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अमेरिका: बाइडन के शपथ ग्रहण से पहले वॉशिंगटन क़िले में तब्दील, 25 हज़ार सैनिक तैनात
19-Jan-2021 12:15 PM
अमेरिका: बाइडन के शपथ ग्रहण से पहले वॉशिंगटन क़िले में तब्दील, 25 हज़ार सैनिक तैनात

-विनीत खरे

दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश की राजधानी इन दिनों युद्ध क्षेत्र जैसी लगती है. नए राष्ट्रपति जो बाइडन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के शपथ ग्रहण समारोह से कुछ घंटों पहले अमेरिका में एक अभूतपूर्व स्थिति बनी हुई है.

ना सिर्फ़ वॉशिंगटन, बल्कि सभी 50 राज्यों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है.

कई लोगों को डोनाल्ड ट्रंप समर्थक समर्थकों की ओर से की गई कैपिटल हिल हिंसा को दोहराए जाने का डर सता रहा है.

कैपिटल की ओर जाने वाले सड़कों पर हज़ारों की तादाद में सुरक्षाकर्मी गश्त लगा रहे हैं. शहरों में जगह-जगह रोड ब्लॉक लगाए गए हैं. चेहरों को ढँके हथियारबंद सुरक्षाकर्मी गाड़ियों की जाँच कर रहे हैं और ट्रैफ़िक को रास्ता भी दिखा रहे हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो नेशनल गार्ड्स के 25 हज़ार जवानों की शहर में तैनाती की गई है.

इस बीच कई सुरक्षाकर्मियों की जाँच भी हो रही है, जिन पर शक है कि उन्होंने 6 जनवरी को हुए कैपिटल हिल हिंसा में उपद्रवियों का साथ दिया था.

मीडिया रिपोर्ट्स में हथियारबंद हमले की आशंका भी जताई जा रही है.

पुलिस की गाड़ी सड़कों पर गश्त लगा रही है और हेलिकॉप्टर से गतिविधियों पर पर नज़र रखी जा रही है.

कई मेट्रो स्टेशन बंद कर दिए गए हैं और बड़े क्षेत्र में गाड़ियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. कैपिटल कॉम्प्लेक्स को जनता के लिए बंद कर दिया गया है और 20 जनवरी को जनता कैपिटल ग्राउंड नहीं जा सकेगी.

कैपिटल पुलिस ने अपने बयान में कहा है, "कोई भी अगर ग़ैरक़ानूनी रूप से कैपिटल ग्राउंड पर लगे फ़ेंस (एक तरह का बैरिकेड) को पार करके या किसी अन्य ग़ैरकानूनी तरीक़े से घुसने की कोशिश करता है, तो उस पर बल प्रयोग होगा और गिरफ्तारी भी होगी."

वॉशिंगटन को दूसरे शहरों से जोड़ने वाले ब्रिजों को और पास में स्थित वर्जिनिया को भी बंद रखा जाएगा.

क्रिस अकोस्टा नाम के एक स्थानीय निवासी कहते हैं, "ऐसा लग रहा है जैसे एक फ़िल्म चल रही है. सभी लोग नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण की तैयारियों में लगे हैं और सड़कें पूरी तरह वीरान हैं."

जरमैन ब्रायंट कहते हैं, "मुझे लगता है ये पहला वर्चुअल शपथ ग्रहण समारोह होगा. आमतौर पर जब भी शपथ ग्रहण होता रहा है, तो वॉशिंगटन का माहौल ख़ुशनुमा रहा है लेकिन अभी तो लगता है जैसे ये एक भूतिया शहर हो."

ब्रायंट की बात कई मायनों में सही है. आमतौर पर शपथ ग्रहण समारोह पर समर्थक और विरोधी एकता का प्रदर्शन करते हुए एक साथ आते हैं और माहौल उत्सव जैसा होता है.

इससे पहले कभी भी ऐसे वक्त में राजधानी का दिल माना जाने वाला कैपिटल हिल का क्षेत्र इतना वीरान नहीं रहा. इसका मतलब साफ़ है कि हर बार की तरह इस आयोजन में समर्थकों की वो भीड़ नहीं नज़र आएगी, जो हर बार दिखती रही है.

