इस यात्रा के दौरान वे नेपाल के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात करेंगे.

चीन के विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी दी है. उन्होंने बताया है कि अपनी एक दिन की यात्रा के दौरान स्टेट काउंसलर वेई राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से शिष्टाचार के नाते मुलाक़ात करेंगे.

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ‘‘चीनी रक्षा मंत्री नेपाली सेना के प्रमुख जनरल पूर्ण चन्द्र थापा से भी मुलाक़ात करेंगे. वेई उसी शाम बीजिंग वापस लौट जायेंगे.’’

इससे पहले भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला अपनी दो दिन की नेपाल यात्रा से भारत लौट चुके हैं.

नेपाल के नये राजनीतिक मानचित्र को लेकर दोनों देशों के रिश्तों में आई कड़वाहट के बीच, भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ के प्रमुख सामंत कुमार गोयल और उनके बाद भारतीय सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे की नेपाल यात्रा ने काफ़ी चर्चा बटोरी थी.

भारत के इन बड़े अधिकारियों से मुलाक़ात के बाद, नेपाल का शीर्ष नेतृत्व चीन के रक्षा मंत्री से वार्ता कर रहा है.

विश्लेषक नेपाल द्वारा अपने उत्तरी और दक्षिणी पड़ोसी देशों से आगामी उच्च-स्तरीय यात्रा को सार्थक मान रहे हैं.

नेपाल सेना के प्रवक्ता संतोष वल्लभ पौड्याल के अनुसार, नेपाल सरकार ने ही चीनी रक्षा मंत्री को आमंत्रण भेजा था.


नेपाल के सुरक्षा विश्लेषक इंद्र अधिकारी ने कहा है कि यह दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि चीनी अधिकारी किसी ठोस उद्देश्य के बिना यात्रा पर नहीं आते.

उनके अनुसार, ‘एक देश के मंत्री या सरकार का दूसरे देश से अपने समकक्ष को बुलाना एक कूटनीतिक अभ्यास है. लेकिन वो ऐसी मुलाक़ातों में यह तय करते हैं कि उन्हें आगे क्या करना है.’

विश्लेषकों के अनुसार, तीन चीज़ें हैं जो चीनी रक्षा मंत्री की इस यात्रा के पीछे की वजह हो सकती हैं.

एक तो यह कि नेपाल में चीनी राजदूत सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल के नेतृत्व में सामयिक विवाद को सुलझाने की कोशिश में सक्रिय रहे हैं और चीन चाहेगा कि नेपाल का उस पर विश्वास बढ़े.

चीन के लिए यह दौरा रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश का संयुक्त दौरा है. विश्लेषकों की राय है कि चीन भले ही क़रीब है, पर अब तक की स्थिति से पता चलता है कि भारत का दक्षिण एशियाई देशों पर अधिक प्रभाव है. वहीं चीन अपने प्रभाव को बनाये रखना या बढ़ाना चाहता है.

तीसरी बात यह है कि नेपाल की संसद ने अभी तक मिलेनियम चैलेंज समझौते की पुष्टि नहीं की है.

इस बीच, चीन अपनी महत्वकांक्षी बेल्ट एंड रोड योजना का अनुसरण करता दिखाई दे रहा है.

इसी संबंध में चीन यह संदेश देना चाहता है कि वो आर्थिक योजनाओं और पिछले समझौतों के लिए प्रतिबद्ध है.

इस वर्ष अगस्त में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि उन्होंने चीन-नेपाल संबंधों को मज़बूत बनाने पर बहुत ज़ोर दिया और वह अपनी नेपाली समकक्ष भंडारी के साथ द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर हैं. (bbc.com/hindi)

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