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बांग्लादेश का सरकार परिवार, जिसके पुरुष सदस्यों के पास फिंगरप्रिंट नहीं होते
27-Dec-2020 10:12 AM
बांग्लादेश का सरकार परिवार, जिसके पुरुष सदस्यों के पास फिंगरप्रिंट नहीं होते

एक वीडियो कॉल में अपू सरकार ने मुझे अपना हाथ दिखाया. यह देखकर कुछ भी अस्वाभाविक नहीं लगा. लेकिन जब मैंने बारीकी से देखा, तो उनकी सभी उंगलियों की नोक की सतह सपाट थी.

बाइस साल के अपू सरकार बांग्लादेश के उत्तरी ज़िले राजशाही में अपने परिवार के साथ रहते हैं. कुछ समय पहले तक वे एक चिकित्सा सहायक के रूप में काम कर रहे थे. उनके पिता और दादा किसान थे.

अपू के परिवार के सभी पुरुष सदस्यों में आनुवांशिक कारणों से एक दुर्लभ शारीरिक स्थिति देखने को मिलती है. उनके पास कोई फिंगरप्रिंट नहीं है. ये स्थिति इतनी दुर्लभ है कि अब तक यह दुनिया के कुछ ही परिवारों में देखी गई है.

अपू के दादा के समय में उंगलियों के निशान का अभाव एक बड़ा मुद्दा नहीं था. अपू बताते हैं, "मुझे नहीं लगता कि मेरे दादाजी ने इसे एक समस्या के रूप में लिया था."

लेकिन दशकों बाद हमारी उंगलियों पर छोटी-नन्हीं बरीक लकीरें (अंग्रेजी में डर्मैटोग्लिफ़ कहा जाता है) दुनिया भर में सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाला बायोमेट्रिक डेटा बन गया है.

सरकार परिवार का संघर्ष

इसका उपयोग बैकों में खाता खोलने से लेकर नए मोबाइल फ़ोन का कनेक्शन लेने तक में किया जाता है. साल 2008 में जब अपू युवा थे, तब बांग्लादेश में सभी वयस्कों के लिए एक राष्ट्रीय पहचान पत्र पेश किया गया था. उसके लिए सभी को अंगूठा लगाना था.

जब अपू के पिता अमल सरकार पहचान पत्र लेने गए तो कर्मचारी हैरान रह गए. अंत में, उन्हें ये जो पहचान पत्र दिया गया, उस पर लिखा था 'बिना फिंगरप्रिंट के.' साल 2010 में पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस के लिए बांग्लादेश में उंगलियों के निशान भी अनिवार्य किए गए थे.

काफी कोशिशों के बाद और मेडिकल बोर्ड प्रमाण पत्र के आधार पर अमल ने पासपोर्ट बनवाया. लेकिन उन्होंने अभी तक इसका उपयोग नहीं किया है. वे हवाई अड्डे पर किसी मुसीबत में पड़ने से घबराते हैं.

हालांकि खेतीबारी के काम के लिए उन्हें मोटरसाइकिल की सवारी करनी पड़ती है लेकिन उन्होंने ड्राइवर का लाइसेंस नहीं लिया है. अमल ने बताया, "मैंने शुल्क का भुगतान किया, परीक्षा उत्तीर्ण की, लेकिन उन्होंने मेरे नाम से ड्राइविंग लाइसेंस जारी नहीं किया क्योंकि मेरे पास फिंगरप्रिंट नहीं थे."

अमल को जब भी ट्रैफिक पुलिस वाले रास्ते में चेकिंग के दौरान रोकते हैं तो वे उसी ड्राइविंग लाइसेंस के लिए जमा की गई फीस की रसीद दिखलाते हैं. लेकिन इससे हमेशा उनका काम नहीं बनता है. पहले भी वे दो बार जुर्माना भर चुके हैं.

'एडर्मैटोग्लाफ़िया' की समस्या

वे ट्रैफिक अधिकारी को अपनी स्थिति के बारे में बताते हैं और अपनी उंगलि दिखाने की कोशिश करते हैं. लेकिन फिर भी उन्हें जुर्माना भरना पड़ता है. अमल बताते हैं, "मुझे हमेशा ही इस तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है."

साल 2016 में बांग्लादेश की सरकार ने मोबाइल फोन का सिम कार्ड खरीदने के लिए उपभोक्ता की उंगलियों के निशान राष्ट्रीय डेटाबेस से मैच कराने की ज़रूरत को अनिवार्य कर दिया था.

अपू हंसते हुए बताते हैं, "वे कन्फ़्यूज हो गए. सिम कार्ड खरीदते समय जब भी मैं अपनी अंगुली सेंसर पर रखता, उनका सॉफ्टवेयर हैंग हो जाता था." अपू सिम कार्ड नहीं खरीद पाए. अब उनके परिवार के सभी पुरुष सदस्य उनकी माँ के नाम पर सिम कार्ड का उपयोग करते हैं.

अमल और अपू सरकार का परिवार जिस मेडिकल समस्या से जूझ रहा है, साइंस में उसे 'एडर्मैटोग्लाफ़िया' कहते हैं. इस मामले की चर्चा साल 2007 में उस वक़्त खूब हुई थी, जब स्विटज़रलैंड के एक त्वचा विशेषज्ञ पीटर इतिन से 25 साल की एक महिला ने संपर्क किया था.

