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नई दिल्ली. देश में कोरोना वायरस टीके लगाए जाने की प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है. इसी बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने वैक्सीन पर सवाल खड़े कर दिए हैं. तिवारी ने टीकों के इस्तेमाल की मंजूरी की प्रकिया पर सवाल खड़े करते हुए शनिवार को दावा किया कि टीकों के आपात उपयोग की स्वीकृति देने के लिए कोई नीतिगत ढांचा नहीं है.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘टीकाकरण आरंभ हो गया है और यह अजोबो-गरीब है कि भारत के पास आपात उपयोग को ऑथोराइज करने का कोई नीतिगत ढांचा नहीं है. फिर भी दो टीकों के आपात स्थिति में नियंत्रित उपयोग की अनुमति दी गई.’ पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘कोवैक्सीन की अलग ही कहानी है. इसे उचित प्रक्रिया के बिना अनुमति दी गई.’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कोविड-19 के खिलाफ विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत की. ज्ञात हो कि पहले चरण के लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में इसके लिए कुल 3006 टीकाकरण केंद्र बनाए गए हैं. पहले दिन तीन लाख से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मियों को कोविड-19 के टीके की खुराक दी जाएगी.
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने देश में दो वैक्सीन उम्मीदवार- कोविशील्ड और कोवैक्सीन को पाबंदियों के साथ अनुमति दी है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजैनेका की कोविशील्ड का निर्माण पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में हो रहा है. वहीं, कोवैक्सीन हैदराबाद की भारत बायोटेक ने आईसीएमआर के साथ मिलकर तैयार की है.
गंभीर दुष्परिणाम होने पर मुआवजा देगी कोवैक्सीन
भारत बायोटेक ने साफ कर दिया है कि वैक्सीन के दुष्परिणाम नजर आने पर लाभार्थी को मुआवजा (Compensation) दिया जाएगा. इतना ही नहीं कंपनी ने अपने फॉर्म में इसे खास तौर से लिखा है. शुक्रवार को जारी कंसेंट फॉर्म में लिखा है कि वैक्सीन की वजह से कोई भी गंभीर साइड इफेक्ट्स होने की स्थिति में लाभार्थी को सरकार के तय किए हुए और अधिकृत अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं दी जाएंगी. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. महाराष्ट्र समेत 11 राज्यों ने कोवैक्सीन को स्वीकार कर लिया है. हालांकि, कंपनी ने अभी वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल पूरे नहीं किए हैं.
(भाषा इनपुट के साथ)