अंतरराष्ट्रीय

रिपोर्टिंग के लिए तुर्की के पत्रकार को 27 साल की सजा
23-Dec-2020 4:40 PM
 रिपोर्टिंग के लिए तुर्की के पत्रकार को 27 साल की सजा

तुर्की के वरिष्ठ पत्रकार चान डुंडार को जासूसी और एक आतंकी संगठन की मदद के आरोप में 27 साल के कारावास की सजा सुनाई गई है. डुंडार फिलहाल जर्मनी में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं.

  dw.com

डुंडार को तुर्की की अदालत ने सरकारी गोपनीय दस्तावेजों को राजनीतिक और सैन्य जासूसी के मकसद से हासिल करने का दोषी माना है. इसके लिए उन्हें 18 साल 9 महीने कैद की सजा सुनाई गई है. हालांकि उन्हें गोपनीय सूचनाओं को जाहिर करने के आरोपों से मुक्त कर दिया गया है. इसके अलावा उन्हें एक हथियारबंद आतंकी संगठन की मदद करने का भी दोषी करार दिया गया है. इसके लिए अतिरिक्त 8 साल और 9 महीने की सजा सुनाई गई है.

डुंडार तुर्की के प्रमुख अखबार जुमहुरियत के मुख्य संपादक थे और सरकारी उत्पीड़न के बढ़ने के डर से 2016 में भाग कर जर्मनी आ गए थे. उनकी गैरमौजूदगी में ही उन पर मुकदमा चलाया गया. जुमहुरियत ने 2015 में तुर्की की खुफिया एजेंसी के सीरिया में इस्लामी विद्रोहियों को हथियारों से भरे ट्रक भेजने की कवरेज की थी. डुंडार पर चला मुकदमा इसी खबर के इर्द गिर्द सिमटा था. अखबार ने एक वीडियो भी पोस्ट किया था जिसमें पुलिस की वर्दी पहने कुछ लोग ट्रकों और उनमें लदे बक्सों को खोलते दिखे. उसके बाद की तस्वीरों में मोर्टार से लदे ट्रक दिखाई दिए. हालांकि इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि स्वतंत्र एजेंसियों ने नहीं की है.

राष्ट्रपति के लिए प्रतिष्ठा का सवाल
अखबार की रिपोर्ट में दावा किया गया कि तुर्की की खुफिया एजेंसी और राष्ट्रपति ने अभियोजकों को हथियारों की तस्करी के मामले में जांच शुरू नहीं करने दिया. तुर्की के राष्ट्रपति इस खबर के सामने आने पर नाराज हो गए और उन्होंने डुंडार और अखबार के अंकारा ब्यूरो के चीफ एर्देम गुल के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दायर करवा दिया. एर्दोवान का कहना था कि ट्रकों में सीरिया के तुर्क गुटों के लिए सहायता सामग्री थी और डुंडार को "इसकी बड़ी कीमत चुकानी होगी."  इसके बाद तुर्की सीरिया के गृहयुद्ध में सीधे कूद पड़ा और उसने सीमापार से अभियान चलाया.

डुंडार और गुल को 2015 में गिरफ्तार किया गया और उन्होंने तीन महीने जेल में रखा गया. 2016 में डुंडार को एक अदालत ने गोपनीय दस्तावेजों को हासिल करने और जासूसी के लिए जाहिर करने का दोषी  माना और उन्हें 5-6 साल कैद की सजा सुनाई. बाद में जब सुप्रीम कोर्ट में इस सजा के खिलाफ अपील की गई तो कोर्ट ने अदालत को उनके मामले में दोबारा सुनवाई करने और ज्यादा कठोर सजा देने को कहा. दोबारा सुनवाई 2019 में शुरू हुई. 2016 में जर्मनी आ गए डुंडार ने मुकदमे में हिस्सा नहीं लिया.

एर्दोवान की सीरिया में खुफिया खेप
 2014 में सशस्त्र अधिकारियों ने नेशनल इंटेलिजेंस सर्विस के ट्रकों को सीरिया जाते समय सीमावर्ती शहर हताय में रोक दिया था. यह काम सरकारी आदेश का उल्लंघन करके किया गया. इसके बाद इन अधिकारियों पर अमेरिका में रहने वाले मौलवी फेतुल्लाह गुलेन का समर्थक होने के आरोप लगे. 2019 में इन अधिकारियों में से कुछ को ट्रक रोकने वाली घटना के सिलसिले में जेल की सजा सुनाई गई. तुर्की की सरकार ने गुलेन पर 2016 में सैन्य अधिकारियों के एक गुट के जरिए तुर्की में विद्रोह कराने का आरोप लगाया. इसके बाद उनके अभियान को आतंकवादी संगठन करार दिया गया.

डुंडार के वकील अदालत में सुनवाई के दौरान मौजूद नहीं थे. उनका कहना है, "वो एक पहले से निर्धारित राजनीतिक फैसले को वैध बनाने की प्रक्रिया में शामिल नहीं होना चाहते."

अदालत ने डुंडार की गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण की मांग की है. इसी महीने पहले कोर्ट ने फैसला सुनाने की कार्यवाही टाल दी थी क्योंकि डुंडार के वकीलों ने मुकदमे की कार्यवाही के निष्पक्ष नहीं होने और जजों को बदलने की मांग की थी. हालांकि अदालत ने इन मांगों को खारिज कर दिया. अक्टूबर में अदालत ने डुंडार को भगोड़ा घोषित कर तुर्की में उनकी सारी संपत्ति जब्त कर ली.

2016 में तुर्की में तख्तापलट की कोशिशों के बाद बड़ी संख्या में पत्रकारों और दूसरे लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उन्हें सजा सुनाई गई है. तुर्की की सरकार पर इन मामलों में निष्पक्ष मुकदमा नहीं चलाने के आरोप लगते रहे हैं. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के 180 देशों के पत्रकारों की स्वतंत्रता सूची में तुर्की 154वें नंबर पर है.

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news