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ट्रैक्टर से पहुंचे नेता, राज्यपाल को ज्ञापन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 जनवरी। केन्द्र सरकार की तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस ने राजभवन का घेराव किया। हजारों कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता घेराव के लिए ट्रैक्टर से आए थे। घेराव के बाद कांग्रेस नेताओं ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा, जिसमें मांग की गई, कि कृषि कानूनों को निरस्थ करने के साथ-साथ पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी को वापस लिया जाए।
प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ता राजीव भवन से घेराव के लिए निकले। बड़ी संख्या में कार्यकर्ता ट्रैक्टर से आए थे। प्रदेशभर के दो दर्जन से अधिक विधायक और पार्टी के छोटे-बड़े पदाधिकारी घेराव में शामिल हुए। घेराव के लिए कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ जमा हो गई थी। शास्त्री चौक से लेकर राजभवन तक जाम रहा।
प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ विधायक सत्यनारायण शर्मा, धनेन्द्र साहू, अरूण वोरा, पारसनाथ राजवाड़े, राज्यसभा सदस्य छाया वर्मा, अमितेश शुक्ला, शिशुपाल सोरी, चुन्नीलाल साहू, छन्नी साहू, गुरूदयाल बंजारे, कवासी लखमा, किस्मत लाल नंद, अनिता शर्मा और देवेन्द्र यादव सहित कई विधायक और पार्टी के सीनियर नेता भी प्रदर्शन में शामिल थे।
बाद में राजभवन के पास ये सभी नेता धरने पर बैठ गए। प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ने राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके को ज्ञापन सौंपा। जिसमें कहा गया कि मोदी सरकार ने देश के किसान, खेत और खलिहान के खिलाफ षडय़ंत्र किया है। केन्द्र सरकार तीन काले कानूनों के जरिए देश की हरित क्रांति को हराने की साजिश कर रही है। देश के अन्नदाता और भाग्यविधाता किसान, खेत-मजदूर की मेहनत को चंद पूंजीपतियों के हाथों गिरवी रखने का षडय़ंत्र कर रहे हैं।
यह भी कहा गया कि केन्द्र सरकार ने संघीय ढांचे का उल्लंघन कर संविधान को रौंदकर संसदीय प्रणाली को दरकिनार कर और बहुमत के आधार पर बाहुबली मोदी सरकार ने संसद के अंदर तीन काले कानूनों को जबरन तथा बिना किसी चर्चा और राय मशविरे के पारित कर लिया है। यहां तक राज्यसभा में हर संसदीय प्रणाली और प्रजातंत्र को तार-तार कर ये कानून पारित किए गए।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि एक तरफ किसान तीनों कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत हैं, तो दूसरी तरफ सरकार डीजल और पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि कर किसानों और देश की आम जनता की दैनिक अर्थव्यवस्था पर बोझ डाल रही है। पिछले 73 वर्षों में सबसे ज्यादा पेट्रोल-डीजल के मूल्यों में वृद्धि हुई है। यह भी कहा गया कि महामारी की आड़ में किसानों की आपदा को मुट्ठीभर पूंजीपतियों को अवसर में बदलने की मोदी सरकार की साजिश को अन्नदाता किसान और मजदूर कभी नहीं भूलेगा। यह भी आग्रह किया गया कि तीनों कानूनों को बिना देरी निरस्त करते हुए पेट्रोल-डीजल की कीमतों में की जा रही वृद्धि को वापस लिए जाने के लिए अविलंब हस्तक्षेप किया जाए।