अंतरराष्ट्रीय

पाकिस्तान: कोविड वैक्सीन अभियान पर कॉन्सपिरेसी थ्योरी हावी
09-Dec-2020 3:41 PM
पाकिस्तान: कोविड वैक्सीन अभियान पर कॉन्सपिरेसी थ्योरी हावी

पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर कोरोना वैक्सीन देने की योजना है लेकिन वहां टीका अभियानों को लेकर पहले से ही कॉन्सपिरेसी थ्योरी मौजूद है. देश में चीनी वैक्सीन देने की योजना है लेकिन साजिश के सिद्धांत कई बार जानलेवा होते हैं.

dw.com

डॉ. मोहसिन अली ने भावी वॉलंटियरों से सभी तरह के सवाल सुने हैं, जिनमें कुछ सवाल ऐसे हैं-"क्या यह मेरी प्रजनन क्षमता को खत्म कर देगा? क्या इससे मेरी मौत हो जाएगी और क्या इसमें कोई 5जी चिप है और क्या यह लोगों को एकसाथ नियंत्रित करने की साजिश है?" इस्लामाबाद के शिफा अस्पताल में काम करने वाले डॉ. मोहसिन अली ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि वे इस तरह के कई सवालों का सामना कर चुके हैं.

डॉ. अली कहते हैं, "मैं उन्हें तर्क के साथ जवाब देने की कोशिश करता हूं, कुछ उसके बाद भी इनकार कर देते हैं." पाकिस्तान में कुछ और अस्पताल के अलावा चीनी कंपनी कैनसिनो द्वारा बनाई गई वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल इस अस्पताल में भी चल रहा है. सरकार ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि वह वैक्सीन प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है लेकिन उसने यह साफ नहीं किया है कि वह कैनसिनो से ही वैक्सीन खरीदेगी या किसी अन्य कंपनी से.

पिछले महीने हुए गैलप सर्वे के मुताबिक देश में एक बार टीका उपलब्ध हो जाता है तो 37 फीसदी आबादी को वह मिल पाएगा. गैलप के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर बिलाल गिलानी के मुताबिक, "टीका के प्रतिरोध के इतिहास को देखते हुए यह ना केवल पाकिस्तान बल्कि दुनिया के लिए चिंताजनक है क्योंकि वायरस को रोकने के लिए पूरी दुनिया में टीकाकरण निर्भर करता है."

पाकिस्तान में पोलियो अभियान कई बार निशाने पर आ चुके हैं.

पूरी दुनिया में टीका विरोधी भावनाओं का मुकाबला एक बड़ी समस्या है लेकिन पाकिस्तान किसी और देश के मुकाबले कहीं ज्यादा खतरनाक है. पोलिया अभियान के दौरान दर्जनों लोग हमलों में मारे जा चुके हैं. पोलियो अभियान में शामिल टीमों पर हमले होना आम बात है, ऐसा ही कुछ हाल पड़ोसी देश अफगानिस्तान का है.

भरोसे की कमी

पोलियो के खतरे को लेकर दशकों से सभी लोग अच्छे तरीके से परिचित हैं लेकिन कोविड-19 एक नई बीमारी है और अधिकारी इसके बारे में तत्काल संदेश देने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. पाकिस्तान में टीके के प्रभावशीलता का अध्ययन करने वाले सऊदी अरब की अल-जाफ यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर तौकीर हुसैन मलही कहते हैं, "कई लोग अब भी मानते हैं कि यह असली बीमारी नहीं है."

मौलवी किबला अयाज जो कि देश के सर्वोच्च धार्मिक परिषद के अध्यक्ष हैं और सरकार को सामाजिक और न्यायिक मुद्दों पर राय देते हैं, कहते हैं कि कोविड-19 से जुड़ी कई तरह की अफवाह पश्चिम से फैल रही है और इसका प्रसार सोशल मीडिया से हो रहा है. अयाज कहते हैं, "अभी तक कई विद्वानों ने टीका और इलाज को महत्वपूर्ण बताया है लेकिन हमेशा कट्टर लोग होते हैं, जैसा कि पोलियो अभियान के दौरान देखा गया है."

एए/सीके (रॉयटर्स)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news