जानकारों को इस बात की भी चिंता सता रही है कि वॉशिंगटन में भारी सुरक्षा बल की तैनाती तो कर दी गई है, लेकिन बाक़ी 50 राज्यों की सुरक्षा का क्या होगा?

एक भी हमला देशभर में बैठे ट्रंप समर्थकों के लिए उकसावे की तरह होगा.

बीते दो सप्ताह में क्या-क्या हुआ
बीते दो सप्ताह में अमेरिका की राजनीति तेज़ी के साथ बदली है. मैं 6 जनवरी को वॉशिंगटन के उसी इलाक़े में था, जब ट्रंप समर्थक आक्रामक हो गए थे.

इसके बाद, उनमें से सैकड़ों ने कैपिटल हिल की सुरक्षा को तोड़ते हुए अंदर दाखिल होकर हिंसा की, जिसकी तस्वीरें अमेरिकी मीडिया ने ख़ूब दिखाईं और जिसे देखकर रिपब्लिकन भी इसके विरोध में खड़े हुए.

दो बार महाभियोग झेलने वाले ट्रंप का चुनाव नतीजों को मानने से इनकार करना और इसमें बिना सबूत धोखाधड़ी का आरोप लगाना 6 जनवरी को हुई हिंसा का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है.

इस घटना के एक दिन बाद भी मैंने देखा कि कैसे एक व्यक्ति बैरिकेड को लांघने की कोशिश कर रहा था. अब हालात ये हैं कि वॉशिंगटन के कई रास्तों पर बाड़े लगा दिए गए हैं और सुप्रीम कोर्ट की भी घेराबंदी कर दी गई है.

वॉशिंगटन की मेयर मुरिल बौज़र, मैरीलैंड के गवर्नर लैरी होगन और वर्जीनिया के गवर्नर राल्फ नॉर्थम ने मिलकर एक साझा बयान जारी किया है. जिसमें कहा गया है- बीते दिनों हुई हिंसा और कोविड-19 महामारी को देखते हुए. हम अमेरिकावासियों से अपील करते हैं कि वे शपथ ग्रहण समारोह के लिए वॉशिंगटन ना आएँ, बल्कि इस समरोह में वर्चुअली ही शामिल हों.''

वर्जीनिया और मैरीलैंड राज्यों की सीमा वॉशिंगटन से जुड़ी हुई है.

कोरोना वायरस का ख़तरा भी बड़ा होता जा रहा है, अमेरिका में लगभग 400,000 लोगों की वायरस के कारण मौत हो गई है.

रोग नियंत्रण निदेशक के मुताबिक़ फरवरी के मध्य तक यह संख्या 5 लाख के आँकड़े को पार कर जाएगी.

घरेलू आतंकवादी?
कैपिटल हिल की हिंसा ने घरेलू आंतकवादियों को लेकर जारी बहस को और बढ़ा दिया है. सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि दक्षिणपंथी उग्रवाद और श्वेत वर्चस्ववादियों के ख़तरों पर कार्रवाई करने में पुलिस और अन्य सरकारी एजेंसियों की रफ़्तार धीमी है.

डिपार्टमेंट ऑफ़ होमलैंड सिक्योरिटी की एक रिपोर्ट कहती है- श्वेत वर्चस्ववादी चरमपंथी देश के सामने लगातार सबसे बड़ा ख़तरा बने रहेंगे.

नव निर्वाचित राष्ट्रपति बाइडन ने कैपिटल हिल हमले के बाद कहा था, ''उन्हें प्रदर्शनकारी ना कहें, वो एक दंगाई भीड़ थी, देशद्रोही और घरेलू आतंकवादी, "हालाँकि दोनों पार्टियों वाली कांग्रेस रिसर्च के मुताबिक़ ''एफ़बीआई औपचारिक तौर पर किसी भी संस्था को 'घरेलू आतंकवादी' नहीं मानती.''

कैपिटल हिल पर हुए हमले के बाद कांग्रेस इससे जुड़े क़ानून और नीतियों में बदलाव के बारे में विचार कर सकती है और इस तरह के घरेलू आतंकवाद को एक संघीय अपराध की श्रेणी में ला सकती है. (bbc.com)

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