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क्या कोरोना वायरस एक लैब में बना था?
10-Dec-2020 7:40 PM
क्या कोरोना वायरस एक लैब में बना था?

बीजिंग, 10 दिसंबर | दुनियाभर में कोहराम मचा रहे कोविड-19 को एक साल पूरा हो गया है। एक साल में कोरोना वायरस से दुनिया भर में 6.88 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं, और 15.6 लाख से अधिक लोगों को मौत हो गई है। सच में, इस महामारी ने पूरी दुनिया को दहला रखा है। हालांकि, वायरस के स्रोत को लेकर बहुत-सी थ्योरी सामने आई हैं, और दुनिया के कई देशों ने चीन को घेरने की कोशिश की है। कुछ लोग कहते हैं कि इस वायरस का जन्म वुहान की वेट मार्केट यानी मीट और मछली बाजार से हुआ है। वहीं, दूसरों का कहना है कि वायरस को इंजीनियर किया गया है, या फिर यह लैब से गलती से लीक हो गया है। अब सवाल उठता है कि क्या यह मुमकिन है कि कोविड-19 एक लैब में बना हो?

दरअसल, वायरस के स्रोत को लेकर जो संस्था सबसे ज्यादा निशाने पर रही है, वो है चीन के वुहान शहर में स्थित वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी। कई लोगों का मानना है कि वुहान के इसी लैब से, जिसमें कई तरह के वायरसों पर रिसर्च होती है, चमगादड़ों में मौजूद रहने वाला यह कोरोनावायरस लीक हुआ है।

लेकिन वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की डायरेक्टर वांग ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वुहान लैब में रखे गए चमगादड़ों के अंदर मौजूद रहने वाले कोरोनावायरस के तीन लाइव स्ट्रेन लिए गए थे, जिनमें से किसी में कोविड-19 का वायरस नहीं मिला है।

वैसे भी, अगर शोध करने वाले वैज्ञानिकों को ऐसा कुछ डाटा मिला होता, तो वे तुरंत ही इसके वैज्ञानिक नतीजे प्रकाशित कर दिये होते, इसके लैब में से निकल जाने का इंतजार नहीं किया होता।

शुरू में ऐसी रिपोर्ट आयी थी कि कोविड-19 के शुरूआती मामले वुहान की वेट मार्केट से आये थे, लेकिन बाद में यह माना गया कि शुरूआती मामलों का इस बाजार से कोई लेना-देना नहीं था। तो हो सकता है कि वुहान के बाहर कोई वायरस के संपर्क में आया हो और उसे जानवरों के बाजार तक ले आया, जहां से इस वायरस का फैलना आसान रहा होगा।

लेकिन यह स्पष्ट है कि कोविड-19 जेनेटकली इंजीनियर नहीं किया गया है। अगर ऐसा होता, तो जीनोम डाटा में हेरफेर के संकेत पाये जाते और दुनिया भर के हजारों वैज्ञानिकों ने वायरस के जीनोम को देखा है, उसमें इंजीनियरिंग का कोई सबूत नहीं मिला है।

अगर कोई वायरस में छेड़छाड़ की गई होती, तो वैज्ञानिकों को पता चल जाता। वैज्ञानिकों को डीएनए के लिए खुद से बैकबोन बनानी पड़ती, जो कि आराम से पकड़ में आ जाता। न केवल इतना, बल्कि ऐसा वायरस बनाना जो कि बीमारी फैला सके, ये लगभग नामुमकिन है। और ऐसा इसलिए, क्योंकि वैज्ञानिकों को इसकी ज्यादा जानकारी नहीं है कि एक वायरस को रोगजनक क्या बनाता है।

दरअसल, वायरस बेहद पेचीदा होते हैं। एक वायरस बना पाने के लिए, वैज्ञानिकों को वायरस का हर अणु सफाई से बनाना पड़ेगा। वायरस का केवल एक छोटा-सा हिस्सा बदलने से, यह बहुत अलग बन सकता है। तो यह आराम से कहा जा सकता है कि कोविड-19 एक लैब में नहीं बना था।

वैसे भी, 1900 के दशक में आए स्पैनिश फ्लू के बाद से, वैज्ञानिकों ने यह भविष्यवाणी की थी कि दुनिया एक और वैश्विक महामारी से गुजरेगी। जैसे-जैसे इंसान जंगली जीवों के प्राकृतिक घरों को बर्बाद करते जा रहे हैं, वैश्विक महामारी के फैलने की संभावनाएं उतनी ज्यादा बढ़ती जा रही हैं। चीन या अन्य देशों पर आरोप लगाने की बजाय हमें खुद की ओर देखना चाहिए।

दुनिया के सभी देशों को समझना होगा कि जन स्वास्थ्य, ज्यादा अस्पताल, वैतनिक अवकाश और जंगली जीवन पर निवेश करना जरूरी है, क्योंकि जिस तरह से दुनिया चल रही है, वैश्विक महामारियों को टाला नहीं जा सकता है। हमें इनसे निपटने का बेहतर तरीका निकालना होगा। अभी इसका एक ही तरीका है कि दुनिया में हर कोई मास्क पहनकर रखे।

(अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)  (आईएएनएस)

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