सामान्य ज्ञान
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा ) भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे 25 अगस्त 2005 को विधान द्वारा अधिनियमित किया गया गया। यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है जो प्रतिदिन 220 रुपये की सांविधिक न्यूनतम मजदूरी पर सार्वजनिक कार्य-सम्बंधित अकुशल मजदूरी करने के लिए तैयार हैं। शुरू में इसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) कहा जाता था, लेकिन 2 अक्टूबर 2009 को इसका पुन: नामकरण कर इस योजना को महात्मा गांधी के नाम पर समर्पित कर दिया गया।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा)के तहत साल में कम से कम सौ दिनों का रोजगार गरीबों को दिए जाने का प्रावधान है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जंगली इलाकों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के परिवारों को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत दिए जाने वाले निर्धारित 100 दिनों के रोजगार से अधिक 50 दिनों का अतिरिक्त रोजगार उपलब्ध कराने का निर्णय 14 जनवरी 2014 को लिया। इस निर्णय के बाद से जंगली इलाकों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के परिवार वालों को अब 150 दिनों का रोजगार मिलेगा।
वे आदिवासी जिन्हें वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत भूमि अधिकार मिले हैं, वह भी इस योजना के पात्र हैं। मनरेगा के तहत अतिरिक्त काम करने के दिन परिवारों को अपनी जमीन पर काम करने की भी अनुमति है। वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत लगभग 14 लाख व्यक्तियों और समुदायों को अधिकार प्राप्त हैं जिनमें से 8 लाख लोग झारखंड, ओडीशा, छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश में हैं। वन अधिकार अधिनियम को इंदिया आवास योजना के तहत सहायता के लिए शामिल किया गया है।