राजनीति
पश्चिम बंगाल, 08 दिसंबर | पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले अहम विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक माहौल अचानक गरमा गया है. बीते महीने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विधानसभा की 294 में से 200 सीटें जीतने का दावा किया और अब बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्य में पार्टी मामलों के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने नागरिकता (संशोधन) क़ानून यानी सीएए को जनवरी से लागू करने की बात कह कर राजनीति के ठहरे पानी में पत्थर उछाल दिया है.
बीजेपी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा भी नौ दिसंबर को कोलकाता के दौरे पर पहुँचने वाले हैं. दूसरी ओर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सोमवार को पश्चिम मेदिनीपुर ज़िले में अपनी रैली में बीजेपी पर जम कर बरसीं और कहा कि वे बाहरी लोगों को लेकर बंगाल की सत्ता पर क़ब्ज़ा करने का उसका मंसूबा कभी पूरा नहीं होने देंगी.
बढ़ती राजनीतिक सरगर्मी के बीच सोमवार को उत्तर बंगाल के सिलीगुड़ी में बीजेपी के मिनी सचिवालय अभियान के दौरान पुलिस के साथ हुई हिंसक झड़प में कई लोग घायल हो गए. बीजेपी नेता सायंतन बसु ने दावा किया कि इसमें पार्टी के एक कार्यकर्ता की मौत हो गई है. इससे पूर्व सिलीगुड़ी में सरकार का एक मिनी सचिवालय है. इस दौरान पुलिस ने जहां आंसू गैस के गोले छोड़े, लाठी चार्ज किया और पानी बरसाया वहीं बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पुलिसवालों पर पथराव किया.
नागरिकता (संशोधन) क़ानून
सीएए का मुद्दा पश्चिम बंगाल में पहले से ही विवादास्पद रहा है. ममता बनर्जी उन चुनिंदा मुख्यमंत्रियों में शामिल हैं जिन्होंने इस क़ानून के सदन में पेश होने पर इसके ख़िलाफ़ सड़कों पर उतर कर धरना और प्रदर्शन किया था.
अब बीते कोई आठ महीनों से कोरोना महामारी और इसकी वजह से लागू लॉकडाउन के चलते यह मुद्दा बंद बस्ते में चला गया था. लेकिन अब बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने इसे जनवरी से लागू करने की बात कह कर एक बार फिर विवाद छेड़ दिया है. इस मुद्दे पर बीजेपी और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के बीच ज़ुबानी जंग भी शुरू हो गई है.
सीएए में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गए हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है.
कैलाश विजयवर्गीय ने शनिवार को कोलकाता से सटे उत्तर 24-परगना ज़िले के बारासात में पार्टी के एक कार्यक्रम में कहा था कि नागरिकता (संशोधन) क़ानून अगले साल जनवरी से लागू हो सकता है. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव का आरोप था कि तृणमूल कांग्रेस की सरकार शरणार्थियों के प्रति हमदर्दी नहीं रखती है.
उनका कहना था, "हमें उम्मीद है कि सीएए के तहत शरणार्थियों को नागरिकता देने की प्रक्रिया अगले साल जनवरी से शुरू हो जाएगी. केंद्र सरकार ने पड़ोसी देशों से उत्पीड़न का शिकार होकर आने वाले शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए उक्त क़ानून पारित किया था."
उस कार्यक्रम के दौरान विजयवर्गीय और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल राय ने साफ़ कर दिया कि बीजेपी सीएए को अगले विधानसभा चुनावों में सबसे प्रमुख मुद्दा बनाएगी.
कोलकाता में आयोजित एक कार्यक्रम में विजयवर्गीय ने कहा, "सीएए लागू करने की माँग में पार्टी अगले महीने सड़क पर उतर कर अभियान चलाएगी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री को तो बाहरी बताती हैं, लेकिन रोहिग्या शरणार्थियों और बंग्लादेश से आने वाले घुसपैठियों को बाहरी नहीं मानतीं."
विजयवर्गीय का सवाल था कि क्या ममता पड़ोसी देशों से शरणार्थी के तौर पर आने वाले हिंदुओं को नागरिकता दिए जाने के ख़िलाफ़ हैं?
पार्टी के वरिष्ठ नेता मुकुल राय बताते हैं कि अगले चुनाव में सीएए का मुद्दा सबसे अहम होगा. वह कहते हैं, "हम आम लोगों के पास जाएंगे. नागरिकता का मुद्दा अहम है. लेकिन तृणमूल कांग्रेस चुनावी नतीजों का अनुमान लगाने में नाकाम है. बीजेपी यहां 200 से अधिक सीटें जीतेंगी."
दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस ने विजयवर्गीय के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है. तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और शहरी विकास मंत्री फ़रहाद हकीम कहते हैं, "बीजेपी पश्चिम बंगाल के लोगों को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रही है. अगर बांग्लादेश से आने वाले मतुआ समुदाय के लोग नागरिक ही नहीं हैं तो वे चुनावों में वोट कैसे डालते हैं?"
ममता की रैली
ममता बनर्जी ने सोमवार को पश्चिम मेदिनीपुर ज़िले में आयोजित रैली में किसान आंदोलन, कृषि क़ानूनों और दूसरे मुद्दों पर बीजेपी और उसकी अगुवाई वाली केंद्र सरकार की जमकर खिंचाई की. ममता ने कृषि क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन करते हुए नरेंद्र मोदी सरकार से कहा कि वह या तो किसानों की माँगें मान लें या इस्तीफ़ा दें. धान की बालियों को हाथ में लेकर शपथ लेते हुए तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि वह हमेशा किसानों के साथ थीं, हैं और रहेंगी. नए कृषि क़ानूनों की वजह से देश में सब्जियों की क़ीमतें बढ़ी हैं. अगर केंद्र इसे वापस नहीं लेता है तो आने वाले समय में महँगाई और भी बढ़ेगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे बाहरी लोगों को लेकर बंगाल की सत्ता पर क़ब्ज़ा करने की बीजेपी की कोशिशों को कामयाब नहीं होने देंगी. उन्होंने पीएम केयर्स फ़ंड पर भी निशाना साधा और इस पर श्वेतपत्र जारी करने की माँग की.
ममता का कहना था, "केंद्र ने न तो कोरोना के मुक़ाबले के लिए कोई सहायता दी है और न ही अंफान से हुए नुक़सान के लिए. बावजूद इसके वह ख़र्च का हिसाब माँग रही है. राज्य सरकार ने अपने ख़ज़ाने से चार हज़ार करोड़ रुपये ख़र्च किए हैं. केंद्र को पहले पीएम केयर्स फ़ंड का हिसाब देना होगा."
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता ने आरोप लगाया कि अगले साल होने वाले चुनावों से पहले तीनों भाइयों यानी कांग्रेस, सीपीएम और बीजेपी ने हाथ मिला लिया है. उनका कहना था, "बीजेपी के लोग यहां तृणमूल के घर में सेंध लगाने में जुटे हैं. लेकिन हम उनको देश से ही खदेड़ देंगे." उन्होंने रक्षा, रेल और कोयला जैसे क्षेत्रों के निजीकरण के लिए भी केंद्र पर हमले किए.
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं, "तृणमूल कांग्रेस के पैरों तले की ज़मीन तेज़ी से खिसक रही है. अब आम लोगों का ममता सरकार से भरोसा ख़त्म हो चुका है. हम अगले साल 200 से ज़्यादा सीटें जीतकर सरकार बनाएँगे."
उनका आरोप था कि केंद्र से करोड़ों की रक़म लेने के बावजूद राज्य सरकार ख़र्चों का कोई हिसाब नहीं दे रही है और उल्टा झूठे आरोप लगा रही है. घोष ने भी रविवार को पूर्व मेदिनीपुर में एक रैली की थी.
जानकारों का कहना है कि त्योहारों का सीज़न ख़त्म होने के बाद अब सत्ता के दोनों दावेदारों ने अपनी राजनीतिक गतिविधियाँ तेज़ कर दी हैं. इसके तहत अमित मालवीय समेत पार्टी के कई नेता राज्य का दौरा कर चुके हैं.
कोई चार दशकों से बंगाल की राजनीति और राजनीतिक बदलावों पर नज़दीकी निगाह रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार तापस मुखर्जी कहते हैं, "सीएए का मुद्दा उठाना बीजेपी की चुनावी रणनीति का हिस्सा है. लेकिन तृणमूल कांग्रेस इस क़ानून को किसी भी क़ीमत पर लागू नहीं होने देना चाहती. ऐसे में इस मुद्दे पर विवाद और तेज़ होने का अंदेशा है. अब जेपी नड्डा के दौरे से बीजेपी का अभियान और तेज़ होगा."(bbc.com/hindi)