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विलुप्त होने से कैसे बचे ग्रेट इंडियन बस्टर्ड
24-Dec-2020 2:34 PM
विलुप्त होने से कैसे बचे ग्रेट इंडियन बस्टर्ड

विलुप्त हो रही ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को बचाने के लिए नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल ने एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है. क्या देश की सबसे बड़ी पर्यावरण संबंधी अदालत के हस्तक्षेप के बाद यह दुर्लभ पक्षी हमेशा के लिए खोने से बच पाएगा?

    डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय का लिखा-

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड सारंग पक्षी की एक प्रजाति है जो सिर्फ भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाती है. अनुमान है कि पिछले एक दशक में इसकी संख्या 250 से घट कर 150 ही रह गई है. बुधवार को इसके संरक्षण के लिए नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल ने कई महत्वपूर्ण आदेश दिए.

अधीकरण ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को आदेश दिया कि वो सुनिश्चित करे कि जहां जहां यह विलुप्तप्राय पक्षी पाया जाता है, वहां सौर ऊर्जा की तारों पर बर्ड डाइवर्टर लगाए जाएं और नई सौर परियोजनाओं को तब तक अनुमति ना दी जाए जब तक उनकी तारों को जमीन के नीचे बिछाने का कार्य पूरा नहीं हो जाता.

इस आदेश की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि पर्यावरण मंत्रालय की एक रिपोर्ट में सामने आया था कि भारी करंट वाली बिजली की तारें ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पक्षियों की मृत्यु की घटनाओ में से 15 प्रतिशत घटनाओं के लिए जिम्मेदार होती हैं. जानकारों के अनुसार यह भारी पक्षी होते हैं, इनकी सामने की नजर कमजोर होती है और इन्हें अक्सर चीजों से टकरा जाने का खतरा रहता है.

नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को आदेश दिया कि वो सुनिश्चित करे कि जहां जहां विलुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पाया जाता है वहां सौर ऊर्जा की तारों पर बर्ड डाइवर्टर लगाए जाएं.

बिजली की तारें अगर इन्हें दूर से ना दिखें तो भारी होने के कारण ये आखिरी समय में अपनी उड़ान की दिशा बदल नहीं पाते और तारों से टकरा जाते हैं. बर्ड डाइवर्टर बिजली की तारों पर लगाए जाने वाले छोटे लेकिन चमकदार उपकरण होते हैं जो हवा के साथ घूमते रहते हैं. इनसे तारें आसानी से दिख जाती हैं. जानकारों का दावा है कि दुनिया भर में इनके इस्तेमाल से पक्षियों की मृत्यु दर आधी हुई है.

अधीकरण के ये दोनों आदेश पांच राज्यों पर लागू होंगे, जिनमें महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश शामिल हैं. इन सभी राज्यों में किसी भी नई सौर परियोजना को शुरु करने से पहले पर्यावरण असर समीक्षा (ईआईए) रिपोर्ट में जैविक असर समीक्षा भी करना अनिवार्य होगा. इस बीच मीडिया में आई एक खबर में बताया गया है कि वन्य-जीव संरक्षण सोसाइटी इंडिया ने राजस्थान के पोखरण जिले में ऐसे 1,848 डाइवर्टर लगाने का काम शुरू भी कर दिया है.
 

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