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जर्मन राष्ट्रपति ने क्रिसमस के मौके पर अपने सालाना संदेश में अगले साल स्थिति सामान्य होने और चुनौतियों का मिल कर सामना करने के लिए संदेश दिया है. उन्होंने इस बार के क्रिसमस को असाधारण और उम्मीद का क्रिसमस कहा है.
"'कब मैं अपने सपनों को फिर जी सकूंगा?' मेरे जर्मनों लोगों की झुंझलाहट से भरे इस तरह के हजारों संदेश हर रोज मुझे देश के कोने कोने से आते हैं." जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ने अपना पारंपरिक क्रिसमस संदेश इन्हीं शब्दों के साथ शुरू किया. बीते कुछ सालों में यह एक दुर्लभ मौका है जब राष्ट्रपति के संबोधन का मुख्य हिस्सा इतना स्पष्ट और शुरुआत से ही हर इंसान के लिए था. इससे पहले के सालों में आमतौर पर राष्ट्रप्रमुख क्रिसमस के मौके पर कई सारे सामाजिक मुद्दों की चर्चा करते थे, लेकिन इस बार उनके भाषण में कोरोना वायरस की महामारी थी.
राष्ट्रपति ने कहा कि "एक छोटे से वायरस" ने हमारी जिंदगी और हमारी सोच पर कब्जा कर लिया है, हमारी योजनाओं को धराशायी कर दिया है और सपनों को ध्वस्त कर दिया. लोगों के पास करने को कितना कुछ होता थाः "स्टेडियम में जा कर फुटबॉल मैच देखना, सिनेमा जाना, कंसर्ट, छु्टियों पर जाना, शादी का उत्सव मनाना और बहुत, बहुत सारी चीजें."
जर्मन राष्ट्रपति ने स्कूली बच्चों की निराशा और परेशान परिवारों की मुश्किलों के बारे में बात की जो अपनी कामकाजी जिंदगी और बच्चों को पढ़ाने की मुश्किलों से जूझ रहे हैं, साथ ही कलाकारों, रेस्तरांओं, होटल और खुदरा व्यापारियों के अस्तित्व को लेकर चिंताओं के बारे में भी.
एक बिल्कुल अलग क्रिसमस
खासतौर से इस बार का क्रिसमस तो बिल्कुल ही अलग है. राष्ट्रपति ने कहा, "प्यार का एक उत्सव: निश्चित रूप से! लेकिन खासतौर से जब इस वक्त जब हम एक दूसरे के पास होते हैं हमें अपने बीच दूरियां बनाए रखनी हैं. हम- जिसमें मैं शामिल हूं- अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को याद कर रहे हैं जिन्हें हमने पूरे साल नहीं देखा. बहुत से बुजुर्ग और बीमार लोग अकेले समय बिता रहे हैं ताकि खुद को वायरस से बचा सकें."
श्टाइनमायर ने खासतौर से उन लोगों की ओर ध्यान दिलाया,"जो औरत और मर्द वायरस से इंटेंसिवर केयर यूनिट में जूझ रहे हैं और उनके करीबी परिजन जो सबसे बुरा होने की आशंकाओं के साथ जी रहे हैं या फिर जो लोग इस बीमारी से जंग में हार गए हैं. बहुत से लोगों को एक बेहद कड़वी और अकेली मौत मिली है और इन सब लोगों की याद आएगी."
'हमारा देश एक मजबूत देश है'
इसी के साथ राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि महामारी ने हमें यह दिखा दिया है कि हमारा समाज कितना मजबूत है, "क्योंकि बहुत से लोग दूसरों के लिए संकट की इस घड़ी में हद से आगे बढ़ कर काम कर रहे हैं."
