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योगेंद्र यादव को केंद्र सरकार ने किसानों की वार्ता से बाहर क्यों किया?
02-Dec-2020 9:24 AM
योगेंद्र यादव को केंद्र सरकार ने किसानों की वार्ता से बाहर क्यों किया?

नई दिल्ली, 2 दिसम्बर | किसानों के जिस प्रतिनिधिमंडल को केंद्र सरकार से वार्ता के लिए मंगलवार को बुलाया गया था उसमें स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव शामिल नहीं थे. कहा जा रहा है कि सरकार नहीं चाहती थी कि किसी राजनीतिक व्यक्ति को इसमें शामिल किया जाए.

अंग्रेज़ी अख़बार द हिन्दू ने इस ख़बर को प्रमुखता से जगह दी है. अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि कुछ किसान नेताओं के मुताबिक़ योगेंद्र यादव को प्रतिनिधिमंडल से बाहर वास्तव में पंजाब के कुछ यूनियनों के कारण रखा गया.

सोमवार की रात कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक पत्र जारी कर मंगलवार को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में शाम तीन बजे किसान यूनियनों को वार्ता के लिए आमंत्रित किया था. नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि 13 नवंबर को जो वार्ता में शामिल हुए थे उन्हें ही दोबारा वार्ता के लिए बुलाया गया है. पिछले महीने केवल पंजाब के किसान यूनियनों को वार्ता के लिए बुलाया गया था.

द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार केवल पंजाब के नेताओं को सीनियर ब्यूरोक्रेट्स से फ़ोन गए थे और बीजेपी नेता पिछले कुछ दिनों से अनाधिकारिक रूप से फ़ोन पर वार्ता कर रहे हैं.

हालाँकि मंगलवार को पंजाब के किसान यूनियनों ने फ़ैसला किया कि संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले अखिल भारत प्रदर्शन हो रहा है और वार्ता में सभी को शामिल किया जाए.

इस मोर्चे की समन्वय समिति सात सदस्यीय है जिसमें पंजाब के तीन नेता और योगेंद्र यादव के अलावा भारतीय किसान यूनियन के गुरनाम सिंह चौधरी, राष्ट्रीय किसान महासंघ के शिव कुमार काकाजी के साथ ऑल इंडिया किसान सभा के हन्नान मोल्लाह हैं.

योगेंद्र यादव ने द हिन्दू से कहा, ''अमित शाह ने ख़ुद पंजाब के नेताओं से बात की और कहा कि योगेंद्र यादव को शामिल नहीं किया जा सकता क्योंकि वो एक राजनीतिक पार्टी के प्रमुख हैं. पंजाब के नेता मुझे बाहर किए जाने के आधार पर वार्ता का बहिष्कार करने के लिए तैयार थे लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं वार्ता से अलग रहना चाहता हूं.''

अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार कुछ किसान समूह और नेताओं ने योगेंद्र यादव का हवाला देते हुए कहा कि शुरुआत में उन्होंने प्रदर्शनकारियों से बॉर्डर से बुराड़ी मैदान में शिफ़्ट होने का आग्रह किया था.

इससे लोग योगेंद्र यादव से नाराज़ हो गए. इसके अलावा इस बात से भी नाराज़गी थी कि योगेंद्र यादव और कुछ अन्य राष्ट्रीय नेताओं के आसपास मीडिया की मौजूदगी ज़्यादा थी जबकि उन्होंने मुट्ठी भर प्रदर्शनकारियों को ही लामबंद किया था.

दूसरी तरफ़ केंद्र सरकार ने केवल पंजाब के यूनियनों से वार्ता करने की बात कही ताकि दिखाया जा सके कि केवल एक राज्य से राजनीति से प्रेरित होकर विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा है. मंगलवार को जो वार्ता हुई है उसमें दूसरे राज्य के लोग भी शामिल थे. (bbc)

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