उस महिला को अमेरिका जाने में परेशानी हो रही थी. उसका चेहरा और पासपोर्ट का फोटो तो मैच कर रहा था लेकिन आव्रजन अधिकारी उसकी उंगलियों के निशान को रिकॉर्ड करने में असमर्थ थे क्योंकि उस महिला के पास कोई फिंगर प्रिंट ही नहीं था.

बेहद दुर्लभ मामला

जांच करने पर प्रोफेसर इतिन ने पाया कि महिला और उसके परिवार के आठ सदस्यों में समान समस्याएं थीं- अंगुली के पोरुए वाले सपाट हिस्से और कम संख्या में पसीने वाली ग्रंथियां.

प्रोफ़ेसर इतिन ने एक अन्य त्वचा विशेषज्ञ एलाई स्प्रेकर और एक छात्र जाना नौसबेक के साथ परिवार के 16 सदस्यों के डीएनए का अध्ययन किया. उनमें से सात में उंगलियों के निशान थे और नौ के नहीं थे.

प्रोफ़ेसर इतिन ने बीबीसी को बताया, "ऐसे मामले बेहद दुर्लभ हैं. केवल कुछ ही परिवारों को ऐसा देखा गया है."

साल 2011 में प्रोफेसर इतिन की टीम ने पाया कि नौ गैर-फिंगरप्रिंट वाले लोगों में SMARCAD1 नामक जीन में मुटेशन के कारण ऐसा हुआ था. उस समय इस जीन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी. हाथों पर प्रभाव के अलावा इसकी वजह से कोई और स्वास्थ्य समस्या नहीं देखी गई.

खोज के बाद इस स्थिति को 'एडर्मैटोग्लाफ़िया' नाम दिया गया. हालांकि प्रोफेसर इतिन ने इसे "कहीं आने-जाने में रुकावट पैदा करने वाली बीमारी" का नाम दिया है. ये बीमारी परिवारों की पीढ़ियों को प्रभावित कर सकती है.

'जन्मजात पामोप्लांटर केराटोडर्मा'

अपू सरकार के चाचा गोपेश ढाका से 350 किलोमीटर दूर दिनाजपुर में रहते हैं. पासपोर्ट पाने में उन्हें दो साल लग गए. पासपोर्ट पाने की समस्या को याद करते हुए गोपेश बताते हैं, "मुझे अपनी स्थिति समझाने के लिए चार या पांच बार यात्रा करनी पड़ी."

गोपेश के दफ़्तर में हाजिरी लगाने के लिए बायोमेट्रिक एटेंडेंस सिस्टम ने गोपेश के लिए अलग से समस्या खड़ी कर दी थी. उन्होंने अपने आला अधिकारियों को पुराने दस्तखत वाली हाजिरी व्यवस्था के लिए मनाना पड़ा, जिसके लिए उन्हें इजाजत दे गई.

एक बांग्लादेशी त्वचा विशेषज्ञ ने अमल सरकार के परिवार की स्थिति को "जन्मजात पामोप्लांटर केराटोडर्मा" के रूप में वर्णित किया. प्रोफेसर इतिन के अनुसार 'एडर्मैटोग्लाफ़िया' की दूसरी अवस्था में त्वचा सूखने लगती है और हाथों और पैरों पर पसीना कम हो सकता है.

यही लक्षण सरकार परिवार में देखे गए हैं. हालांकि इसकी पुष्टि करने के लिए और परीक्षण किए जाने की ज़रूरत होगी.

त्वचा विशेषज्ञ एलाई स्प्रेकर कहते हैं कि उनकी टीम सरकार परिवार का जेनेटिक टेस्ट करना चाहेगी. इस जेनेटिक टेस्ट से सरकार परिवार को केवल अपनी स्थिति का पता चल पाएगा लेकिन रोज़मर्रा की ज़िंदगी में आने वाली परेशानियों से बचने में उन्हें मदद नहीं मिलने वाली है.

नए प्रकार का राष्ट्रीय पहचान पत्र

सरकार परिवार के लिए समाज धीरे-धीरे और अधिक जटिल होता जा रहा है. अमल सरकार ने अपना अधिकांश जीवन बिना किसी समस्या के बिताया लेकिन अब वह अपने बच्चों के लिए चिंतित हैं.

उन्होंने कहा, "यह मेरे हाथों की बात नहीं है. यह मेरी जन्मजात स्थिति है. लेकिन जिस तरह से मेरा बेटा और मैं अलग-अलग दर्द से गुजर रहे हैं, मेरे लिए ये तकलीफदेह है."

चिकित्सा प्रमाण पत्र पेश करने के बाद, अमल और अपू को हाल ही में एक नए प्रकार का राष्ट्रीय पहचान पत्र हासिल हुआ है. इसमें अन्य बायोमेट्रिक डेटा जैसे आंख रेटिना स्कैन और चेहरे की छवियां शामिल हैं.

लेकिन फिर भी वे न तो सिम कार्ड खरीद पाए हैं और न ही उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस मिला है. पासपोर्ट प्राप्त करना एक लंबा और थकाऊ काम बन गया है. अप्पू ने कहा, "मैं अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जानकर हैरान हूं. मैंने कुछ सुझाव मांगे हैं, लेकिन कोई रास्ता नहीं मिल पाया है. कुछ ने यह भी सुझाव दिया कि मुझे कोर्ट जाना चाहिए. यदि सभी विकल्प समाप्त हो जाएंगे तो मैं ऐसा ही करूंगा."

अपू ने उम्मीद जताई कि उन्हें पासपोर्ट मिल जाएगा. वे बांग्लादेश से बाहर यात्रा करना पसंद करते हैं. (bbc)

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