सामान्य ज्ञान
विज्ञान के इस युग में नए-नए होस उडाने वाले कारमाने दिखने को मिलते है। एक ऐसा ही कारनामा अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कीट के आकार का उडऩे वाला एक रोबोट बनाया है। यह रोबोट कीट की तरह फुर्तीला, चालाक और तेज है। यह कीट रोबोट कार्बन फाइबर से बनाया गया। इसका वजन एक ग्राम से भी कम है। अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा बनाए गए इस रोबोट के पास खास सुपर फास्ट इलेक्ट्रोनिक मांसपेशियां हैं।
ये मांसपेशियां इसके पंखों को गति प्रदान करती हैं और रोबोट को उडऩे में ताकत देती है। इसको बनाने वाले हार्वर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के नन्हें रोबोट का इस्तेमाल बचाव कार्यों के लिए बखूबी किया जा सकता है। ये कीट रोबोट ढही हुई इमारत के मलबों के बीच के छोटे-छोटे बेहद अंदरूनी हिस्सों में आ जा सकते हैं। इस कीट रोबोट का निर्माण डॉ रॉबर्ट वूड के नेतृत्व में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के डॉ केविन मा और उनकी टीम ने। उनका दावा कि उन्होंने दुनिया का सबसे छोटा उडऩे वाला रोबोट बनाया है।
वैज्ञानिकों के अनुसार कीट के आकार के इस रोबोट में कीट-पंतगों जैसी गजब की फुर्ती है। अपनी इस फुर्ती के कारण ही यह किसी भी तरह के गंभीर प्रहार से बच निकलने में कामयाब हो जाता है। इस रोबोट की चुस्ती-फुर्ती उसके पंखों की गति के कारण संभव हो पाती है। बेहद तेज गति से उडने वाला यह रोबोट अपनी उड़ान को संतुलित रख सकता है।.
हवा में मंडराने और दुश्मनों द्वारा किए गए हमले से बचने में पंख इसकी मदद करते है। किसी भी जीते जागते कीट की तरह ही इस कीट रोबोट के पंख भी एक सकेंड में 120 बार फडफ़ड़ाते हैं। शोधकर्ताओं ने पंख को गति देने के लिए पीजोइलेक्ट्रिक नाम के एक खास तरह का पदार्थ इस्तेमाल किया है।
वोल्टेज देने पर यह फैलता-सिकुड़ता है। बहुत तेजी से वोल्टेज घटाने-बढाने से यह वैसे ही काम करता है जैसे कोई कीट अपनी नन्हीं मांसपेशियों का इस्तेमाल करते हुए अपने पंखों को तेजी से फडफ़ड़ाता हैं।