राष्ट्रपति के शब्दों में पांच साल पहले जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के मशहूर भाषण की गूंज सुनाई दे रही थी. अगस्त 2015 में चांसलर ने कहा था हमारा देश एक मजबूत देश है और इसके साथ ही उन्होंने यह कह कर कि "हम यह कर सकते हैं," लाखों आप्रवासियों और शरणार्थियों के लिए जर्मनी के दरवाजे खोल दिए. अब यह साफ नहीं है कि श्टाइनमायर ने जान बूझ कर मैर्केल के शब्दों को अपने भाषण में शामिल किया या फिर नहीं, लेकिन उनका संदेश जरूर साफ हैः जर्मनी इस चुनौती का सामना कर सकता है.
राष्ट्रपति यह बताना चाहते थे कि अगर सारे लोग मिल कर काम करें और सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाए तो जर्मनी इस संकट से बाहर निकल आएगा. महामारी के दौरान उन्होंने कहा कि सामुदायिक भावना मजबूत हुई है. उन्होंने कहा कि इसने हमारे अंदर की उस हिम्मत को दिखाया है जो जलवायु परिवर्तन से लेकर भूख और गरीबी से लड़ने जैसे दूसरे संकटों के सामने है.
लोकतंत्र और लोकतांत्रिक सरकारों के सामने आज जो खतरे हैं उन पर श्टाइनमायर का ध्यान राष्ट्रपति के रूप में सबसे ज्यादा रहा है. इस भाषण में भी वो वो उन लोगों का जिक्र करने से नहीं चूके जो सरकार और समाज के कामकाज पर संदेह करते हैं. उन्होंने कहा कि वह इस बात से वाकिफ हैं कि बहुत से लोग वैक्सीन लगाने के विरोधी हैं और जर्मनी में संदेह के बादल उड़ा रहे हैं. श्टाइनमायर ने कहा, "अनिश्चितता के इस दौर में हमने सीखा है कि हम हमारे लोकतंत्र पर भरोसा कर सकते हैं. हमने सही कदमों पर बहस की है और फिर फैसलों को लागू करने में सहयोग किया है. जो लोग वायरस के खतरे से इनकार करते हैं साफ तौर पर अकसर बहुत मुखर हैं.हालांकि बहुमत उन लोगों की है जो औचित्य के साथ हैं."
'उम्मीद का क्रिसमस'
बड़े पैमाने पर टीकाकरण महामारी के दौर में उम्मीद की एक किरण लेकर आया है और श्टाइनमायर लोगों से टीका लगवाने के लिए सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं. वो इसे एकजुटता के लिए उठाया कदम मानते हैं.
अब टीकाकरण के लिए जमीनी तैयारी हो चुकी है तो श्टाइनमायर कह सकते हैं, "इस बार का क्रिसमस उम्मीद का उत्सव है" और 2021 का जो क्रिसमस होगा वह "गले मिलने और गीत गाने" का होगा.
इसके बाद भी जर्मन राष्ट्रपति ने मुश्किल स्थिति में मिठास लपेटने की कोशिश नहीं की बल्कि उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय के लिए उत्साह बढ़ाया,"हमारे सामने अब भी एक लंबा और मुश्किल रास्ता है. हालांकि अब हम इस सुरंग के आखिरी सिरे पर बहुप्रतीक्षित रोशनी की किरण देख रहे हैं जो और ज्यादा चमकदार हो रही है."
इसके साथ ही श्टाइनमायर ने कहा कि यह हम सब पर निर्भर करेगा कि यह रास्ता कितना लंबा होगा. अगर हर कोई धैर्य और अच्छी समझ बनाए रखेगा तो बहुत सी चीजें जो लंबे समय के लिए संभव नहीं थीं वो एक बार फिर संभव होंगी.
भाषण के आखिर में राष्ट्रपति ने पूरे भरोसे के साथ अब से अगले एक साल की भविष्यवाणी की, "हम सब को अधिकार है कि अगले साल क्रिसमस के उत्सव का इंतजार करें, जिस रूप में हम इसे मनाना चाहते हैं: मेज पर पूरा परिवार हो, अपने दोस्तों को हम गले लगाएं और गीत गाएं. आइए उम्मीद करें कि अगले साल के जश्न की उम्मीद इस असाधारण त्यौहारी मौसम में चमक भर दे. आप सब को क्रिसमस की ढेर सारी बधाइयां."