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भारत बायोटेक ने अपनी वैक्सीन को लेकर कुछ शर्तें जारी की हैं. भारत बायोटेक की कोविड-19 वैक्सीन का नाम कोवैक्सीन है. कंपनी ने अपनी वेबासाइट पर एक बयान अपलोड कर बताया है कि किन लोगों को कोवैक्सीन नहीं लगानी है.
बयान के अनुसार एलर्जी पीड़ित, बुख़ार और ब्लीडिंग डिसऑर्डर वाले, वो लोग जो ख़ून पतला करने की दवाई लेते हैं और वो लोग जो इम्युनिटी को लेकर दवाई लेते हैं, उन्हें भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन न लगाने की सलाह दी.
इसके साथ ही गर्भवती महिलाएं और जो स्तनपान कराती हैं उन्हें भी इस वैक्सीन लगाने से मना किया गया है. अंग्रेज़ी अख़बार 'द हिन्दू' ने इस ख़बर को पहले पन्ने की लीड बनाई है.
कंपनी ने अपने बयान में कहा है, "कोवैक्सीन गंभीर एलर्जिक रिएक्शन की वजह बन सकती है. इसके कारण सांस लेने में दिक़्क़त, चेहरे या गर्दन पर सूजन, तेज़ धड़कन, शरीर पर रैश, चक्कर और कमज़ोरी जैसी समस्या हो सकती है."
भारत बायोटेक ने अब फैक्टशीट जारी की है, जिसमें वैक्सीन के संभावित दुष्प्रभावों की जानकारी दी गई है.
द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार कोवैक्सीन की क्लिनिकल एफिकेसी दर अभी नहीं बताई गई है. अब भी वैक्सीन के फ़ेज थ्री के क्लिनिकल ट्रायल की स्टडी चल ही रही है. कंपनी ने ये भी कहा है कि वैक्सीन लगाने का मतलब ये नहीं है कि कोविड-19 को रोकने के लिए परहेजों का पालन नहीं करना है.
अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य मंत्रालय के एक आदेश के अनुसार लोग ये तय नहीं कर सकते कि उन्हें कौन-सी वैक्सीन मिलेगी, हालांकि वैक्सीन लगवाना या न लगवाना स्वैच्छिक है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ और इंडियन मेडिकल असोसिएशन (आईएमए) की ओर से इसके लिए ज़ोर-शोर से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है.
अख़बार कहता है कि वैक्सीन लगाने के बाद 447 लोगों में इसके साइड इफेक्ट दिखे हैं. इनमें से तीन लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. ऐसे में वैक्सीन को लेकर जागरूकता फैलाने पर ज़ोर दिया जा रहा है.
द हिन्दू से स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा है कि टीकाकरण की प्रक्रिया में व्यक्ति की सेहत के बारे में पूरी जानकारी लेना और वैक्सीन लगाने के बाद उसकी निगरानी करना शामिल है. (बीबीसी)