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किसान आंदोलन: नौंवें दौर की बातचीत में भी नहीं बात
15-Jan-2021 6:46 PM
किसान आंदोलन: नौंवें दौर की बातचीत में भी नहीं बात

PHOTO CREDIT- twitter

दिल्ली ,15 जनवरी | प्रदर्शकारी किसानों के प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार के बीच दिल्ली में नौंवे दौर की बातचीत बिना किसी ठोस नतीजे के ख़त्म हो गई है.

बातचीत के बाद किसान नेताओं ने संवाददाताओं से कहा कि अगले दौर की बातचीत अब 19 जनवरी को होगी और तब तक धरना-प्रदर्शन पहले की तरह जारी रहेगा.

प्रदर्शनकारी किसान चाहते हैं कि सरकार तीन नए कृषि क़ानूनों को वापस ले, लेकिन सरकार ने क़ानूनों को वापस लेने से इंकार किया है.

किसान नेताओं का कहना है कि सरकार पुरानी बातों को दोहरा रही है, जबकि उनकी मुख्य मांग इन क़ानूनों को ख़त्म करने की है.

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के प्रतिनिधियों के साथ नौंवें दौर की बातचीत के बाद संवाददाताओं से कहा कि ''किसान यूनियन के साथ वार्ता सौहार्दपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुई, लेकिन बातचीत किसी निर्णायक मोड़ पर नहीं पहुंच पाई. दोबारा चर्चा 19 जनवरी को होगी. आशा है कि यूनियन आज की चर्चा को आगे बढ़ाएंगे.''

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ''हमने किसान यूनियन से कहा है कि अपने बीच में अनौपचारिक समूह बना लें, जो ठीक से क़ानूनों पर चर्चा कर एक मसौदा बनाकर सरकार को दे. हम उस पर खुले मन से विचार करने के लिए तैयार हैं.''

उन्होंने कहा, ''किसान यूनियन के साथ 9वें दौर की वार्ता में तीनों क़ानूनों पर चर्चा हुई. आवश्यक वस्तु अधिनियम पर विस्तार से चर्चा हुई. उनकी शंकाओं के समाधान की कोशिश की गई. यूनियन और सरकार ने तय किया की 19 जनवरी को 12 बजे फिर से चर्चा होगी.''

एक सवाल के जबाव में उन्होंने कहा, ''सुप्रीम कोर्ट के प्रति हम सभी की प्रतिबद्धता है और आने वाले कल में भी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भारत सरकार स्वागत करती है.''

दिल्ली के विज्ञान भवन के बाहर मौजूद बीबीसी संवाददाता अरविंद छाबड़ा ने किसान नेताओं से बातचीत की.

किसान नेताओं का कहना था कि ''सरकार टालमटोल की नीति अपना रही है, ताकि आंदोलन लंबा चले और टूट जाए. अगली बैठक 19 जनवरी को तय की गई है. सरकार की ओर से बात करने के लिए छोटी कमिटी बनाने का प्रस्ताव दिया जा रहा है. सरकार हमारा और अपना दोनों का वक्त खराब कर रही है सरकार की नीयत साफ़ नहीं है.''

किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा कि ''इस नौवीं बैठक में कुछ भी नया नहीं रखा गया. हर बैठक में वहीं पुराने मुद्दे रहे हैं और इसमें भी थे. हमारे दो प्रमुख मुद्दे हैं कि तीनों क़ानूनों को वापस लिया जाए और एमएसपी सुनिश्चित किया जाए. सरकार तीनों क़ानूनों को रद्द करने की मांग के बजाए दूसरा विकल्प देने की बात करती है.''

उन्होंने कहा, ''सरकार कहती है कि छोटी कमेटियों में हम बैठक करते हैं जिसमें हम भी कम संख्या में होंगे और आप भी कम संख्या में होंगे. उस बैठक के अंदर कोई मिनट्स नहीं लिखे जाएंगे और जो कुछ भी कॉमन होगा उसे आगे बड़ी बैठक में रख देंगे.''

शुक्रवार को प्रदर्शकारी किसानों के प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार के बीच दिल्ली में नौंवे दौर की बातचीत बिना किसी ठोस नतीजे के ख़त्म हुई.

किसान नेताओं का कहना है कि अगले दौर की बातचीत अब 19 जनवरी को होगी और तब तक धरना-प्रदर्शन पहले की तरह जारी रहेगा.

प्रदर्शनकारी किसान चाहते हैं कि सरकार तीन नए कृषि क़ानूनों को वापस ले, लेकिन सरकार ने क़ानूनों को वापस लेने से इंकार किया है.

किसान नेताओं का कहना है कि सरकार पुरानी बातों को दोहरा रही है, जबकि उनकी मुख्य मांग इन क़ानूनों को ख़त्म करने की है.(https://www.bbc.com/hindi)

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