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ईरान के परमाणु वैज्ञानिक को 'रीमोट-कंट्रोल गन से मारा गया', क्या कह रहा इसराइल
01-Dec-2020 9:58 AM
ईरान के परमाणु वैज्ञानिक को 'रीमोट-कंट्रोल गन से मारा गया', क्या कह रहा इसराइल

ईरान का मानना है कि इसराइल और निर्वासित विपक्षी समूह ने उसके शीर्ष के परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह को शुक्रवार को मारने के लिए एक रीमोट नियंत्रित हथियार का इस्तेमाल किया था.

तेहरान में फ़ख़रीज़ादेह की अंत्येष्टि के दौरान ईरान के सुरक्षा प्रमुख अली शामख़ानी ने कहा कि हमलावरों ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का इस्तेमाल किया और वे वारदात स्थल पर मौजूद नहीं थे.

हालांकि उन्होंने इसे लेकर और जानकारी नहीं दी. शुरुआत में ईरानी रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि फ़ख़रीज़ादेह की कार को कुछ बंदूकधारियों ने निशाना बनाया था और उसी दौरान उन्हें गोली मारी गई थी.

इसराइल ने ईरान के इन दावों पर अभी कोई टिप्पणी नहीं की है. 2000 के दशक की शुरुआत में फ़ख़रीज़ादेह ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम में अहम भूमिका अदा की थी.

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सबसे अहम बात यह है कि हाल ही में इसराइल ने फ़ख़रीज़ादेह को लेकर कहा था कि वो ईरान के गोपनीय परमाणु हथियार को विकसित करने में लगे हुए हैं.

ईरान हमेशा से कहता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम हथियार विकसित करने के लिए नहीं है. फ़ख़रीज़ादेह की अंत्येष्टि का कार्यक्रम तेहरान स्थित ईरान के रक्षा मंत्रालय के कैंपस में हुआ. अंत्येष्टि के कुछ अवशेष उत्तरी तेहरान में स्थित एक क़ब्रिस्तान को सौंपा गया.

ईरान के सरकारी टीवी में दिखा कि ईरानी राष्ट्रध्वज में लिपटे फ़ख़रीज़ादेह के ताबूत को सैनिकों और सीनियर अधिकारी उठाए आगे बढ़ रहे थे. इनमें ख़ुफ़िया मंत्री महमूद अलावी, रिवॉल्युशनरी कोर कमांडर जनरल हुसैन सलामी और परमाणु प्रोग्राम के प्रमुख अली अकबर सालेही ने फ़ख़रीज़ादेह की श्रद्धांजलि में नमाज़ अदा की.

ईरान के सुप्रीम नेशनल सिक्यॉरिटी काउंसिल के सचिव एडमिरल शामख़ानी ने फ़ख़रीज़ादेह की अंत्येष्टि कार्यक्रम में कहा कि ईरानी ख़ुफ़िया और सुरक्षा सेवाओं को फ़ख़रीज़ादेह की हत्या की साज़िश का अंदेशा पहले से ही था. उन्होंने कहा कि इस तरह के हमले की आशंका पहले से ही थी.

शामख़ानी ने कहा, ''उनकी सुरक्षा को लेकर ज़रूरी उपाय किए गए थे लेकिन दुश्मनों ने बिल्कुल नया तरीक़ा इस्तेमाल किया. इस हत्या को अंजाम पेशेवर और ख़ास तरीक़े से दिया गया है. दुर्भाग्य से हमारे दुश्मन इसमें सफल रहे. यह बहुत ही जटिल मिशन था क्योंकि इसमें इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का इस्तेमाल किया गया है. वारदात स्थल पर कोई भी मौजूद नहीं था.''

एडमिरल शामख़ानी ने कहा कि इस हत्या को अंजाम देने वालों का कुछ सुराग़ मिला है. उन्होंने कहा, ''इसमें यहूदी शासन और मोसाद के साथ निर्वासित ईरानी विपक्षी समूह मुजाहिदीन-ए ख़ाल्क़ (एमकेओ) निश्चित तौर पर शामिल रहा है.''

मोसाद इसराइल की ख़ुफ़िया एजेंसी है और यहूदी शासन इसराइल के लिए इस्तेमाल किया गया है. एमकेओ ईरान का निर्वासित विपक्षी धड़ा है जो मुल्क में वर्तमान सरकार के ढाँचे का विरोध करता है. ईरान की ओर से यह बयान तब आया है जब वहां की फार्स न्यूज़ एजेंसी ने फ़ख़रीज़ादेह की हत्या में रीमोट-कंट्रोल मशीन गन के इस्तेमाल की बात कही है.

अरबी भाषा के अल-अलाम टीवी की रिपोर्ट के अनुसार इस तरह के हथियार का इस्तेमाल सैटेलाइलट कंट्रोल के ज़रिए किया जाता है. शुक्रवार को जब ईरानी परमाणु वैज्ञानिक की हत्या हुई तो रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि पूर्वी तेहरान में हथियारबंद आतंकवादियों ने फ़ख़रीज़ादेह की कार को निशाना बनाकर हमला किया था.

मंत्रालय ने कहा था कि फ़ख़रीज़ादेह को उनके सुरक्षा गार्ड और हमलावरों के बीच की गोलाबारी में गोली लगी थी और इसी दौरान उनकी मौत हो गई. सोशल मीडिया पर जो तस्वीरें पोस्ट की गई हैं उनमें दिख रहा है कि गोलियों से छलनी हुई कार के साथ मलबे और ख़ून बिखरे पड़े हैं.

