अंतरराष्ट्रीय
चीन के ताज़ा सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के आंकड़े बताते हैं कि दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से सिर्फ़ चीन ने ही साल 2020 में बढ़ोतरी दर्ज की है.
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश चीन की जीडीपी की विकास दर 2.3 फ़ीसदी रही है. साल के आखिरी तिमाही में ये दर 6.5 फीसदी रही वहीं तीसरी तिमाही में ये दर 4.9 फीसदी थी.
कोविड-19 के कारण लॉकडाउन की परिस्थिति में 2020 के शुरूआती तीन महीने में चीन की अर्थव्यस्था 6.8 फीसदी तक गिर गई थी.
वायरस के लिए कंटेनमेंट ज़ोन तय करने और आपातकालीन सहायताओं के कारण चीन का व्यापार और अर्थव्यवस्था फिर से एक बार पटरी पर लौटने लगी थी.
हालांकि कोविड-19 का असर अब तक बरक़रार है, देशभर में लगे शटडाउन और बंद पड़े कई मैन्युफ़ैक्चरिंग प्लांट ने अर्थव्यवस्था को धीमी विकास दर की ओर धकेल दिया है. वर्तमान जीडीपी के आंकड़े बीते 40 साल में चीन की सबसे धीमी विकास-दर दर्शाते हैं.
सोमवार को सामने आए आंकड़ों के मुताबिक़ चौथी तिमाही में चीन के औद्योगिक उत्पादन में 7.3 फीसदी की बढ़त और रिटेल सेक्टर में 4.6 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है.
कई विश्लेषकों के मत हैं कि साल 2021 में अर्थव्यस्था और तेज़ी से आगे बढ़ेगी लेकिन इसके विपरीत चीन के सांख्यिकी ब्यूरो ने टिप्पणी की है कि "विदेश और देश में भयानक और जटिल परिस्थितियां पैदा हुई है, महामारी का 'बड़ा असर' पड़ा है."
गुरुवार को सामने आए आंकड़े बताते हैं कि दिसंबर महीने में चीन के निर्यात में उम्मीद से अधिक वृद्धि हुई क्योंकि दुनिया भर में कोरोनो वायरस के प्रकोप के दौरान ने चीनी सामानों की मांग को बढ़ी है. इसके अलावा चीन ने 2020 में कच्चे तेल, तांबा, लौह अयस्क और कोयले की रिकॉर्ड खरीदारी की है.
जानकारों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में चीनी मुद्रा युआन के मज़बूत होने के बावजूद चीनी सामान की बिक्री बढ़ी है. युआन के मज़बूती से निर्यात महंगा हो जाता है.
इकोनॉमिक इंटेलिजेंस यूनिट में बतौर प्रिंसिपल इकोनॉमिस्ट काम करने वाली यूए सू कहती हैं, "जीडीपी के आंकड़े बताते हैं कि अर्थव्यवस्था अब सामान्य हो रही है. अभी भी चीन के उत्तरी प्रांतों में कोरोना के नए मामले दर्ज किए जा रहे हैं जिससे अर्थव्यवस्था को मामूली झटका लग सकता है, लेकिन उम्मीद यही है कि अर्थव्यवस्था के सुधरने की गति बरकरार रहेगी."
बीते महीने चीन के नेताओं ने एक एजेंडा बैठक में तय किया था कि इस साल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए ज़रूरी नीतियों का समर्थन किया जाएगा और चीन किसी भी तरह के अचानक नीतियों के परिवर्तन से बचेगा.
चीन की अर्थव्यवस्था में ऐसे वक़्त में बढ़त देखी जा रही है, जब दुनिया के बाक़ी देश कमज़ोर मांग, लाखों नौकरियां जाने और बंद होते कारोबारों से जूझ रहे हैं.
एक कठोर लॉकडाउन की वजह से 2020 की पहली तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था में 6.8 फीसदी की ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई, इसके बावजूद चीन की अर्थव्यवस्था का इंजन अब फिर से रफ़्तार पकड़ने लगा है.
लेकिन हमें चीन के डेटा को लेकर हमेशा चौकसी बरतनी चाहिए. चीन की अर्थव्यवस्था की स्थिति को समझने के लिए हमें आंकड़ों के बजाए डेटा के कर्व को देखना चाहिए. ये आंकड़े दिखाते हैं कि शहरों में कठोर और तुरंत लॉकडाउन लगाने की चीन की रणनीति ने काम किया. सरकार के नेतृत्व में निवेश और चीनी सामानों के लिए वैश्विक मांग पैदा करने के कदम ने तेज़ रिकवरी और निर्यात बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई.
हालांकि चीन की ये सालाना वृद्धि दर 40 से भी ज़्यादा सालों में सबसे कम रही है. एक तरफ वायरस के दोबारा पैर पसारने की चिंताओं ने चीनी ग्रोथ की भविष्य की तस्वीर को धुंधला कर दिया है और उपभोक्ता मांग अब भी कमज़ोर है, तो दूसरी तरफ चीन अमेरिका के साथ अपने तल्ख़ रिश्तों को सुधारने की कोशिश कर रहा है. हालांकि ऐसा लगता नहीं है कि अमेरिका का नया प्रशासन चीन पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मुक़ाबले नरम रवैया अपनाएगा.
इसमें कोई शक नहीं है कि ये सभी चुनौतियां 2021 में चीन के विकास पर असर डालेंगी, लेकिन संभावना है कि चीन दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में तो बेहतर स्थिति में ही होगा. (bbc.com)