राजनीति

आंदोलनकारी 33 किसानों की मौत पर प्रधानमंत्री चुप क्यों
20-Dec-2020 9:55 PM
आंदोलनकारी 33 किसानों की मौत पर प्रधानमंत्री चुप क्यों

नई दिल्ली, 20 दिसंबर | कांग्रेस ने रविवार को 26 नवंबर से ही दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों में से 33 की मौत के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'चुप्पी' पर सवाल उठाए। अखिल भारतीय किसान सभा ने रविवार को आंदोलनकारी 33 किसानों की मौत पर 'श्रद्धांजलि दिवस' मनाया। इन किसानों की मौत दुर्घटनाओं, बीमारी या ठंड के कारण हुई। ये किसान तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "आंदोलन कर रहे 33 किसानों की मौत हो गई। मगर इस पर मोदी ने एक भी शब्द क्यों नहीं बोला? हमारे प्रधानमंत्री 'मौन' (चुप) क्यों हैं? हमारे अन्नदाता दिल्ली की सीमाओं पर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ सबसे ठंड समय में धरने पर बैठे हैं, लेकिन हमारे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के पास उनके लिए समय नहीं है, लेकिन उनके पास पश्चिम बंगाल जाने, रोड शो करने का समय है।"

उन्होंने कहा, "अत्यधिक ठंड और बीमारियों के कारण 33 किसानों की मौत हो गई है। उनकी मौत के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार है..। इस समय घर के अंदर भी बैठे लोग भी ठंड से ठिठुर रहे हैं, हमें हीटर की जरूरत पड़ रही है और हमारे अन्नदाता बाहर सड़कों पर ठिठुर रहे हैं।"

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, "वे कहते हैं कि प्रधानमंत्री एक ऐसा आदमी है जो इस देश से प्यार करता है, जो अपने लोगों को प्यार करता है। अगर ऐसा है तो बड़े दिल वाला आदमी उन किसानोंसे मिलने तो जा सकता है और उन्हें और उनके परिवारों को सांत्वना तो दे ही सकता है। जरा सोचिए कि किसानों के परिवार और बच्चे इन दिनों किस हाल में हैं। कहां है मोदी की हमदर्दी?

यहां संसद भवन के पास गुरुद्वारा रकाबगंज में हुए प्रधानमंत्री के दौरे पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस नेता शमा ने कहा, "किसी गुरुद्वारे या मंदिर में जाना हमेशा अच्छी बात होती है.. हम सभी भारतीय बहुत आध्यात्मिक लोग हैं और मैं 9वें सिखगुरु गुरु तेग बहादुर को प्रणाम करने के लिए प्रधानमंत्री की वहां की यात्रा की सराहना करती हूं।"

उन्होंने कहा, "सिर्फ धार्मिक स्थलों पर जाने के बजाय, जिसे हम समझते हैं, अच्छी बात है, मोदी को विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों से मिलने भी जाना चाहिए और उनकी बात सुननी चाहिए। वह इन किसानों को न्याय दें और इन काले कानूनों को निरस्त करें।

शमा ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों, विपक्षी दलों और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श से नए कृषि कानूनों को फिर से अधिनियमित करे।"

हाथरस मामले की ओर इशारा करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की निर्दयता पूरी तरह दिख रही है।

उन्होंने कहा, "एक तरफ लाखों किसान न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं और दूसरी ओर यूपी में स्वतंत्र भारत के 73 साल के इतिहास में हुई सबसे वीभत्स सामूहिक दुष्कर्म और हत्या की घटना पर पर्दा डाला जा रहा है।"

शमा ने आगे कहा, हाथरस मामले में सीबीआई की चार्जशीट में इस बात की पुष्टि हुई है कि युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और उसकी हत्या की गई, लेकिन मोदी, अमित शाह और सीएम योगी आदित्यनाथ खामोश हैं।  (आईएएनएस)

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