विचार / लेख

सावित्री बाई और फातिमा शेख!
03-Jan-2021 3:25 PM
सावित्री बाई और फातिमा शेख!

-ध्रुव गुप्त

आज देश में स्त्री शिक्षा की अलख जगाने वाली और स्त्रियों के अधिकारों की योद्धा सावित्री बाई फुले की जयंती है। यह सुखद है कि देश उन्हें नहीं भूला है। हां, यह देखकर तकलीफ जरूर होती है कि स्त्री शिक्षा, विशेषकर मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा के लिए जीवन भर उनके साथ कदम से कदम मिलाकर काम करने वाली फातिमा शेख को लोगों ने विस्मृत ही कर दिया है। फातिमा शेख के बगैर सावित्री बाई की कहानी भी अधूरी है और उपलब्धियां भी। यह वह समय था जब सावित्री बाई और उनके पति जोतीराव फुले द्वारा लड़कियों को घर से निकालकर स्कूल ले जाने की कोशिशों का सनातनियों द्वारा प्रबल विरोध हो रहा था। चौतरफा विरोध के बीच पति-पत्नी को अपना घर छोडक़र जाना पडा था। पूना के गंजपेठ के उनके एक दोस्त उस्मान शेख ने उन्हें रहने के लिए अपना घर दिया। उस्मान के घर में ही उन दोनों का पहला स्कूल शुरू हुआ। उस्मान की बहन फातिमा ने इसी स्कूल में शिक्षा हासिल की और अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद सावित्री बाई के साथ उसी स्कूल में पढ़ाना शुरू किया। वह देश की पहली मुस्लिम महिला थीं जिन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए अपना जीवन अर्पित किया था। वे घर-घर जाकर लोगों को लड़कियों की शिक्षा की आवश्यकता समझातीं और अभिभावकों को उन्हें स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करतीं थी। शुरू-शुरू में फ़ातिमा जी को बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ा। रूढि़वादी मुस्लिमों में उनका विरोध भी हुआ और उनका मज़ाक भी बना। उनकी लगातार कोशिशों से धीरे-धीरे लोगों के विचारों में परिवर्तन आने लगा और स्कूल में मुस्लिम लड़कियों की उपस्थिति बढऩे लगी। उस वक़्त के मुस्लिम समाज की दृष्टि से यह क्रांतिकारी परिवर्तन था और इस परिवर्तन की सूत्रधार बनीं फातिमा शेख।

आज सावित्री बाई फुले की जयंती पर उन्हें और स्त्री शिक्षा के अभियान में उनकी सहयात्री बनी फातिमा शेख को नमन !

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news