सोमवार को फ़ख़रीज़ादेह की अंत्येष्टि में ईरान के रक्षा मंत्री जनरल आमिर हतामी ने संकल्प दोहराया कि इस हत्या का बदला लिया जाएगा.

आमिर ने कहा, ''दुश्मनों को पता है और एक सैनिक के तौर पर मैं उन्हें कह रहा हूं ईरान के लोग हर एक का जवाब देंगे.''

ईरानी रक्षा मंत्री ने कहा कि ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ डिफेंसिव इनोवेशन एंड रिसर्च में फ़ख़रीज़ादेह अहम काम कर रहे थे. यहां परमाणु सुरक्षा को लेकर ईरान काम कर रहा है.

फ़ारसी में इस ऑर्गेनाइज़ेशन को SPND कहा जाता है. ईरानी रक्षा मंत्री ने कहा कि SPND का बजट दोगुना किया जाएगा ताकि 'शहीद डॉक्टर' की राह को और तेज़ी से हासिल किया जा सके.

इलाक़े के मीडिया का क्या कहना है?

ईरान के मीडिया का दो चीज़ों पर ज़ोर है. पहला ईरानी वैज्ञानिक की हत्या का बदला लेना और दूसरा ये कि ईरान को इसराइल के झाँसे में नहीं फँसना चाहिए क्योंकि वो तनाव बढ़ाकर ईरान के परमाणु कार्यक्रम को चौपट करना चाहता है.

इसराइली मीडिया हमले के वक़्त को लेकर सवाल उठा रहा है. विश्लेषकों का कहना है कि अगर अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ईरान के साथ 2015 के परमाणु क़रार को फिर से बहाल करते हैं तो इसराइल चुप नहीं रहेगा. इसके साथ ही ईरानी हमले की भी अटकलें तेज़ हैं.

सऊदी अरब के मीडिया में ईरान के अहम परमाणु वैज्ञानिक की हत्या की रिपोर्टिंग प्रमुखता से हो रही है. ईरान सऊदी अरब का प्रतिद्वंद्वी है. ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर सऊदी अरब चिंता जताता रहता है. अल-शार्क़ अल-अवसात अख़बार में एक कार्टून छपा है जिसमें ईरानी रिवॉल्युशनरी कोर की क्षमता का मज़ाक उड़ाया गया है. अल-अरबिया टीवी की वेबसाइट पर पूछा गया है कि फ़ख़रीज़ादेह की हत्या से ईरान को लेकर बाइडन के दृष्टिकोण पर कोई असर पड़ेगा?

इसराइल के ख़ुफ़िया मंत्री इली कोहेन ने सोमवार एक रेडियो को दिए इंटरव्यू में कहा कि उन्हें नहीं पता है कि ईरानी परमाणु वैज्ञानिक की हत्या के पीछे कौन है.

हालांकि ईरान की परमाणु गतिविधियों पर नज़र रखने वाले इसराइल के एक सीनियर अधिकारी ने न्यूयॉर्क टाइम्स से पहचान छुपाने की शर्त पर कहा है कि परमाणु हथियारों के लिए ईरानी महत्वाकांक्षा को फ़ख़रीज़ादेह आगे बढ़ा रहे थे और इन ख़तरों को टालने के लिए दुनिया को इसराइल का शुक्रगुज़ार होना चाहिए.

इसराइली और पश्चिमी रक्षा सूत्रों का कहना है कि फ़ख़रीज़ादेह ईरान के परमाणु कार्यक्रम में अहम मददगार थे. ईरान 1989 से परमाणु बम के लिए रिसर्च पर काम कर रहा है.

इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) के अनुसार ईरान का यह प्रोजेक्ट 2003 में बंद हो गया था.

हालांकि इसराइली पीएम बिन्यामिन नेतन्याहू ने 2018 में कहा था कि उनके पास जो दस्तावेज़ है उसके मुताबिक़ फ़ख़रीज़ादेह गोपनीय तरीक़े से ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर काम कर रहे हैं और ईरान का अमाद प्रोजेक्ट बंद नहीं हुआ है. अपने प्रेजेंटेशन में नेतन्याहू ने लोगों से कहा था कि फ़ख़रीज़ादेह का नाम कभी ना भूलें.

ईरान 2010 से 2012 के बीच अपने चार और परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या का आरोप इसराइल पर लगा चुका है.

विश्लेषकों का कहना है कि फ़ख़रीज़ादेह की हत्या से ईरान का परमाणु कार्यक्रम अपंग नहीं हो जाएगा. लेकिन अगले साल जब बाइडन के हाथ में अमेरिका की सत्ता आएगी तो 2015 के परमाणु क़रार को ईरान के साथ फिर से बहाल करने की कोशिश प्रभावित होगी.

2015 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ परमाणु क़रार को ख़त्म कर दिया था. ट्रंप ने इस क़रार को दोषपूर्ण बताया था. ट्रंप ने कई तरह के कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे और ईरान के नेताओं को नए क़रार के लिए मजबूर करने की कोशिश की थी.

ईरान ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था और यूरेनियम संवर्धन की सीमा को भी ख़ारिज कर दिया था. यूरेनियम संवर्धन से न्यूक्लियर रिएक्टर्स के ज़रिए ईंधन तैयार किया जा सकता है लेकिन इससे परमाणु बम भी बनाया जा सकता है. (bbc)

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